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गुरुवार, 13 जनवरी 2022

आईये जाने कि पाँच साल तक सत्ता की मलाई खाने के बाद आखिरकार योगी सरकार से त्याग पत्र देने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य की विवशता की असली वजह क्या रही

भाजपा की आलोचना करने वाले नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की नैतिकता का पतन हो चुका है, अभी उनकी बेटी संघमित्रा मौर्या बदायूं की सीट से भाजपा की सांसद, स्वामी प्रसाद में तनिक भी नैतिकता बची हो तो उसका भी दिलाये सांसद पद से त्याग पत्र...

बहुरूपिया नेता स्वामी प्रसाद मौर्य...

लखनऊ। उत्तर प्रदेश वर्ष-2022 विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक दलों में बड़ी तेजी से उथल-पुथल मची है। चुनावी पाला बदल एक्सप्रेस बड़ी तेजी से दौड़ रही है। भाजपा, सपा, कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों से नेता पाला बदल एक्सप्रेस पर सवार हो रहे हैं। योगी सरकार से मंगलवार को इस्तीफा देने के बाद चर्चा में आए पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ सुल्तानपुर की एमपी-एमलए कोर्ट ने 24 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य को पेश होने का आदेश देते हुए गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है। बीते 24 घंटे में ही एक पूर्व कैबिनेट मंत्री की किस्मत कुछ यूं पलट गई। एक समय था जब स्वामी प्रसाद मौर्य के लखनऊ आवास पर बसपा कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों द्वारा इतने फल फूल लाये जाते थे कि उनकी पत्नी उसे खराब हो जाने पर आवारा पशुओं को परोस दिया करती थी।


यह सर्वविदित है कि बसपा में टिकट कैडर के नेताओं को छोड़ दिया जाए तो बाकी सीटों पर उम्मीदवारों से टिकट के बदले मोटी थैली लेकर उन्हें टिकट दिया जाता रहा। अबकी बार बसपा में टिकट खरीदने वालों की संख्या में कमी देखी जा रही है। पहले जैसी स्थिति अब बसपा की नहीं रही। उसके मूल मतदाताओं में भाजपा सेंधमारी कर ली है। वर्ष- 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाजवादी पार्टी महासचिव और नेता प्रतिपक्ष थे, तब स्वामी प्रसाद मौर्य ने देवी-देवताओं को लेकर एक विवादित बयान दिया था। विवादित बयान को लेकर अधिवक्ता अनिल तिवारी ने पूर्व श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ परिवाद दायर किया था। इसी मामले में पेश न होने पर बुधवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया। ये कोई नया मामला नहीं है। वारंट पहले ही जारी हुआ था, मगर तब स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट से इस पर स्टे ले लिया था। कोर्ट ने इसी मामले 6 जनवरी को उनको 12 जनवरी को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था।बुधवार को जब हाजिर नहीं हुए तो गिरफ्तारी वारंट को पहले की तरह जारी रखा गया है।


कभी बसपा की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के अति करीबी और पार्टी के मुखर चेहरा  स्वामी प्रसाद मौर्य को वर्ष- 1997, 2002 और वर्ष- 2007 में न केवल हर बसपा सरकार में मंत्री बनाया गया था। हर बार बसपा के सत्ता से बाहर होने पर विपक्ष के नेता भी बनाये जाते रहे। यहां तक कि स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के राष्ट्रीय महासचिव भी बनाए गए, जिससे वे प्रभावी रूप से पार्टी पदानुक्रम में मायावती के लिए नंबर दो बन गए। स्वामी प्रसाद मौर्य पब्लिक फीगर नहीं रहे, फिर भी उन्हें मायावती ने बसपा का प्रदेशध्यक्ष भी बनाया था। प्रदेशध्यक्ष बनकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने अकूत संपत्ति बनाई। धन के मद में इतने मदान्ध हो गए कि वह हिन्दू देवी-देवताओं पर अमर्यादिय टिप्पणी करने से भी बाज नहीं आये। उनकी उस समय बहुत आलोचना हुई थी। भाजपा ने जब स्वामी प्रसाद मौर्य को अपनी पार्टी में शामिल किया और कुशीनगर ने उन्हें टिकट दिया। फिर मंत्री बनाया तो स्वस्थ आलोचक भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की बड़ी खिंचाई की थी।


पब्लिक फीगर न होते हुए भी सिर्फ बसपा सुप्रीमों का पैर छूकर उनकी चरण वंदना कर स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़ी जाति में मौर्य जाति के नेता बन गए थे। हालांकि अपनी भी जाति के लोगों का स्वामी प्रसाद मौर्य कभी भला न कर सके। सिर्फ मौर्य विरादरी में कुछ चिन्हित विरदरियों के यहाँ स्वामी प्रसाद मौर्य पहुँच जाते तो उनकी विरादरी के लोग उसी से प्रभावित हो जाते थे। वर्ष- 2016 में जब विपक्ष के नेता थे, तब पार्टी के टिकटों की नीलामी का आरोप लगाते हुए बसपा को त्याग दिया था। जबकि यही स्वामी प्रसाद मौर्य कभी बसपा के टिकट टेंडर के कर्ताधर्ता हुआ करते थे। बसपा सुप्रीमों मायावती ने स्वामी प्रसाद मौर्य के उस आरोप का खंडन भी किया‌ था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि मौर्य ने इसलिए पार्टी छोड़ा, क्योंकि उनके बेटे और बेटी को टिकट नहीं मिला। जिन सीटों के लिए उन्होंने कथित तौर पर पैरवी की थी। सच बात यह थी कि स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी लड़की को मायावती टिकट दे रही थी। परन्तु स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे और बहू के लिये टिकट देने से मना नहीं किया, बल्कि उस टिकट का जो रेट था उसे पार्टी फंड में जमा करने के लिए बोला था।


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