कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश की होने जा रही है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक दलों की रैलियों/जनसभाओं में अपने फायदे के लिए नेताओं द्वारा इतनी भीड़ एकत्र की जा रही है कि पश्चिम बंगाल की स्थिति से भी बद्तर स्थिति होने की प्रबल सम्भावना है...
वैसे तो हम अपने जीवन के प्रति बहुत ही सजग और जागरूक रहते हैं और अपने और अपने परिवार की जान के प्रति बहुत चिंतित रहते हैं और हर संभव जीवन की रक्षा के प्रति किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करते, फिर भी धार्मिक स्थलों और मेलों में पता नहीं क्यों सबकुछ भूल जाते हैं और जीवन को ही दाँव पर लगा देते हैं, जम्मू में मातारानी वैष्णव देवी के दर्शन के लिए नववर्ष पर भीड़ में भगदड़ से हुई मौत इसका ताजा उदहारण है, ऐसी भीड़ में किसी आतंकी हमले और विस्फोट की जरूरत नहीं है, यहाँ तो भीड़ में भगदड़ ही बड़े हादसे के लिए पर्याप्त है...
बाबा विश्वनाथ धाम में शिव भक्तों की भीड़ से प्रशासन की सारी ब्यवस्था हुई धड़ाम... |
वाराणसी। काशी में बाबा विश्वनाथधाम के भव्य लोकार्पण के बाद दुनिया भर से श्रद्धालु आध्यात्मिक नगरी काशी पहुंंचने लगे हैं। नववर्ष के पहले दिन धाम में उमड़ी अथाह भीड़ के बाद दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहा। लोकपर्ण के बाद से अभी तक लगभग 20 लाख से अधिक श्रद्धालु काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए आ चुके हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ये श्रद्धालुओं की भीड़ प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। दुनिया भर से आ रहे श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सोमवार की सुबह से मंदिर प्रशासन की ओर से वीआईपी दर्शन बंद कर दिए गए हैं और साथ ही मंदिर प्रशासन की ओर से काशी के लोगों से ये अपील भी की गई है कि वह बाहर के श्रद्धालुओं के हुजूम को देखते हुए फिलहाल सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन से बचें। देश की अदालते और सरकारें कहती हैं कि जान हैं तो जहान है। फिर ये भीड़ न तो सरकार को दिख रही है और न ही हाईकोर्ट और सुप्रीम को दिख रही है। जबकि अपनी अदालत को ओमिक्रान के संक्रमण की डर से कोर्ट के कामकाज को वर्च्युअल कर लिया गया है। रही बात सरकार और सिस्टम की तो सरकार चुनावी मूड में है और सिस्टम उसके इंतजाम में ब्यस्त है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है और भगवान भोलेनाथ की नगरी भी वाराणसी, जिसका प्राचीनतम नाम काशी रहा। उस भोले नगरी काशी का कायाकल्प करने के लिए सबसे पहले माँ गंगा जी से सटे बाबा विश्वनाथधाम का भव्य मंदिर और कारीडोर बनाकर उसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर, 2021 को किया था। उसके बाद से एक महीने तक चल रहे महोत्सवों में आने वाली भीड़ के अलावा बाबा के दर्शनो के लिए आ रहे श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ ने सारे रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिए हैं। लगभग 20 लाख श्रद्धालु अब तक काशी विश्वनाथ मंदिर में माथा टेक चुके हैं। इसके मद्देनजर रविवार से नया ट्रैफिक प्लान लागू किया गया। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए श्रद्धालुओं से कोरोना गाइडलाइंस का भी पालन करने के लिए कहा गया है। सभी लोगों से मास्क लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करने का भी अनुरोध किया गया है। भीड़ में कमी आने पर VIP दर्शन-पूजन की व्यवस्था फिर से शुरू कर दी जाएगी। दर्शन पूजन करने आ रहे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए इसे नियंत्रित करने में पुलिस-प्रशासन को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।योगी सरकार कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए रात्रि में कर्फ्यू लगाकर तमाशा करती नजर आ रही है।
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