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शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

बसपा की हाथी से उतर कर वर्ष-2017में कमल खिलाकर 5साल तक सत्तासुख भोगने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार विधानसभा चुनाव -2022 में साइकिल चलाने के लिए थामा हैंडिल, अखिलेश को बताया यूपी का भावी मुख्यमंत्री

स्वार्थी, जातिवादी, सत्तालोलुप एवं बहुरूपिया नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की माने तो 85 तो हमारा है, 15 में बंटवारा है...

अब उत्तर में स्वामी इंकलाब का नारा करेंगे बुलंद...

लखनऊ। आईये जाने कि पाँच साल तक सत्ता की मलाई खाने के बाद आखिरकार योगी सरकार से त्याग पत्र देने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य की विवशता की असली वजह क्या रही ? भाजपा की आलोचना करने वाले नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की नैतिकता का पतन हो चुका है। अभी उनकी बेटी संघमित्रा मौर्या बदायूं की सीट से भाजपा की सांसद है। स्वामी प्रसाद में तनिक भी नैतिकता बची हो तो उसका भी सांसद पद से त्याग पत्र दिलाये, फिर भाजपा को जी भरकर कोसने का कार्य करें। क्योंकि जिस दल में वह आस्था रखने पहुँचे हैं, उस दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव को भाजपा के टिकट पर स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्या को मोदी के कारण जीत मिली थी, न कि स्वतः चुनाव जीती थी। न ही अपने बाप स्वामी के बदौलत ही चुनाव जीती थी। फिर जिस भाजपा में स्वयं स्वामी कैबिनेट मंत्री रहे। उसी में स्वामी के बेटी सांसद हो। 


यह तो स्वामी प्रसाद मौर्य की दोगली बात हुई कि भाजपा में पिछड़ी जाति का सम्मान नहीं है। ये कहने से पहले स्वामी को अपनी लाडली बेटी को बदांयू के सांसद पद से त्याग पत्र दिला देना चाहिये। गुड़ खायेंगे और गुड़ से बनी चलेबी से परहेज करेंगे। दोनों बातें प्रदेश की बखूबी जनता समझ रही है। स्वामी जी, ये पब्लिक है सब जानती है।भारतीय जनता पार्टी से बगावत का बिगुल बजाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने शुक्रवार को साइकिल की हैंडिल अपने हाथों में थाम ली है। स्वामी के साथ धर्म सिंह सैनी ने भी साइकिल की हैंडिल थाम ली है। समाजवादी पार्टी के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में उन्हें साइकिल की हैंडिल थमाई गई। बृजेश प्रजापति, भगवती प्रसाद सागर, मुकेश वर्मा, रोशन लाल वर्मा, विनय शाक्य, अपना दल के चौधरी अमर सिंह, युसुफ अली, नीरज मौर्य, हरपाल सैनी, बलराम सैनी, राजेंद्र प्रताप सिंह पटेल, अयोध्या प्रसाद पाल, बंशी सिंह पहड़िया, अमर नाथ सिंह मौर्य, प्रदीप चौधरी ने साइकिल की हैंडिल थामी है। सपा के इस कार्यक्रम में कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ती हुई नजर आई।


स्वामी प्रसाद मौर्य ने सिर पर लाल टोपी धारण कर साइकिल की हैंडिल थामने के बाद ही भाजपा पर बड़ा प्रहार करते हुए कहा कि ऐसी सुनामी आएगी कि भाजपा के परखच्चे उड़ जाएंगे। जिनको हमारी बातें सुनने का समय नहीं मिलता था‌। हमारे इस्तीफ़े से उनकी नींद हराम हो गई है। भाजपा के लोग आरोप लगा रहे हैं कि 5 साल क्यों नहीं गए। साथ ही बेटे के लिए पार्टी छोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। स्वामी ने कहा कि पिछड़ों, दलितों और शोषितों की वजह से ये केशव मौर्य और स्वामी प्रसाद का नाम उछालकर सत्ता में आये। तब कहा गया कि सीएम या तो केशव होंगे या स्वामी प्रसाद लेकिन पिछड़ों की आंखों में धूल झोंककर गोरखपुर से लाकर सीएम बना दिया। 80 और 20 का नारा दे रहे हैं, लेकिन अब लड़ाई 15 और 85 की होगी, 85 तो हमारा है, 15 में बंटवारा है। ये वही स्वामी प्रसाद मौर्य हैं जिनका पब्लिक में कोई प्रभाव नहीं है। सिर्फ मायावती की चरण वंदना करके बसपा में अनेकों पदों पर आसीन रहे और बाद में वही बसपा बुरी हो गई। स्वामी जैसे लोगों का कोई चरित्र नहीं है। न ही राजनीति में कोई चेहरा है। सपा स्वामी जैसी तोप लेकर उत्तर प्रदेश में इंकलाब करने का सपना देख रही है।



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