प्रतापगढ़। जिले में कुंडा का जब भी नाम लिया जाता है तो रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" का नाम स्वतः जुड़ जाता है। कुंडा विधानसभा में इस बार एक तरफा चुनाव होने से रहा। इस बार रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" को कुंडा से विधानसभा लखनऊ पहुंचने की राह आसान नहीं दिख रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव से दूरी बनाना जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" को भारी पड़ सकती है। कुंडा विधानसभा में कुल 3 लाख, 43 हजार से अधिक मतदाता है, जिसमें 1 लाख, 94 हजार से अधिक पुरुष और 1 लाख, 48 हजार से अधिक महिला वोटर्स हैं। वहीं कुंडा विधानसभा में यादव और मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा भी है और यह दोनों वोटर सपाई माने जाते हैं। यदि मुस्लिम और यादव का गठजोड़ बनता है तो जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भईया और प्रदेश अध्यक्ष विनोद सरोज जो बाबागंज विधानसभा से राजा भईया के आशीर्वाद से निर्दलीय चुनाव जीतते आये हैं, उनके चुनाव में भी सपा ने ब्यवधान पैदा कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव- 2022 से पहले कई बाहुबली नेता भी सक्रिय हो गए हैं। इन सबके बीच सबकी नजर इस बार प्रतापगढ़ के कुंडा सीट पर है। यहां से छः बार से रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" निर्दलीय विधायक होते रहे हैं। हालांकि इस बार राजा भईया को विधानसभा पहुंचने की राह आसान नहीं दिख रही है। दरअसल, पिछले चार चुनाव में राजा भईया समाजवादी पार्टी के समर्थन से चुनाव जीतते रहे हैं। लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने राजा भईया को समर्थन न देकर उनके ही खास गुर्गे गुलशन यादव को समाजवादी से अपना उम्मीदवार बना दिया है। निर्दलीय चुनाव जीतने वाले राजा भईया की इस वजह से मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। प्रतापगढ़ के कुंडा सीट से लगातार छः बार से विधायक राजा भईया पहली बार बीजेपी के समर्थन से चुनाव जीते। हालांकि इसके बाद राजा भईया का सपा के साथ समझौता हो गया और लगातार वह विधानसभा का चुनाव जीतते रहे। इतना ही नहीं साल 2004 और साल 2012 में सरकार में आने के बाद समाजवादी पार्टी ने राजा भईया को मंत्री भी बनाया। वहीं साल 2017 में अखिलेश यादव ने राजा भईया को समर्थन से विधायक बनाया था।
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