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सोमवार, 6 दिसंबर 2021

उत्तर प्रदेश में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी इस्लाम छोड़कर हिन्दू बनने से सियासत में भी आई गर्माहट

अपना धर्म और मज़हब इंसान तभी छोड़ता है,जब उसे वहाँ घुटन महसूस होने लगती है, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी को भी इस्लाम में घुटन महसूस होने लगी, तभी इस्लाम छोड़कर वह सनातन धर्म को स्वीकार किये 

 इस्लाम छोड़कर हिन्दू बने वसीम रिजवी... 

उत्तर प्रदेश के प्रमुख मुस्लिम चेहरों में शामिल रहे शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी इस्लाम धर्म छोड़कर आज से हिन्दू बन गए हैं। आज गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सनातन धर्म में शामिल कराया वसीम रिजवी ने कहा कि मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है, हमारे सिर पर हर शुक्रवार को ईनाम बढ़ा दिया जाता है। आज मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं। वसीम रिजवी ने इस मौके पर कहा, ''धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन-सा धर्म स्वीकार करूं सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, और किसी धर्म में नहीं हैं इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते हर जुमे को नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं। फिर ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, हमको खुद शर्म आती है'' 

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी...

वसीम रिजवी के सनातन धर्म में आने से राजनीति में हलचल मच गई है। इसे लोग घर वापसी बता रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे वसीम रिजवी खुद एक शिया मुस्लिम हैं। वसीम रिजवी वर्ष-2000 में पुराने लखनऊ के कश्मीरी मोहल्ला वॉर्ड से समाजवादी पार्टी (सपा) के नगरसेवक चुने गए। वर्ष-2008 में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य बने। वर्ष-2012 में शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में हेरफेर के आरोप में घिरने के बाद सपा ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की और वहां से उन्हें राहत मिल गई। हाल ही में वसीम रिजवी ने तब एक वीडियो जारी कर कहा था कि उनकी हत्या करने और गर्दन काटने की साजिश रची जा रही है। इस वीडियो संदेश में उन्होंने कहा था, ‘मेरा गुनाह सिर्फ इतना है कि मैंने कुरान की 26 आयतों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, मुसलमान मुझे मारना चाहते हैं और ऐलान किया है कि मुझे किसी कब्रिस्तान में जगह नहीं देंगे, इसलिए मरने के बार मेरा अंतिम संस्कार कर दिया जाए।’

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