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सोमवार, 31 जनवरी 2022

कुंडा विधानसभा चुनाव में जनसभा के मंच से भाजपा नेता कल्याण सिंह “गुंडा विहीन कुंडा करो, भुज उठाइ प्रण कीन्ह” की यह बात रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया को लगी थी, नागवार

फायर ब्रांड नेता कल्याण सिंह का बयान सहन न कर सके थे,रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया, वर्ष-1996 में कुंडा के चुनावी जनसभा में मंच से कही बात को मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से बिना पूंछे नहीं रह सके थे,राजा भैया 

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भैया... 

उत्तर प्रदेश में 75जनपदों में एक जनपद प्रतापगढ़ भी है, जहाँ 7 विधानसभा सीटें है और उन 7 विधानसभा सीटों में एक एक विधानसभा सीट कुंडा है। इसी कुंडा सीट से यूपी के बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ "राजा भैया" साल 1993 से लगातार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि वह इन सालों में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही चुने जीत कर विधानसभा पहुँचते रहे हैं। राजा भैया का एक नाम और है जो बहुत ज्यादा प्रचलन में नहीं हैं, लेकिन उन्हें लोग ‘तूफान सिंह‘ के नाम से भी बुलाते हैं।

 कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया जिन्हें कहते हैं तूफान सिंह...

दरअसल, 90 के दशक की बात करें तो उस दौर में मध्यावधि चुनाव अधिक हुए। सूबे की जनता स्पष्ट जनादेश किसी दल को नहीं देती थी और गठबंधन की सरकारें बनती थी, जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती थी और सरकार अल्पमत में आने की वजह से उत्तर प्रदेश में मध्यावधि चुनाव होते रहे पूर्ण बहुमत की सरकार न बन पाना उस दौर में उत्तर प्रदेश को अस्थिरता प्रदान किया, जिससे विकास का पहिया थम सा गया और राजनीतिक दलों में भी खासा गतिरोध भी उत्पन्न हुआवर्ष-1996 के चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता कल्याण सिंह कुंडा सीट पर भाजपा प्रत्याशी के प्रचार के लिए पहुंचे थे। इसी दौरान कल्याण सिंह जनसभा में राजा भैया को ‘कुंडा का गुंडा’ कह बैठे। साथ ही जनता से अपील की थी कि एक बार उनकी पार्टी के प्रत्याशी को मौका दिया जाए।

तनाव में ऐसे दिखते हैं राजा भैया...

जनसभा में भाषण देने के दौरान भाजपा के फायर ब्रांड नेता कल्याण सिंह ने एक नारा दिया था कि “गुंडा विहीन कुंडा करो, भुज उठाइ प्रण कीन्ह”। भाषण के साथ जनसभा खत्म हुई और चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। कल्याण सिंह के इस आक्रामक नारे के बावजूद भी राजा भैया वर्ष-1993 से अधिक मतों से जीत दर्ज की। चुनाव जीतने के बाद राजा भैया जब राजधानी लखनऊ पहुँचे तो सबसे पहले वह भाजपा नेता कल्याण सिंह के आवास पहुँचे और उनसे अपने संदर्भ में नाराजगी का कारण जानना जाहा तो कल्याण सिंह ने टका सा जवाब दिया कि ऐसी तो कोई बात नहीं है। फिर राजा भैया ने पूछा कि आपने कुंडा की जनसभा में मंच से कहा था कि “गुंडा विहीन कुंडा करो, भुज उठाइ प्रण कीन्ह”। फिर इस बात को क्या समझा जाए ? जब कुंडा में आकर ऐसा बोलेंगे तो छवि हमारी ही प्रभावित होगी आखिर हमसे नाराजगी का कारण क्या है ? फिर कल्याण सिंह ने सफाई देते हुए राजा भैया से कहा कि हमने वो बात आपके लिए नहीं कही थी, बल्कि पूरे प्रदेश से गुंडाराज खत्म करने के लिए कही थी।


ऐसे में राजा भैया ने प्रतिउत्तर में कहा कि यदि आप जैसा बड़ा नेता कुंडा में आकर ऐसे नारे गढ़ेगा तो जनता को लगेगा कि आपने हमारे लिए ऐसा कहा था। भले ही आपके मुताबिक यह बात पूरे प्रदेश के लिए थी, लेकिन आपकी यह टिप्पणी हमें बुरी लगी। बता दें कि, यह सारा वाकया रघुराज प्रताप सिंह ने स्वयं न्यूज़ वेबसाइट द लल्लनटॉप के एक इंटरव्यू में स्वयं साझा किया है। वहीं, इन चुनावों में दिलचस्प बात यह भी रही थी कि जिन कल्याण सिंह ने राजा भैया के लिए ‘गुंडा विहीन कुंडा करो’ नारे को गढ़ा था, उन्हीं रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया को साल भर बाद कल्याण सिंह ने ही अपनी सरकार में मंत्री भी बनाया था। मजेदार बात यह रही कि जब वर्ष-2002 में विधानसभा का पुनः चुनाव हुआ तो पैरा मिलिट्री और सीआरपीफ की फोर्स लगाकर कुंडा विधानसभा का चुनाव हुआ, जिसमें शत प्रतिशत मतदान हुआ और राजा भैया पुनः भारी मतों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे थे। फिर यह बात सामने आई कि कुंडा में मतदाताओं को मानसिक रूप से कैप्चर किया जा चुका है, जिसका कोई इलाज नहीं है क्योंकि मतदाताओं का कहना है कि मतदान के दिन फोर्स है बाकी तो उसे जीना और मरना कुंडा की ही धरती पर है तो ऐसे में उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी न तो चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार लेता है और न चुनाव आयोग


अपनी पच्चीस वर्ष की राजनीति को पूर्ण कर राजा भैया लोकसभा चुनाव-2019 से पहले जनसत्ता दल लोकतांत्रिक राजनीतिक पार्टी का गठन किया और लोकसभा चुनाव से राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर राजनीति में नई शुरुवात की। लोकसभा चुनाव में तो राजा भैया अपने दल से प्रतापगढ़ और कौशाम्बी में ही उम्मीदवार उतार सके थे,परन्तु विधानसभा चुनाव-2022 के चुनाव में कई विधानसभाओं में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से उम्मीदवार उतार कर विधानसभा में अन्य राजनीतिक दलों को टक्कर देने के मूड में हैं यह तो पता 10 मार्च को ही लग सकेगा कि जनता ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को कितनी गंभीरता से लिया और कितने उम्मीदवार को चुनाव में जिताकर विधानसभा पहुँचाया ? फिलहाल समाजवादी पार्टी के सुप्रीमों अखिलेश यादव इस बार राजा भैया को कुंडा में ही घेरने के लिए उनके खास गुलशन यादव को सपा से उम्मीदवार बनाया है और गुलशन यादव इस बार विधानसभा के चुनाव में राजा भैया को कड़ी टक्कर देते हुए दिखाई दे रहे हैं चूँकि समाजवादी पार्टी का मूल वोटर यादव और मुस्लिम एकजुट होकर गुलशन यादव को मतदान करता है तो राजा भैया के लिए वह किसी मुशीबत से कम न होगा

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