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सोमवार, 31 जनवरी 2022

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया को अपने गृह जनपद में उम्मीदवार तय करने में छूट रहे हैं,पसीने

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से मदद करने वाले कांग्रेस के कथित दिग्गज नेता प्रमोद कुमार और मंत्री मोती सिंह के दुर्ग को बचाने के लिए जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया अपनी राजनीतिक पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से उम्मीदवार की नहीं कर पा रहे हैं,घोषणा...

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के युवा नेता दिनेश तिवारी...

सूबे में क्षेत्रीय पार्टियों में एक दल का और इजाफा हुआ है लोकसभा चुनाव-2019 से पहले वजूद में आई जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बाहुबली विधायक और सूबे में कई विभागों के कैबिनेट मंत्री रह चुके रघुराज प्रताप सिंह "राजा भैया" हैं। अपने राजनीतिक जीवन के पच्चीस वर्ष पूर्ण कर लेने पर समर्थकों के सुझाव और सहयोग से राजनीतिक दल का गठन कर राजनीति के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रघुराज प्रताप सिंह "राजा भैया" के लिए यूथ बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जा रहा था, परन्तु हकीकत में राजनीतिक नफा नुकसान और अवसरवाद से जनसत्ता दल लोकत्रांतिक पार्टी भी अछूती नहीं है। जनसत्ता दल की लोकतांत्रिक पार्टी की बात करें तो उसकी दशा उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष सहित राष्ट्रीय महासचिव के गृह जनपद में ठीक नहीं है। 

पट्टी विधानसभा से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के स्वयं भू उम्मीदवार राम अभिलाख वर्मा...

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी का विस्तार जिस तेजी से होना चाहिए। मीडिया के एक धड़े से लगातार ऐसी खबरें प्रायोजित कराई जाती रही कि भाजपा से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी का समझौता होना लगभग-लगभग तय माना जा रहा है, जबकि भाजपा शीर्ष नेतृत्व से गठबंधन की कोई चर्चा तक नहीं रही। फिर भी खबरों में ऐसी सुर्खियां बनती थी कि समझौता का ऐलान हो चुका हो। दबाव बनाने के लिए अयोध्या में रामलला के दर्शन कर जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूरे प्रदेश में जन स्वाभिमान यात्रा तक निकाले। भाजपा पर दबाव नहीं बन सका तो उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दिए। फिर भी भाजपा शीर्ष नेतृत्व जनसत्ता दल को भाव नहीं दिया। विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद मजबूर होकर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया को अकेले दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा करनी पड़ी। लगभग 100 सीटों पर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे ऐसी घोषणा भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की है।     

असफाक का बसपा से टिकट कटने के बाद अब जनसत्ता दल से बची है, उम्मीद... 

जनपद प्रतापगढ़ में कुल 7 विधानसभा सीट है और दो सीट पर पहले से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया और प्रदेश अध्यक्ष विनोद सरोज निर्दलीय विधायक होते आये हैं, सो टिकट के लिए जनपद में सिर्फ पांच उम्मीदवार की आवश्यकता है। इन पांच विधानसभाओं में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को उम्मीदवार खोजे नहीं मिल रहे हैं। रामपुरखास विधानसभा में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस के कथित दिग्गज नेता प्रमोद कुमार के द्वारा 12 जिला पंचायत सदस्यों की मदद से जनसत्ता दल का जिला पंचायत में बोर्ड बना है, इसलिए उनकी सीट पर ऐसा उम्मीदवार चाहिए जो उनकी बेटी अराधना मिश्रा उर्फ मोना की मदद कर सके अथवा वहां उनके समर्थन में कोई उम्मीदवार ही न उतारे यही पेंच पट्टी विधानसभा में भी फंसा है। भाजपा के दिग्गज नेता मोती सिंह को जिताने के लिए और सपा उम्मीदवार राम सिंह पटेल को शिकस्त देने के लिए वहाँ भी स्थिति असमंजस में फंसी हुई है।  


पट्टी विधानसभा के लिए लोकसभा चुनाव के समय से समाजवादी पार्टी छोड़कर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी में शामिल होने वाले पट्टी विधानसभा के युवा नेता दिनेश तिवारी पूरे दमखम के साथ क्षेत्र में लगे हुए हैं कि विधानसभा चुनाव में जनसत्ता दल उन्हें ही अपना उम्मीदवार बनायेगी। परन्तु जनसत्ता दल को जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर परोक्ष रूप से मदद पहुँचाने वाले कैबिनेट मंत्री मोती सिंह का एहसान जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया कैसे भुला दें ? इसलिए पट्टी विधानसभा में राम अभिलाख वर्मा को बिना घोषित किये ही चुनाव प्रचार के लिए अनाधिकृत रूप से कह दिया गया है, जिससे युवा नेता दिनेश तिवारी के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। जबकि युवा नेता दिनेश तिवारी जनपद के सभी विधानसभाओं में युवाओं में अच्छी खासी लोकप्रियता एवं पकड़ रखते हैं जनसत्ता दल में कुंडा, बाबागंज छोड़कर के सभी पांचों विधानसभाओं में युवाओं को जोड़ने का कार्य किया। पट्टी विधानसभा में बूथ स्तर व ग्राम स्तर एवं न्याय पंचायत स्तर और ब्लॉक स्तर पर युवाओं को जोड़कर कमेटियों का गठन का दिनेश तिवारी के नेतृत्व में किया गया है


युवा नेता दिनेश तिवारी की बात करें तो वह जनसत्ता दल में शामिल होने से पहले समाजवादी पार्टी में युवजन सभा जिलाध्यक्ष रहे। उससे पहले समाजवादी अधिवक्ता सभा जिलाध्यक्ष रहे यही नहीं स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के जिलाध्यक्ष भी दिनेश तिवारी रह चुके हैं जनसत्ता दल लोकतांत्रिक में युवाओं की पूंछ पर दिनेश तिवारी शामिल हुए और उनकी इच्छा थी कि आगामी विधानसभा चुनाव में वह जनसत्ता दल के टिकट से पट्टी विधानसभा में चुनाव लड़ सकें। युवा नेता दिनेश तिवारी पट्टी विधानसभा के ब्लॉक आसपुर देवसरा के ग्राम ढांढर के निवासी हैं और छात्र राजनीति से ही वह अपने राजनैतिक जीवन की शुरुवात किये। जबकि उनके अतिरिक्त पट्टी विधानसभा से जनसत्ता दल से कोई दूसरा दावेदार नहीं रहा। जनसत्ता दल द्वारा अधिकृत रूप से उम्मीदवार की घोषणा न करने से राम अभिलाख वर्मा मंत्री मोती सिंह की मदद के लिहाज से जनसत्ता दल का स्वयंभू उम्मीदवार होकर क्षेत्र में प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं। 


स्वयंभू उम्मीदवार राम अभिलाख वर्मा इसके पहले आम आदमी पार्टी में रह चुके हैं। राम अभिलाख वर्मा पट्टी विधानसभा के ग्राम रायपुर के निवासी हैं जो वर्ष- 2010 में ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ चुके हैं उन्हें सिर्फ 17 वोट ही मिले थे जनसत्ता दल की बात करें तो पट्टी विधानसभा का एक भी कार्यकर्ता इनको नहीं जानता है। यहीं नहीं राम अभिलाख वर्मा भी जनसत्ता दल के किसी कार्यकर्ता को नहीं जानते हैं। जनसत्ता दल का यह हाल पट्टी और रामपुरखास विधानसभा की है। अब बचा रानीगंज, सदर और विश्वनाथगंज विधानसभा सीट जहाँ से भी जनसत्ता दल के उम्मीदवार का कोई पता ठिकाना नहीं है। विश्वनाथगंज विधानसभा में अशफाक अहमद जिन्हें बसपा अपना उम्मीदवार घोषित की थी, परन्तु बसपा सुप्रीमों मायावती के पास पूर्व विधायक संजय तिवारी ने शिकायत दर्ज कराई कि अशफाक अहमद तो राजा भैया का आदमी है और निर्दलीय मान्धाता ब्लॉक प्रमुख का चुनाव अपने भाई को जिताने के बाद जनसत्ता दल का उम्मीदवार बताकर शपथ समारोह में जनसत्ता दल के नेता अक्षय प्रताप सिंह "गोपाल जी" को मुख्य अतिथि बनाया था। जैसे ही इस बात की भनक मायावती को लगी तो वह अशफाक अहमद का टिकट काटकर पार्टी से निष्कासित भी कर दिया। सवाल उठता है कि क्या अशफाक अहमद को जनसत्ता दल अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाती है अथवा उन्हें भी झुनझुना पकड़ाती है। 


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