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शनिवार, 23 अप्रैल 2016

आईये जाने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी कन्नौज की सांसद डिम्पल यादव की हैसियत

पहचानिये अपने जनप्रतिनिधि को...

उ.प्र.के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव...

उ. प्र. के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव। जानिये इनके चाल और चरित्र को। वर्ष-1978 में पुणे में आर्मी कर्नल एस सी रावत के घर जन्मीं डिंपल की शुरुआती पढ़ाई पुणे में हुई । कर्नल रावत उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के मूल निवासी हैं और वर्तमान में वहीं रह रहे हैं। डिंपल की दो और बहने हैं। इंटरमीडिएट के बाद डिंपल यादव ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ह्यूमेनिटीज़ में अपना ग्रेजुएशन किया। इसी दौरान अखिलेश यादव से उनकी मित्रता हुई और फिर प्रेम। उस समय अखिलेश मरीन इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेिलिया से लौटे थे। शादी के बाद डिंपल गृहणी बन गईं और अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी ज्वािइन कर राजनीति में सक्रिय हो गये। डिंपल और अखिलेश के तीन बच्चे हैं। अदिति, अर्जुन और टीना, जिनमें अर्जुन और टीना जुड़वां हैं।

अखिलेश और डिम्पल की शादी में पीएम वाजपेयी हुए थे,शामिल...

वर्ष-2012 का लोकसभा चुनाव अखिलेश फिरोजाबाद और कन्नौज दो जगह से लड़े और दोनों जगह से चुनाव जीते। इसलिए उन्होंने फिरोजाबाद सीट से इस्तीफा दिया और वहाँ उपचुनाव हुए डिम्पल को सपा का प्रत्याशी बनाया गया, परन्तु फिरोजाबाद की जनता ने डिम्पल को नकार दिया और इनके विरोध में उतरे कांग्रेस प्रत्याशी राजबब्बर का साथ दिया और उन्हें ही अपना सांसद चुना। फिर वर्ष-2012 के विधान सभा चुनाव के बाद सपा की पूर्ण बहुमत से बनी सरकार में अखिलेश मुख्यमंत्री बने, जिससे कन्नौज की लोकसभा सीट से उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपनी बहु डिम्पल को लोकसभा में पहुचाने की मजबूत रणनीति तैयार की और डिम्पल को निर्विरोध सांसद बना दिया। यहाँ गौर करने की बात ये है कि जहां सपा को पानी पीकर कोसने का कार्य करने वाली बसपा कोई उम्मीदवार डिम्पल के विरोध में नहीं उतारी। वहीँ कांग्रेस और भाजपा द्वारा भी डिम्पल को निर्विरोध होने दिया। सब दलों ने हाथों में चूड़ियाँ पहनने और मेहदी लगाने का कार्य किया। लोकतंत्र का इससे अधिक और क्या मजाक होगा ?

डिम्पल यादव सांसद,कन्नौज...

अब तो आम जनता को यही मानकर संतोष करना होगा कि वर्ष-2012 में समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत का सम्मान रखते हुए कन्नौज लोकसभा सीट के लिए किसी भी दल के प्रत्याशी ने डिम्पल को चुनावी समर में चुनौती नहीं दी थी। नतीजतन डिम्पल यहां से निर्विरोध जीत गई थीं। उनके पति अखिलेश यादव के इस्तीफे के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ था, मगर वर्ष-2014 के लोकसभा चुनाव में डिम्पल की चुनावी राह मुश्किलों भरी थी, कांग्रेस को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने इस बार दमदार प्रत्याशी उतारकर डिम्पल की घेराबंदी करने का काम किया, फिर भी कन्नौज की जनता ने एक बार डिम्पल भाभी पर भरोसा कर उन्हें संसद भवन पहुँचाया है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने वर्ष-1984 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से विजयश्री प्राप्त की थी, किन्तु वर्ष-1989 के चुनाव में शीला के हारने के बाद से यह सीट कांग्रेस नहीं जीत पाई। वर्ष-2014 में लोकसभा चुनाव के समय क्षेत्र की जनता से भावनात्मक संबंध जोड़ते हुए डिम्पल यादव ने कहा था, “आपके अनुरोध पर मुझे प्रत्याशी बनाया गया है। मैं, आपकी बहू, बेटी और बहुतों की भाभी हूँ। मैं आपका भरोसा कायम रखूंगी।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ डिम्पल यादव...
मुलायम सिंह यादव, उनके पुत्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पुत्रवधु श्रीमती डिम्पल यादव, पत्नी डा. साधना गुप्ता यादव की सम्पत्ति को लेकर सीबीआई जांच चल रही थी, जिसमें सीबीआई साक्ष्य के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगा चुकी है। ये काम कांग्रेस के आशीर्वाद से ही संभव हो सका। जिसके लिए मुलायम सिंह 10 वर्ष केंद्र में संप्रग सरकार के संकटमोचक के रूप में रहे। ये अलग विषय है कि समय-समय पर अपने लाभ के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस की नीतियों को कोसते नजर आये हों। अखिलेश की रैली/जनसभा में कांग्रेस के कारण मंहगाई और भ्रष्टाचार सहित उसकी गलत नीतियों की वजह से ही देश की हालत बद से बदतर होती जा रही है। वहीं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी कहते हैं कि सपा के गुंडाराज में उ. प्र. बहुत पिछड़ गया है। केंद्र का जो पैसा प्रदेश में भेजा जाता है, उसमें जमकर भ्रष्टाचार किया जाता है, जिससे प्रदेश की हालत खराब हो गई है। ये कांग्रेस और सपा की नूराकुश्ती है। चुनाव के समय भी एक-दूसरे का जो इतना ख्याल रखे कि एक-दूसरे की सीट पर उम्मीदवार ही न उतारकर जनता को मूर्ख मानकर सपा और कांग्रेस ये ड्रामा खेलती रही।

 
                                                    

दोनों दल पहले ये तय किये कि एक-दूसरे के सामने कमजोर यानि डमी उम्मीदवार उतारा जाय सोनिया और राहुल के लिए अमेठी और रायबरेली से तगड़ा उम्मीदवार नहीं देने के लिए समाजवादी पार्टी पहले सहमत हुई और इसके एवज में कांग्रेस, मैनपुरी से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और कन्नौज से उनकी बहू डिम्पल यादव के लिए कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी। यही नहीं सूबे की अखिलेश सरकार राहुल और सोनिया के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और अमेठी में 24 घंटे बिजली की आपूर्ती भी देती रही, वो तो भला हो हाईकोर्ट का, जिसके आदेश पर वीवीआईपी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति इस दृष्टिकोण से कि ये बड़े नेता का संसदीय क्षेत्र है, के आधार को नकार दिया। एक समान बिजली देने के लिए उ. प्र. की सरकार को स्पष्ट आदेश भी दिया। सूबे की जनता सपा और कांग्रेस की जुगलबंदी को समझ चुकी है। बस उसे इन्तजार है, अपने-अपने क्षेत्र में चुनावी तिथि का। वर्ष-2014 के लोकसभा के आम चुनाव में उ. प्र. की जनता ने सत्ता परिवर्तन के लिए जैसे कसम खा लिया था। उ. प्र. के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी पत्नी को जिताने में जोर शोर से लगकर उन्हें दिल्ली एक बार फिर से पहुंचा दिया है। 24 अप्रैल को कन्नौज में लोकसभा का चुनाव संपन्न हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने कन्नौज से जहाँ सुब्रत पाठक को अपना उम्मीदवार बनाया था, वहीं बसपा के उम्मीदवार निर्मल तिवारी रहे।

बच्चों के साथ उ प्र के CMअखिलेश यादव व पत्नी डिम्पल यादव...

वर्ष-2012 के लोकसभा उपचुनाव के समय दिए अपने हलफनामे में डिम्पल यादव ने अपनी कुल संपत्ति 9 करोड़, 3 लाख, 45 हजार रुपये घोषित की थी। संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली सांसद निधि का डिम्पल यादव द्वारा पूरे कार्यकाल में महज 73% का भी उपयोग न किया जाना, इनकी नाकामी को दर्शाता है। अखिलेश यादव के फेसबुक और ट्वीटर एकाउंट को चलाना और अपने सौम्य से चेहरे से जनता को बर्गलाना ही सांसद का कर्तव्य नहीं होता। उसके लिए जनता के बीच जनता के लिए कार्य करना पड़ता है, जो डिम्पल यादव के व्यक्तित्व में नहीं है। अखिलेश और डिम्पल प्रेम विवाह किये हैं। दोनों इंटरकास्ट मैरेज कर समाज में ये सन्देश दिए कि जाति-पांति के भेद-भाव से वो दोनों ऊपर हैं। अब सवाल ये उठता है कि प्रेम-विवाह करने वाले अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव के पास 9 करोड़,3 लाख, 45 हजार रुपये आखिर कहाँ से आया...? क्या अखिलेश ने निकाह किया, डिम्पल से जो मेहर के रूप में इतनी बड़ी धनराशि उनके पास हो गयी...? चलिए मान भी लिया जाय कि यदि अखिलेश ही दिए तो ये धनराशि अखिलेश के पास कहाँ से आयी....?

                                                         सांसद कन्नौज, डिम्पल यादव...

वर्ष-2104 के लोकसभा चुनाव के समय दिए अपने हलफनामे में डिम्पल ने अपनी कुल संपत्ति 28 करोड़, 5 लाख, 16 हज़ार घोषित की है। यानि मात्र दो वर्षों में लगभग 20 करोड़ की समपत्ति की बढ़ोत्तरी किन स्रोतों से हुयी ? ये तो वो आंकड़ें है,जो उनके द्वारा घोषित किये गए हैं, जबकि यथार्थ में इससे कहीं बहुत ज्यादा सम्पत्ति इनके पास है। वर्ष-2011-2012 के आयकर रिटर्न में डिम्पल ने अपनी कुल आय 24 लाख, 84 हजार, 541 रुपये और अखिलेश यादव द्वारा कुल आय 36 लाख, 74 हजार, 193 रुपये घोषित की है, जबकि वर्ष-2012-2013 के आयकर रिटर्न में डिम्पल ने अपनी कुल आय 24 लाख, 32 हजार, 919 रुपये और अखिलेश यादव द्वारा कुल आय 37 लाख, 10 हजार, 146 रूपए ही घोषित की है। इतना कुछ होते हुए भी देश की सर्वोच्च संस्था सीबीआई द्वारा साक्ष्य के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट का देना ये साबित करता है कि सीबीआई में सब कुछ ठीक नहीं है। वह कांग्रेस के हाथ की कठपुतली थी। तभी माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने सीबीआई को बंद पिजड़े का तोता तक कह दिया ! वाह रे....! कांग्रेस और सपा, गजब की तेरी जुगल बंदी है !

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