जिला महिला चिकित्सालय में 24 घंटे दलाली के माध्यम से सरकारी अस्पताल में भर्ती होने के लिए आये ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में बेहतर इलाज का झांसा देकर उन्हें पहुँचाने का जिम्मा मानो ऐसा लिया जाता है जैसे वह सरकारी विभाग में कोई टेंडर डाल रहे हों...
जिला अस्तपाल में विभागीय स्टाफ ही कराता है,दलाली...
जिला अस्पताल महिला में उम्मीद पैथालाजी का एक दलाल नीली शर्ट में गुलाबी शर्ट वाले मरीज के तिमारदार से 2000 रुपये जांच के नाम पर खुलेआम ले रहा है। जिसका इशारा चौक कचेहरी रोड पर स्थित एसबीआई बैंक के बगल उम्मीद पैथालाजी के संचालक के यहाँ जाँच कराना है। चूँकि उम्मीद पैथालाजी नईम की पत्नी परवीन जो महिला हॉस्पिटल सौ बेड वाले में नियुक्त हैं। मजे की बात है कि पत्नी जिला मुख्यालय के जिला महिला अस्पताल जो अब मेडिकल कालेज के रूप में संचालित है और उसकी देखरेख मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल करते हों ! फिर भी उस सरकारी अस्पताल में एक सिस्टर के रूप में तैनात कर्मचारी का पति कचेहरी रोड पर एक पैथालाजी सेंटर स्थापित कर उसके दम उसे संचालित करता हो और मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल और स्वास्थ्य विभाग के मुखिया मुख्य चिकित्साधिकारी प्रतापगढ़ के नाक के नीचे उस पैथालाजी के संचालक दलालों के माध्यम से जिला महिला अस्पताल से खुलेआम मरीजों और उनके तीमारदारों से मिलाकर अपने पैथालाजी में आकर जाँच कराने के लिए कहता हो और बगल में गार्ड बैठकर यह सब खेला देखता हो और वह चुपचाप बैठा रहे।
जिला मुख्यालय पर स्वास्थ्य ब्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है। जिला मुख्यालय पर जितने प्राइवेट अस्पताल संचालित हैं, वह सिर्फ और सिर्फ जिला महिला अस्पताल और जिला पुरुष अस्पताल जो वर्तमन में मेडिकल कालेज के रूप में संचालित है, उनके भरोसे संचालित है। स्वास्थ्य अधिकारीयों के नाक के नीचे स्वास्थ्य विभाग में खुलेआम दलाली कायम है और उस पर नियंत्रण लगाने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। सिर्फ एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर मामले को समाप्त कर दिया जाता है। वर्तमान में सीएमओ प्रतापगढ़ डॉ अरविन्द कुमार श्रीवास्तव और मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ देश दीपक आर्य के बीच कुछ इसी तरह की नूराकुश्ती होते हुए देखने को मिल रही है। तभी तो सरकारी अस्पतालों में पत्नी सिस्टर के रूप में कार्यरत हो और पति बगल में पैथालाजी सेंटर संचालित करके सरकारी अस्पताल से मरीजों और उनके तीमारदारों को बरगलाते हुए अपने पैथालाजी पर जाँच कराने ले जाए और वहाँ उसकी जाँच करके उसे ऐसा डरवाता है कि यदि वह सरकारी अस्पताल में भर्ती करके अपने मरीज का इलाज करवाता है तो उसके मरीज के साथ कोई भी घटना घटित हो सकती है। यहाँ तक कि उसकी जान भी जा सकती है।
जिला महिला अस्पताल से आये मरीजों और उनके तीमारदारों के सामने पैथालाजी में जाँच के बाद रिपोर्ट देते हुए समझाया जाता है कि मामला तो बहुत गड़बड़ हो चुका है। यदि मरीज की जान बचानी है तो मरीज को सरकरी अस्पताल से निकाल कर फला प्राइवेट अस्पताल में उसे भर्ती कर दें, जहाँ उसका बेहतर इलाज हो जाएगा और उसके मरीज की जान बच जायेगी। अब मरीज और उसका तीमारदार तो ये सब सुनकर घबरा जाता है और वह किं कर्तब्य विमूढ़ की स्थिति में पहुँच जाता है। फिर तो वह वही करता है जो पैथालाजी सेंटर वाले उसे समझाते हैं।इस तरह इस कार्य के लिए पैथालाजी सेंटर संचालित करने वाले को डबल फायदा हो जाता है। पहला फायदा उसे जाँच करने का मिल जाता है और दूसरा फायदा उसे मरीजों को मोटिवेट करने के एवज में उस प्राइवेट अस्पताल से मोटा कमीशन मिल जाता है। जिला महिला अस्पताल में तैनात परवीन नाम की सिस्टर के एक फोन पर उम्मीद पैथालाजी का एजेंट आकर जाँच के नाम पर सरकारी अस्पताल पहुँच जाता है और वहाँ आये मरीजों एवं उनके तीमारदारों से 2000 रुपये तक वसूलता है। जब मरीज के साथ आये तीमारदार संतुष्ट हो जाते हैं तब उन्हें पैथालाजी सेंटर लाकर उनकी जाँच की जाती है और जाँच के बाद उन्हें सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में पहुँचा दिया जाता है। इस दलाली के कार्य में विभाग के आशा बहुएं भी जुड़ी हैं, जिन्हें योगी सरकार अब स्मार्ट फोन सहित उनके वेतन आदि सुविधाओं का ख्याल रखते हुए उन्हें और एडवांस बनाने का कार्य किया है।
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