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शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

प्रतापगढ़ के तीन सियासी खिलाड़ी इस बार अपना गढ़ और राजनीतिक वजूद बचाने के लिए एक दूसरे की करेंगे अंदरखाने मदद

सपा के उम्मीदवार की बाट जोह रही कांग्रेस ने कैबिनेट मंत्री मोती सिंह की राह किया आसान, पटेल विरादरी में सेंधामारी करने के लिए पटेल विरादरी से सुनीता सिंह पटेल को चुनावी मैदान में उतारकर गुरु प्रमोद कुमार ने शिष्य मोती सिंह के लिए एक बार फिर चुनावी वैतरणी पार कर लेने में मदद की परोक्ष रूप से चली है,चाल 

अभी पट्टी क्षेत्र में एक चर्चा और है कि यदि राजेंद्र प्रताप उर्फ मोती सिंह की राजा भईया से भी बात बनी होगी तो जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से राम अभिलाष वर्मा टिकट पायेंगे और बात न बनी तो दिनेश तिवारी पा सकते हैं,टिकट 

बेल्हा के सियासत के दो महारथी राजा भईया और मोती सिंह...

उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभाओं में पट्टी विधानसभा जनपद प्रतापगढ़ की महत्वपूर्ण विधानसभाओं में से एक है पट्टी विधानसभा जौनपुर और सुल्तानपुर जिले की सीमा से लगा हुआ है। पट्टी में दो विकास खंड पट्टी और आसपुर देवसरा का पूरा क्षेत्र शामिल है, जबकि मंगरौरा और बाबा बेलखरनाथधाम का आंशिक क्षेत्र पट्टी विधानसभा में आता है। फिर भी पट्टी विधानसभा से कई टर्म विधायक रहे राजेन्द्र प्रताप उर्फ मोती सिंह इस बार पंचायत चुनाव में कैबिनेट मंत्री रहने का पूरा फायदा लेते हुए तीन विकास खण्डों पर ब्लॉक प्रमुख का निर्वाचन निर्विरोध करा लेने में वह सफल रहे। मंगरौरा प्रमुख पद पर अपने इकलौते बेटे राजीव प्रताप सिंह उर्फ नंदन सिंह को राजनीतिक पारी की शुरुवात निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख पद से कराकर किया। इसी मंगरौरा ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख पद पर निर्विरोध निर्वाचित होकर मंत्री मोती सिंह भी अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। आसपुर देवसरा ब्लॉक प्रमुख का चुनाव हुआ और वहाँ जमकर तांडव हुआ। मंत्री मोती सिंह ने भी जमकर सत्ता का दुरूपयोग किया। उन पर बीडीसी के अपहरण तक के आरोप लगे।    

अलग दल होने के बाद भी गुरु और चेले के बीच आज भी रहती है,अंदरूनी सहमति...

पट्टी ब्लॉक प्रमुख पद पर मंत्री मोती सिंह के सगे भतीजे राकेश सिंह उर्फ पप्पू सिंह कई टर्म से कब्जा जमाये हुए हैं। मंत्री की कृपा पर वह भी इस बार निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित होने में सफल रहे। बाबा बेलखरनाथधाम में मंत्री मोती सिंह अपने खास ब्यक्तिय को निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित करा लेने में सफल रहे। इसके लिए मंत्री मोती सिंह को काफी मशक्कत करनी पड़ी और क्षेत्र में उन्हें काफी बदनामी भी झेलनी पड़ी। आसपुर देवसरा में तो विशेष रूप से मंत्री मोती सिंह की फिजा खराब हुई। विधानसभा चुनाव में मंत्री मोती सिंह का इसका परिणाम भी देखने को मिल सकता है। पट्टी विधानसभा में सभी राजनैतिक दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी-अपनी ताकत झोंक दी है। भाजपा की तरफ से राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह जो कि वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे, उन्होंने तेजी से क्षेत्र में प्रचार अभियान जारी रखा है तो समाजवादी पार्टी ने ददुआ के भतीजे व पूर्व सांसद मीरजापुर के बेटे एवं पट्टी से पूर्व विधायक राम सिंह पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। 

बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने प्रयागराज में आकर फूलचंद्र मिश्र को बसपा का प्रत्याशी बनाया था। जैसे ही कांग्रेस की सूची जारी हुई तो प्रत्याशी का नाम देखकर सब चौंक गए। मानो कि कांग्रेस पार्टी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी घोषित किये जाने का इंतज़ार कर रही हो। क्षेत्र में पहले ही परिचर्चा थी कि समाजवादी पार्टी से राम सिंह पटेल के प्रत्याशी बनने पर कांग्रेस के सेटिंगबाज नेता प्रमोद कुमार और भाजपा के दिग्गज नेता राजेन्द्र प्रताप उर्फ मोती सिंह से अपने पुराने रिश्तों को निभाते हुए किसी पटेल या यादव को ही प्रत्याशी घोषित कराएंगे। परिचर्चा को बल तब मिल गया जब मंगलवार को समाजवादी पार्टी ने राम सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया तो बुधवार को कांग्रेस पार्टी ने अब तक अपना दल एस में सक्रिय रहीं पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुनीता सिंह पटेल को कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी बना दिया। सुनीता सिंह पटेल वर्ष- 2010 में अपना दल से जिला पंचायत सदस्य बनी थीं और बसपा के जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमोद मौर्य को मतदान किया था। पट्टी मेला ग्राउंड में नसीमुद्दीन सिद्दीकी की जनसभा में उन्होंने बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। बाद में वह अपना दल एस में चली गयीं और वर्ष- 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट पा गयीं। 

पिछले बारह वर्ष से कांग्रेस के लिए सच्ची सेवा करने वाले प्रसिद्ध समाजसेवी संजय मिश्र को कांग्रेस पार्टी ने तीसरी बार निराश किया। अभी पट्टी क्षेत्र में एक चर्चा और है कि यदि राजेंद्र प्रताप उर्फ मोती सिंह की राजा भईया  से भी बात बनी होगी तो जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से राम अभिलाष वर्मा टिकट पायेंगे और न बात बनी तो दिनेश तिवारी टिकट पा सकते हैं। अब देखिए इस परिचर्चा का क्या निष्कर्ष निकलता है ? इसके बावजूद भी पट्टी का चुनाव बेहद ही कांटे का चुनाव होगा। आसपुर देवसरा में राम सिंह पटेल एक बड़ी बढ़त प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में बाबा बेलखरनाथ धाम के पूर्व प्रमुख को आसपुर देवसरा का प्रमुख बनना लोगों को नागवार लगा है। इसके अलावा उस चुनाव में 162 ज्ञात व 200 से अधिक अज्ञात पर 23 धाराओं में मुकदमा दर्ज होने पर पिछड़ा वर्ग में व्यापक रोष है। उस मामले में ग्राम प्रधानों के इशारों पर तमाम बेगुनाहों पर भी मुकदमें दर्ज हुए। बाबा बेलखरनाथधाम में फूलचंद्र मिश्र के क्षेत्रीय होने और ब्लॉक प्रमुख सुशील सिंह से आम जनता में नाराजगी के कारण भी मंत्री मोती सिंह के खिलाफ प्रभाव पड़ रहा है। 

बहुजन समाज पार्टी से वर्ष- 2012 में वस्तुतः अर्चना तिवारी ने जिस तरह का चुनाव लड़ा था, वह प्रभाव तो फूलचंद मिश्र का नहीं है। परन्तु जितना अधिक वोट फूलचन्द्र मिश्र पायेंगे, वह मोती सिंह का सीधे तौर पर नुकसान होगा। मंगरौरा के अखिलेश सिंह का निर्णय भी चुनाव में नए समीकरण को जन्म देगा। इन सबके बावजूद भी यदि भाजपा राजेन्द्र प्रताप उर्फ मोती सिंह को अपना प्रत्यासी घोषित करेगी तो सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होगा। राजेन्द्र प्रताप उर्फ मोती सिंह के इस कार्यकाल में उनके मीडिया प्रभारी विनोद पाण्डेय की अच्छी खासी चलती थी। उन्होंने ग्राम प्रधान, पूर्व प्रधान और ठेकेदारों को ही ज्यादा तवज्जो दिया। यहाँ तक कि जो पूर्व में मोती सिंह के चहेते हुआ करते थे, उनकी भी जमकर अनदेखी की गई। वे लोग कहते हैं कि यदि मोती सिंह को वोट दूँगा तो प्रधान उसे अपना वोट बताकर मोती सिंह की नजर में अपनी छवि बनाएंगे इसलिए अपने प्रधान और कुछ ठेकेदारों को मोती सिंह की नजर में गिराने के लिए न चाहकर भी अपना वोट किसी और को दे सकते हैं। 

कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के बेटे नंदन सिंह की आगे की बढ़ती दावेदारी को देखकर राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले क्षत्रिय नेता भी मोती सिंह की राह में रोड़ा बन सकते हैं। भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र प्रताप उर्फ मोती सिंह की छवि पहले ब्राह्मण विरोधी रही, जिसे वह विगत पाँच वर्षों से सही करने में जुटे रहे। सपा सरकार में वर्ष-2016 में पंचायत चुनाव में काशी पाण्डेय, इन्द्रदेव तिवारी, डीपी शुक्ल "इन्सान जी" मंत्री रहे प्रो शिवकांत ओझा, विधायक रहे मुन्ना यादव संयुक्त रूप से मंगरौरा ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में मोती सिंह को पटखनी देते हुए चार दशक से मंगरौरा से बेदखल कर दिया जो उन्हें पाँच वर्षों तक नहीं भूला। वर्ष-2012 के पट्टी विधानसभा चुनाव में महज 156 मतों से मोती सिंह चुनाव हार गए थे और बाहरी होने के बावजूद राम सिंह पटेल चुनाव जीत गया था, जो मोती सिंह के जीवन का सबसे बुरा दिन साबित हुआ था। इस बार आसपुर देवसरा में पिछड़ी जातियों में जिस कदर लामबंदी देखने को मिल रही है, वह मोती सिंह के लिए शुभ संकेत नहीं है इस लिहाज से भाजपा के दिग्गज नेता मोती सिंह और सपा से पूर्व विधायक राम सिंह पटेल में चुनावी मुकाबला रोचक है और फूलचंद्र मिश्र इस रोचकता में चार चांद लगाते दिख रहे हैं। बसपा उम्मीदवार फूलचंद मिश्र की चुनाव प्रचार की शैली भी चर्चा का विषय है। समीक्षा का निष्कर्ष यही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चहेते मंत्री की राह आसान नहीं है।


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