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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

बहुजन समाज पार्टी के घोषित प्रत्याशी पूर्व विधायक संजय तिवारी का हो रहा हैं, विश्वनाथगंज विधानसभा में विरोध, फूंके जा रहे हैं पुतले, लगाये जा रहे हैं, मुर्दाबाद के नारे

विश्वनाथगंज विधानसभा से अशफाक अहमद का टिकट काटकर बसपा उम्मीदवार बनाये जाने पर सदर विधानसभा से विधायक रहे संजय तिवारी का हो रहा है,जमकर विरोध  

विश्वनाथगंज विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी की जमकर हो रही है,छीछालेदर...

प्रतापगढ़ विश्वनाथगंज विधानसभा के बहुजन समाज पार्टी के प्रभारी प्रत्याशी अशफाक अहमद का टिकट कटते ही विधानसभा क्षेत्र के समर्थकों बहुजन समाज पार्टी के युवाओं में बड़ी नाराजगी देखने को मिल रही है इसका मुख्य कारण है कि इनका टिकट काटकर पूर्व विधायक संजय तिवारी को टिकट दिया गया है बस इसकी जानकारी होते ही विधानसभा क्षेत्र में पुतला बनाकर संजय तिवारी मुर्दाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं इनके ऊपर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी के मूल मतदाता को इन्होंने अपने विधायक कार्यकाल में अपमान किया है। बहुजन समाज पार्टी के घोषित प्रत्याशी पूर्व विधायक संजय तिवारी का विश्वनाथगंज विधानसभा क्षेत्र में कई जगह पुतला भी दहन किया गया।  


बहुजन समाज पार्टी के सपोर्टर अपने को बता रहे है उसने पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो को वीडियो बयान में एक दर्द की दास्तां को बयां किया है कि अशफाक अहमद को बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी बनाया जाता है तो बहुजन समाज के लोग सर्व समाज के लोग इन को चुनाव जिताकर विधानसभा भेजेंगे जब अशफाक अहमद का टिकट काटना ही था तो जिलाध्यक्ष लालचन्द्र गौतम द्वारा अशफाक अहमद को प्रत्याशी घोषित क्यों किया गया ? बसपा उम्मीदवार घोषित होने के बाद जब वह बतौर बसपा उम्मीदवार विधानसभा क्षेत्र में तूफानी दौरा करना शुरू किया और लोगों से मिलकर समर्थन माँगना शुरू किया और लोगों का समर्थन उन्हें मिलने लगा तो इसीबीच में 25 जनवरी को अशफाक अहमद को प्रभारी प्रत्याशी पद से हटाकर पूर्व विधायक संजय तिवारी को प्रभारी बनाते हुए उन्हें विश्वनाथगंज का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। 


बसपा की यह पुरानी रीति है कि अपने घोषित उम्मीदवारों को बदलकर दूसरे उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करना। इसके पीछे बसपा पर यह भी आरोप लगते रहे हैं कि उम्मीदवारों से टिकट देने के बदले पार्टी फंड बढ़ाने का यह बेहतर फार्मूला है। जो उम्मीदवार अधिक पार्टी फंड देता है, बसपा उसे टिकट देने में तनिक भी देर नहीं करती।जब पूर्व विधायक संजय तिवारी को एक बार टिकट दिया गया तो उनका टिकट काटकर अशफाक अहमद को क्यों दिया गया ? फिर अशफाक अहमद को जब टिकट दिया गया तो क्या देखकर उन्हें बसपा अपना उम्मीदवार बनाया था ? जिसने पार्टी सुप्रीमों से अशफाक अहमद का टिकट फाइनल करवाया था, उसे क्या यह बात पता नहीं थी कि अशफाक अहमद का ब्यक्तिगत सम्बन्ध कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भईया से भी है ? यदि पता था तो बसपा अशफाक अहमद को पहले टिकट क्यों दिया ? 


ये बहुत सारे सवाल बसपा के लिए गले की फांस के सामान हैं, जिसका उत्तर बसपा के सुप्रीमों के पास नहीं है।सबसे मजेदार बात यह रही कि आज बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष लालचन्द्र गौतम द्वारा अशफाक अहमद पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाकर उन्हें पार्टी से निष्कासित भी कर दिया गया। इस कार्यवाही से बहुजन समाज पार्टी के समर्थकों में दो फाड़ होना शुरू हो गया है। बसपा के कुछ कार्यकर्ताओं में भयंकर रोष भी देखा गया। बसपा संगठन में भी दरार हो सकती है। मुस्लिम मतदाता इससे बसपा से दूरी बना सकते हैं। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है और इसका सीधा नुकशान बसपा उम्मीदवार पूर्व संजय तिवारी को उठाना पड़ सकता है। यदि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से अशफाक अहमद उम्मीदवार होकर विश्वनाथगंज से चुनाव लड़ जाते हैं तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का सत्यानाश होने से कोई बचा भी नहीं सकता। अशफाक अहमद चुनाव तो नहीं जीत सकेंगे, परन्तु समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए नुकसानदायक अवश्य साबित होंगे, सारा फायदा  भाजपा उम्मीदवार को होगा 


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