जनपद की राजनीति मे सूखे के हालात से गुजर रही कांग्रेस को आशीष सिंह से हैं,काफी उम्मीदें
आशीष सिंह बने हरदोई के सदर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी...
हरदोई। यूपी चुनाव में विजय हासिल करने के उद्देश्य से ताल ठोंक रहे सभी दलों के बाद अब कांग्रेस पार्टी ने भी हरदोई जिले में पांच सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने हरदोई जिले से जिन पांच उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी की है। उनमें सदर विधानसभा से निवर्तमान कांग्रेस जिलाध्यक्ष आशीष सिंह सोमवंशी का नाम भी शामिल है। आशीष सिंह सोमवंशी की गिनती जिले तेजतर्रार नेताओं में होती है और वह हरदोई के राजनैतिक क्षत्रप मानें जाने वाले अग्रवाल पर परिवार तीखी सियासी चुटकियां लेने के लिए भी जाने जाते हैं। अग्रवाल परिवार से इस बार भी नितिन अग्रवाल भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में है तो वहीं कांग्रेस ने आशीष पर दांव चलकर एक बड़ा सियासी संदेश हरदोई की जनता को देने का प्रयास किया है। कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में आशीष के मैदान में आने से अब हरदोई सदर की राजनीति में सियासी जुबानी जमाखर्च बढ़ने की सम्भावनाएं प्रबल होने लगी है।
भाजपा से जीत की हैट्रिक लगाने वाले नितिन अग्रवाल, सपा से पूर्व विधायक अनिल वर्मा के साथ अब कांग्रेस प्रत्याशी आशीष सिंह विधानसभा पहुंचने के लिए ताल ठोंकते हुए दिखाई देंगे। आशीष सिंह का राजनैतिक सफर की बात करें तो सदर से कांग्रेस प्रत्याशी बनाये गए आशीष सिंह ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूआत छात्र जीवन से ही कर ली थी। वह वर्ष- 2002 में डिग्री कालेज से छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़कर की थी। कहते हैं कि उसके बाद उन्होनें फिर पीछे मुड़कर नही देखा। कांग्रेस जिलाध्यक्ष आशीष सिंह वर्ष- 2004 से वर्ष- 2008 तक एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष, वर्ष- 2008 से वर्ष- 2009 तक जिला महासचिव व वर्ष-2010 से कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनने तक युवा कांग्रेस के लोकसभा अध्यक्ष भी रहे है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल स्वर्णिम रहा और उन्होंने हरदोई कांग्रेस को मजबूत करने के लिए तमाम कठोर निर्णय भी किये। उधर समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक अनिल वर्मा को उतारकर बीजेपी प्रत्याशी नितिन अग्रवाल की मुश्किलें पहले ही बढ़ा रखी है । इस विधानसभा सीट में पासी बिरादरी के मतदाता सबसे अधिक हैं। अनिल वर्मा इसी बिरादरी से ही आते हैं। वही मुस्लिम वोट भी सपा अपना मान रही है। ऐसे में कुछ अन्य जातियों का भी सपा को समर्थन मिला तो निश्चित तौर पर नरेश के गढ़ में सेंध लग सकती है।
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