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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022

जनपद प्रतापगढ़ में भाजपा और अपना दल एस के बीच हुए गठबंधन में अनुप्रिया पटेल गठबंधन धर्म का नहीं कर रही हैं, निर्वहन

अनुप्रिया पटेल और अपना दल एस पार्टी पर एक कहावत फिट बैठ रही है।केला, बीछी, बाँस अपने फले नाश...!!!


अपना दल एस और अपना दल कमेरावादी के बीच जनपद प्रतापगढ़ के कुर्मी/पटेल/वर्मा मतदाता असमंजस में हैं, वह किं कर्तब्य विमूढ़ की स्थिति में हैं...!!!

अनुप्रिया पटेल प्रतापगढ़ में गठबंधन धर्म का नहीं कर रहीं हैं, निर्वहन...
पट्टी विधानसभा के कुर्मी/पटेल/वर्मा विरादरी के मतदाता अपना नेता कृष्णा पटेल और अनुप्रिया पटेल को न मानकर रामसिंह पटेल को मानते हैं, अपना नेता,यादव यानि अहीर जाति के लोग समाजवादी पार्टी के प्रति श्रद्धावान और समर्पण की भावना रखते हैं और पटेल/कुर्मी/वर्मा उनकी नकल तो किये परन्तु उस पर चल न सके, पिछड़ी जातियों में विचित्र सोच और जातिवादी मानसिकता की पराकाष्ठा हो चुकी है, इस चक्रब्यूह को तोड़ने के लिए ठाकुर और ब्राह्मण को सारे गिले शिकवे भुलाकर आना होगा एक साथ...!!!

 

इस धरती पर सभी जाति के लोग इस गलतफहमी में न रहे कि ठाकुर और ब्राह्मण आपस में एक नहीं हो सकते। जब सपा और बसपा एक होकर चुनाव लड़ सकती है। बुआ माया की गोंद में बबुआ अखिलेश बैठ सकते हैं तो ठाकुर और ब्राह्मण अपना वजूद और अस्मिता बचाने के लिए एक क्यों नहीं हो सकते ? ऐसी कोई विधानसभा नहीं जहाँ ठाकुर और ब्राह्मण एक होकर किसी उम्मीदवार को जिता न सके। आज भी जातिवादी सोच में सबसे कमजोर और पीछे हैं तो वह क्षत्रिय और ब्राह्मण ही हैं...!!!

 

प्रतापगढ़ को अपनी जागीर समझने वाली पार्टी अपना दल एस जो पटेल/कुर्मी/वर्मा मतदाताओं के बल पर इस कदर इतराती है कि जैसे वह मतदाता नहीं इनकी पार्टी के गुलाम हैं। जबकि इस बार के चुनाव में 248- प्रतापगढ़, 249- पट्टी और 250- रानीगंज विधानसभा में पटेल/कुर्मी/वर्मा मतदाताओं में जबरदस्त विखराव देखने को मिल रहा है। चूँकि समाजवादी पार्टी के सुप्रीमों अखिलेश यादव और अपना दल कमेरावादी की मुखिया कृष्णा पटेल गठबंधन किये हैं। तीनों सीटों पर पटेल/कुर्मी/वर्मा विरादरी के उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतरकर जातिवादी विष की खेती करने में परहेज नहीं कर रहे हैं। वर्ष-2017 के विधानसभा सभा चुनाव में अपना दल एस और भाजपा का गठबंधन हुआ था। 

गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष-जेपी नड्डा के साथ अनुप्रिया पटेल और आशीष सिंह...

भाजपा के शाह ने बहुत ही चालाकी से अपना दल में दो फाड़ कराकर माँ और बेटी को अलग करा दिया और बेटी से गठबंधन कर जनपद की चार सीटों पर जीत दर्ज की थी। दो अपना दल एस के उम्मीदवार बाजी मारने में कामयाब रहे तो दो विधानसभा में भाजपा के उम्मीदवार ने सफलता अर्जित किये। रानीगंज और पट्टी से भाजपा सफल रही और प्रतापगढ़ व विश्वनाथगंज से अपना दल एस के उम्मीदवार विधानसभा पहुँचे थे। फिलहाल वर्ष-2017 के चुनाव में पट्टी विधानसभा में अनुप्रिया पटेल जानबूझकर जनसभा नहीं की थी और परोक्ष रूप से सपा उम्मीदवार रामसिंह पटेल की मदद पहुँचाई थी। फिलहाल पट्टी के कुर्मी/पटेल/वर्मा विरादरी के मतदाता अपना नेता रामसिंह पटेल को ही मानते हैं। अनुप्रिया पटेल को वहाँ दूसरा स्थान प्राप्त है। 

पल्लवी पटेल को लेकर माँ कृष्णा पटेल से बिगड़ी थी अनुप्रिया पटेल व आशीष की बात...

इस बार अनुप्रिया पटेल 248-प्रतापगढ़ सीट को सरेंडर करके एक तरह का राजनैतिक खेल करके लाभ कमा लिया। सहानुभूति दिखाने के लिए मीडिया के जरिये यह संदेश दे दिया कि वह अपना माँ के कारण यह सीट छोड़ी हैं। छोड़ना उसे कहते हैं जब भाजपा से भी कोई उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल की माँ कृष्णा पटेल के सामने न खड़ा होता। यही बात कहकर कृष्णा पटेल ने अपने बेटी अनुप्रिया पटेल का मुँह बन्द कर दिया। पट्टी विधानसभा में अनुप्रिया पटेल की भाजपा उम्मीदवार मोती सिंह के समर्थन में दिनांक-14 फरवरी, 2022 को जनसभा लगी थी, परन्तु अनुप्रिया पटेल ने वर्ष -2017 की तरह एक बार फिर से चाल चल दी और जनसभा में नहीं आई। प्रतापगढ़ विधानसभा के लिए माँ कृष्णा पटेल के खिलाफ अनुप्रिया पटेल पहले ही चुनावी जनसभा न करने की बात कहकर ढाल तलवार रख दी। अब आते हैं रानीगंज विधानसभा में जहाँ भाजपा उम्मीदवार धीरज ओझा के पक्ष में अनुप्रिया पटेल की जनसभा पर भी संदेह है। क्योंकि वहाँ भी अपना दल एस से विश्वनाथगंज   विधानसभा से विधायक रहे डॉ आर के वर्मा समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार हैं। 

सूबे में शासन सत्ता में ब्राह्मणों की भागेदारी और उनकी वर्तमान स्थिति...

अपना दल की सुप्रीमों अनुप्रिया पटेल और डॉ आर के वर्मा मृतप्राय अपना दल में जान डालने के साथ-साथ काम किये हैं। दोनों में आपसी समझ भी बहुत बेहतर रही। परन्तु डॉ आर के वर्मा और अनुप्रिया पटेल के बीच अनुप्रिया पटेल के पति आशीष सिंह आ गए। अपना दल एस की सुप्रीमों अनुप्रिया पटेल के पति एमएलसी आशीष सिंह को अनुप्रिया पटेल और प्रदेश अध्यक्ष डॉ आर के वर्मा के बीच बढ़ी नजदीकियां नागवार लगने लगी। आशीष सिंह के विरोध पर डॉ आर के वर्मा का पर अपना दल से कतर दिया गया। आज वही डॉ आर के वर्मा के खिलाफ में अब अनुप्रिया पटेल जनसभा करके भाजपा उम्मीदवार धीरज ओझा के पक्ष में जनसमर्थन की पहल करती हैं या पट्टी और प्रतापगढ़ की तरह रानीगंज में वाकओवर देने का कार्य करती हैं। यदि अनुप्रिया पटेल ऐसा करती हैं तो जनपद प्रतापगढ़ की 247-विश्वनाथगंज विधानसभा पर अपना दल एस के उम्मीदवार जीतलाल पटेल के पक्ष में भाजपा के स्टार प्रचारक भी कहीं दाँव दे दिया तो अपना दल एस के तनहा उम्मीदवार का बाजा बज जायेगा। 

सूबे में शासन सत्ता में राजपूतों की भागेदारी और उनकी वर्तमान स्थिति...

जनपद प्रतापगढ़ की जनता भी अनुप्रिया पटेल की रणनीति को समझ रही है और उन्हें प्रतापगढ़ से हर समय के लिए जातिवादी राजनीति करने से रोकने के लिए विदा कर देने के मूड में हैं। फिर प्रतापगढ़ को अनुप्रिया पटेल कभी अपनी जागीर नहीं बताया करेंगी। अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष, अनुप्रिया पटेल और उनके समर्थक सहित उनकी विचारधारा से जुड़े मतदाता तो यह चाहते हैं कि जहाँ अपना दल एस का उम्मीदवार चुनाव मैदान में खड़ा हो, वहाँ भाजपा के मतदाता और सवर्ण मतदाता पूरी निष्ठा के साथ उनके दल के उम्मीदवार को अपना अमूल्य मत देकर चुनाव में भारी मतों से जिताने का काम करें। परंतु जहाँ भाजपा उम्मीदवार खड़े हैं, वहाँ पटेल/कुर्मी/वर्मा अपना मतदान सोच समझकर अपने दूसरे स्वजातीय उम्मीदवार को दे सकते हैं। भला ऐसी सोच और विचारधारा से गठबंधन धर्म का निर्वहन कैसे होगा ? भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इस पर समय विचार करना होगा। वर्ना भाजपा की नैय्या ऐसे में डूब सकती है। चूँकि एक मत से अटल जी की सरकार अल्पमत में आ गई थी। इस बात को भाजपा को तो कम से कम नहीं भूलना चाहिये। योगी सरकार की वापसी चाहते हैं तो गठबंधन धर्म के नेताओं पर अपनी पकड़ बनाये रखना होगा। टिकट देने में पहले ही बहुत बेइज्जती हो चुकी है।


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