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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022

पट्टी विधानसभा से पहली बार विधायक बने प्रो शिवाकांत ओझा अब उसी पट्टी में मोती सिंह की जीत सुनिश्चित करने पट्टी क्षेत्र में करेंगे प्रचार

रानीगंज विधानसभा से समाजवादी पार्टी के सुप्रीमों अखिलेश यादव द्वारा टिकट काटने से नाराज प्रो शिवाकांत ओझा 13वर्ष बाद भाजपा में पिछले माह हुए थे,शामिल 

जिन मोती सिंह से तंग आकर वर्ष-2009 में भाजपा से बसपा में शामिल होकर लोकसभा उम्मीदवार बने थे, अब उन्हीं मोती सिंह को विधानसभा में जिताने के लिए पट्टी क्षेत्र में पूर्व मंत्री प्रो. शिवाकांत ओझा करेंगे प्रचार...

कब के बिछड़े हुए हम आकर फिर पट्टी में मिले...
 
प्रतापगढ़। यूपी के प्रतापगढ़ जिले में पट्टी विधानसभा का चुनाव सबसे रोमांचक दौर में पहुँच चुका है। पट्टी विधानसभा को वर्ष- 1996 में छोड़कर बीरापुर विधानसभा में अपनी नई जमीन तलाशने वाले प्रो शिवाकांत ओझा आज बाबा बेलखरनाथ धाम विकास खंड के रुदापुर में विधायक राजेन्द्र प्रताप उर्फ मोती सिंह के पक्ष में सभा करेंगे। मंत्री मोती सिंह की जीत सुनिश्चित कराने के लिए पूर्व मंत्री प्रो. शिवकांत ओझा ने मोर्चा संभाल लिया है। प्रो. शिवाकांत ओझा पट्टी क्षेत्र में लगातार जनसभाओं को संबोधित करेंगे। पहली जनसभा 17 फरवरी, 2022 को विकास खंड बाबा बेलखरनाथ धाम के रूदापुर में होगी। इस जनसभा में प्रो. शिवाकांत ओझा के साथ भाजपा उम्मीदवार मोती सिंह भी मौजूद रहेंगे। 


पट्टी विधानसभा कभी प्रो. शिवकांत ओझा की कर्मभूमि रही। डॉ राम विलास बेदान्ती ने वर्ष- 1996 में प्रो शिवाकांत ओझा को बीरापुर और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए मोती सिंह को पट्टी से भाजपा उम्मीदवार बनवाया और बीरापुर से विधायक रहे लक्ष्मी नारायण पाण्डेय "गुरुजी" का टिकट कटवा दिया था। यदपि प्रो शिवाकांत ओझा पट्टी विधानसभा को छोड़कर बीरापुर जाने के लिए तैयार न थे, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के आगे उन्हें पट्टी से बीरापुर जाना पड़ा और वह बीरापुर से वर्ष- 1996 और वर्ष- 2002 में भाजपा से विधायक निर्वाचित हुए थे और वर्ष- 2007 में बसपा की सोशल इंजीनियरिंग में राम शिरोमणि शुक्ल से चुनाव हार गए। वर्ष- 2009 में भाजपा ने प्रो शिवाकांत ओझा को लोकसभा उम्मीदवार बनाना चाहा, परन्तु प्रो शिवाकांत ओझा बसपा में यह कहकर शामिल हो गए थे कि वह लोकसभा टिकट पाने के लिए मोती सिंह और हरि प्रताप सिंह की दरबारगीरी नहीं करेंगे। उन्हें टिकट चाहे पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह दें या न दें।  


भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मोती सिंह और हरि प्रताप सिंह का सम्बन्ध जग जाहिर रहा और प्रो शिवाकांत ओझा का सम्बन्ध मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह से जग जाहिर रहा। इसलिए प्रो शिवाकांत ओझा समय के साथ राजनाथ सिंह के हाथों कमजोर किये गए और उन्हें भाजपा में घुटन सी होने लगी। अपनी नई राजनीतिक पारी खेलने के लिए प्रो शिवाकांत ओझा वर्ष- 2009 में बसपा में शामिल हुए और प्रतापगढ़ से लोकसभा उम्मीदवार भी बने, परन्तु किस्मत साथ न दी और वह चुनाव हार गए। इस तरह वर्ष- 2012 में प्रो शिवाकांत ओझा समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और उसके टिकट से एक बार फिर से विधानसभा तक पहुँच गए। वर्ष- 2017 में समाजवादी पार्टी से प्रो शिवाकांत उम्मीदवार तो हुए, परन्तु भाजपा के युवा उम्मीदवार धीरज ओझा से चुनाव हार गए। विधानसभा चुनाव- 2022 में प्रो शिवाकांत ओझा पूरी तरह आश्वस्त थे कि अखिलेश यादव रानीगंज विधानसभा से उन्हें उम्मीदवार अवश्य बनायेंगे, परन्तु प्रो शिवाकांत ओझा का टिकट एक झटके में कट गया, जिसके बाद प्रो शिवाकांत ओझा घर वापसी करने का मन बनाया और दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पहुँचकर पुनः भगवाधारी हो गए। 


पूर्व मंत्री प्रो शिवाकांत ओझा को यह उम्मीद थी कि उनके आगे सीटिंग विधायक धीरज ओझा का टिकट काटकर उन्हें भाजपा अपना उम्मीदवार बनायेगी, परन्तु भाजपा शीर्ष नेतृत्व अंतिम समय में प्रो शिवाकांत ओझा का नजरंदाज करते हुए सीटिंग विधायक धीरज ओझा को अपना उम्मीदवार बना दिया। इस निर्णय से प्रो शिवाकांत ओझा असज हुए और कुछ दिनों के लिए शांत होकर घर बैठ गए। रानीगंज विधानसभा से भाजपा उम्मीदावर धीरज ओझा ने प्रो शिवाकांत ओझा को चुनाव प्रचार में न तो पूँछा और न ही उनका सम्मान किया।इस बीच पट्टी विधानसभा से मंत्री मोती सिंह की आग्रह पर प्रो शिवाकांत ओझा उनके चुनावी प्रचार के लिए तैयार हो गए हैं और आज से उन्होंने कमान संभाल लिया है। पट्टी विधानसभा में प्रो शिवाकांत ओझा के प्रचार अभियान में शामिल होने से मोती सिंह का उत्साह दूना हो गया है। बता दें प्रतापगढ़ में पांचवे चरण में 27 फरवरी को मतदान होगा। चुनाव प्रचार धीरे-धीरे अंतिम दौर में पहुंच रहा है। ऐसे में अब सभी दल के उम्मीदवारों के समर्थकों ने प्रचार अभियान में तेजी ला दिया है। पट्टी क्षेत्र में प्रो. शिवाकांत ओझा का अच्छा प्रभाव है। खासकर ब्राह्मण मतदाताओं में प्रो. ओझा की खासी पैठ है। इसका पूरा लाभ भाजपा उम्मीदवार मोती सिंह को प्राप्त होगा।


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