कभी रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" के लिए जान देने और लेने वाले गुलशन यादव को आगे करके सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कुंडा में सेंधमारी करके कुंडा और बाबागंज विधानसभा सीट कब्जाने के मूड में हैं, इसलिए छविनाथ यादव को पहले बनाया प्रतापगढ़ जनपद में समाजवादी पार्टी का जिलाध्यक्ष और अब उन्हीं के भाई गुलशन यादव को बनाया अपना उम्मीदवार
कभी गुलशन यादव राजा भईया के इशारे पर चलते थे... |
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां दिन रात जोड़-तोड़ में जुटी हुई हैं। समाजवादी पार्टी ने इसी बीच प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा से कुंडा के पूर्व चेयरमैन गुलशन यादव को राजा भईया के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। राजा भईया कुंडा से वर्ष-1991 से लगातार निर्दलीय विधायक निर्वाचित होते आये हैं। राजा भईया की सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साथ नजदीकी जगजाहिर है, लेकिन समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव की पकड़ मजबूत होने के बाद अखिलेश यादव और राजा भईया के बीच दूरियां बढ़ गई। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की वेवशी लगातार प्रदर्शित हो रही है।
राजा भईया के राजनीतिक पार्टी के गठन के बाद से अखिलेश यादव और राजा भिया के बीच सियासी गठबंधन में दरार बढ़ती गई। लोकसभा चुनाव में कुंडा की धरती पर अखिलेश यादव ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के सिम्बल की आड़ में राजा भईया प्र तगड़ा प्रहार किया था। अखिलेश यादव ने राजा भईया पर तंज कसा था कि जनता जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के चुनाव चिन्ह फुटबाल खेलता खिलाड़ी को ऐसा किक यानि लात मारेगी कि गेंद कई जगह से दरक जायेगी। उसी समय माना जा रहा था कि अखिलेश यादव और राजा भईया में अब नजदीकी हो पाना मुश्किल हो चुका है। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए अब अखिलेश यादव पूरी तरह से राजा भईया को सबक सिखाने के मूड में आ चुके हैं।
राजा भईया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक अपने दम पर लड़ेगी विधानसभा चुनाव
जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया ने पहली बार बड़ा बयान दिया है। राजा भईया ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भईया ने कहा कि हम विधानसभा चुनाव-२०२२ का चुनाव जनसत्ता दल के उम्मीदवार के दम पर और जनता के भरोसे पर चुनाव लड़ेंगे। राजा भईया ने भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी समेत अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर महीनों से लग रहे कयास पर विराम लगा दिया है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर राजा भईया लखनऊ जाकर मुलायम सिंह यादव को जन्मदिन की बधाई दी थी तो एक बार राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हुई थी कि अखिलेश यादव और राजा भईया के बीच बनी दूरियां को कम कराकर गठबंधन करा सकते हैं। परन्तु ऐसा कुछ हो न सका।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह और राजा भईया... |
राजा भईया के बयान के बाद यूपी के सियासी गलियारों में सियासत तेज हो गई है। राजा भइया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जिस विधानसभा क्षेत्र में अच्छे और मजबूत उम्मीदवार हैं, वहां जनसत्ता दल अपने उम्मीदवार उतार रहा है। जनसत्ता दल ने अभी तक केवल 17 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। कई उम्मीदवारों को लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है, जितने अच्छे उम्मीदवार मिल रहे हैं, पार्टी पदाधिकारियों और जनता से राय लेकर उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी। जनता के भरोसे जनसत्ता दल और उसके उम्मीदवार अपने दम पर बिना किसी दल से गठबंधन किये ही विधानसभा चुनाव-२०२२ लड़ेंगे। नतीजे जो आयेंगे, वह हमें स्वीकार होंगे। राजनीति में हार जीत होती रहती है। जनता जनार्दन जिसे चाहेगी, वही चुनाव में विजयी होगा। हार में भी जीत छिपी होती है। हार के बाद ही जीत होती है। चुनाव की बात करें तो चुनाव देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी चुनाव हार गई थी।
रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" ने दलबदल की राजनीति पर निशाना साधते हुए कहा था कि लोगों के आशीर्वाद और सौभाग्य से विधानसभा की सदस्यता मिलती है। किस्मत ज्यादा मजबूत हो तो सत्ताधारी दल में आ जाते हैं और किस्मत थोड़ी अच्छी हो तो मंत्री बन जाते हैं। एक मंत्री के रूप में राज्य की जनता की ज्यादा से ज्यादा सेवा करनी चाहिए, लेकिन चुनाव के समय बड़ी संख्या में लोग दलबदल कर लेते हैं और पार्टी बदलने वाले एक ही लाइन बोलते हैं कि पार्टी भटक गई है। इसके सिद्धांतों से मेरा दम घुट रहा है, अब यहां आकर मैं खुली हवा में सांस ले रहा हूं। जब चुनाव होते हैं तो दल बदल का दौर होता है, जिसके विचार जिस पार्टी की विचारधारा से मिलते हैं, वह उसमें शामिल होता है। बात विचारधारा की होती है। पार्टी भी एक परिवार की तरह होती है। जिस तरह एक परिवार में अलग-अलग विचारधारा के लोग होते हैं, ठीक उसी तरह राजनीतिक दलों में अलग-अलग विचारधारा के लोग होते हैं। मुलायम सिंह यादव से मेरे विचार मिलते हैं और उनके लड़के अखिलेश यादव से नहीं मिलते हैं।
वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हालांकि पूर्व सपा मंत्री स्वर्गीय पंडित सिंह के भतीजे सूरज सिंह को गोंडा शहर से समायोजित किया है और पूर्व सांसद और सपा के दिग्गज नेता रेवती रमन सिंह के बेटे उज्जवल रमन सिंह को प्रयागराज के करछना विधानसभा क्षेत्र में बरकरार रखा है। पार्टी महासचिव इंद्रजीत सरोज को कौशांबी के मंझनपुर विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा हैं। सुल्तानपुर जिले के लंभुआ विधानसभा से संतोष पांडेय को चुनावी मैदान में उतारा है। संतोष ने अपने गृह जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के साथ भगवान परशुराम मंदिर के निर्माण का नेतृत्व किया था, जिसे अखिलेश हाल ही में अपने ब्राम्हण आउटरीच को आगे बढ़ाने के लिए गए थे। वहीं प्रतापगढ़ जिले की रानीगंज से पूर्व मंत्री प्रो शिवाकांत ओझा का टिकट काटकर युवा उम्मीदवार विनोद दुबे को दिया है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। पट्टी विधानसभा से पार्टी के पूर्व विधायक राम सिंह पटेल को चुनावी मैदान में उतारा है। राम सिंह पूर्व सांसद बाल कुमार के बेटे हैं और मारे गए डकैत ददुआ के भतीजे हैं।
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