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शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

विधानसभा चुनाव-2022 में सपा के 2G हमले से दरकने लगी है, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की बुनियाद, राजा भईया खेमे में बाबागंज और कुंडा के गढ़ को बचाने की बनाई जा रही है, रणनीति

कुंडा और बाबागंज में खतरे में दिख रही है राजा भईया की सियासत, सपा उम्मीवार गुलशन यादव और गिरीश पासी का बढ़ रहा है, जनाधार...

बाबागंज विधानसभा में विनोद सरोज को कड़ी टक्कर दे रहे हैं सपा प्रत्याशी गिरीश पासी...

उत्तर प्रदेश चुनाव का परिणाम 10 मार्च को आयेगा, पर कयास का बाजार अभी से गर्म है। यूपी की बहुचर्चित विधानसभा कुंडा और बाबागंज पर फिलहाल 3 दशक से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ "राजा भईया" का सिक्का चल रहा है, पर साल 2022 के चुनाव में इस सिक्के की चाल डगमगाती दिख रही है। अखिलेश यादव ने कुंडा से गुलशन यादव और बाबागंज से गिरीश पासी को मैदान में उतार कर राजा भईया के सियासी सफर को संकट में डाल दिया है। अब तक निर्दलीय जीतते रहे राजा भईया और बाबागंज से उनके समर्थित प्रत्याशी विनोद सरोज पहली बार अपनी नई पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बैनर तले चुनावी मैदान में हैं। 

पहली बार राजा भईया को अपना गढ़ सुरक्षित करने में बहाने पड़ रहे हैं,पसीने...

सच बात यही है कि पहली बार उन्हें इन दोनों विधानसभाओं पर कठिन दौर से जूझना पड़ रहा है। गुलशन और गिरीश के रूप में अखिलेश यादव ने राजा भईया के सामने दोधारी तलवार लटका दी है। लोकसभा चुनाव- 2019 में अखिलेश यादव कुंडा में इन्द्रजीत सरोज के पक्ष में जनसभा करने आये थे तो मंच से ही राजा भईया पर जमकर तंज कसा था। विधानसभा चुनाव से पहले अभी हाल में ही पट्टी विधानसभा में एक निजी कार्यक्रम में अखिलेश यादव आये थे तो मीडिया ने जब राजा भईया का नाम लेकर सवाल किया तो बहुत ही नीरस होकर अखिलेश यादव ने जवाब दिया था कि कौन राजा भईया ? किसका नाम ले लिया आप लोगों ने... 

सपा प्रत्याशी गिरीश पासी को बाबागंज में मिल रहा है,अपार जनसमर्थन...

बाबागंज विधानसभा में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से विनोद सरोज के सामने समाजवादी पार्टी से गिरीश पासी को क्षेत्र में जनता का अप्रत्याशित सहयोग मिल रहा है। इसके पहले समाजवादी पार्टी के गठबंधन से बाबागंज विधानसभा में राजा भईया समर्थक विनोद सरोज चुनाव में बाजी मार ले जाया करते थे। इस बार बाबागंज में समाजवादी पार्टी ने बाबागंज में अपना उम्मीदवार उतारा है। चुनावी जंग में जुबानी जंग का रंग दिन प्रतिदिन सुर्ख होता जा रहा है। गिरीश पासी का काफिला दिनोंदिन बढ़ रहा है। जिसकी वजह से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के नेता और कार्यकर्त्ता तनाव महसूस कर रहे हैं। गिरीश पासी अपने समर्थकों को उत्साहित करने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि अब बाबागंज के लोगों ने पूरी तरह से सपा को जिताने का मन बना लिया है। हर जाति समाज के लोग यहाँ आजादी लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

लोकसभा प्रत्याशी रहे गिरीश पासी को विधानसभा में जनता का मिल रहा है,खुला समर्थन... 

सपा प्रत्याशी गिरीश पासी के साथ दिख रही भीड़ अगर पूरी तरह से वोट में बदलती है तो निश्चित रूप से पहली बार राजा भईया के प्रत्याशी को बाबागंज में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार गिरीश पासी से कड़ी टक्कर मिल रही है यदि जनता का यह रुख मतदान के दिन तक कायम रहा तो जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के उम्मीदवार विनोद सरोज को मुँह की खानी पड़ सकती है और इस बार जीत से वंचित होना पड़ सकता है। कुंडा विधानसभा से सपा प्रत्याशी गुलशन यादव और बाबागंज से सपा प्रत्याशी गिरीश पासी के जनाधार का ग्राफ जिस तेजी के साथ बढ़ रहा है, उससे राजा भईया की जीत के समीकरण खतरे में पड़ गए हैं। कुंडा और बाबागंज विधानसभा के चुनावी मैदान में लगभग 25 साल बाद साइकिल भी दौड़ में शामिल हुई है, जिसकी वजह से भी साइकिल के समर्थक खासा उत्साहित हैं। वह किसी भी कीमत पर अपने प्रत्याशी को विधानसभा में पहुँचाना चाहते हैं। 

गुलशन यादव को कुंडा विधानसभा में मिला रहा जनता का अप्रत्याशित समर्थन... 

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" राजनीति में निर्दल उम्मीदवार के रूप में वर्ष-1993 में प्रवेश किये और पहली बार में ही चुनावी मैदान में सबको शिकस्त देकर विधानसभा पहुँच गए थे। सिर्फ तीन वर्ष बाद जब वर्ष-1996 में विधानसभा चुनाव हुए तो राजा भईया अपने समर्थक रामनाथ सरोज को उस समय बिहार विधानसभा वर्तमान बाबागंज विधानसभा से चुनाव लड़वाकर अपने साथ उन्हें भी विधानसभा ले गए थे। बाद में उके लड़के विनोद सरोज को राजा भईया ने बाबागंज से सपा के समर्थन से जीत दिलाते रहे और विधानसभा पहुँचाने का काम करते रहे। बाबागंज से यदि विनोद सरोज की हार होती है तो यह हार राजा भईया की होगी। कुंडा विधानसभा और बाबागंज विधानसभा में जनता के बीच सपा उम्मीदवार गुलशन यादव और गिरीश पासी को अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है। अब देखना है कि यह समर्थन मतों में तब्दील होता है कि नहीं। 

 

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