Breaking News

Post Top Ad

Your Ad Spot

गुरुवार, 23 दिसंबर 2021

सार्वजानिक जीवन में आपसी रिश्ते के भी बदल गए भाव, अब उसके मायने में भी बदल गए, राजनीतिक सुगंध लेने की बढ़ रही चलन

गुज़रा हुआ ज़माना,आता नहीं दुबारा,हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा...

मुलायम के परिवार में बेटे और बहू को आशीर्वाद देने पहुँचे थे,पीएम मोदी...

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वो सिंह हैं, मुलायम भी हैं, यारो के यार भी हैं, उनके लिए दल से ज्यादा दिल मायने रखता है, जो भी प्यार से उनसे मिला वो उसी के हो गए। उन्होंने रिश्ते की राह में राजनीति को कभी आड़े नहीं आने दिया। न भाजपा से गुरेज किया, न संघ से गुरेज किया, न्योता मिला तो पहुंच गए। समाजवादी पार्टी के संस्थापक धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव का मिजाज कुछ इसी तरह ही हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक व पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव मंगलवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निवास पर एक मांगलिक कार्यक्रम में शामिल हुए। ऊपर वाले ने ऐसा संयोग बनाया कि मुलायम सिंह यादव संघ प्रमुख मोहन भागवत की बगल में ही बैठ गये। आम तौर पर शादी-विवाह से जुड़े कार्यक्रमों में राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं होती है और होनी भी नहीं चाहिए

वेंकैया नायडू के निवास पर एक मांगलिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे,मुलायम सिंह...

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव- 2022 में अपनी खोई हुई बंजर जमीन को दिन रात तलाश रही कांग्रेस ने इसे सियासत का मुद्दा बना डाला। कांग्रेस ने तो सपा की नयी परिभाषा ही गढ़ डाली। कांग्रेस, सपा में 'स' का मतलब संघवाद। क्या दो विरोधी दलों के नेता शादी-विवाह के अवसर पर भी नहीं मिल सकते ? क्या किसी पारिवारिक समारोह में दो विरोधी नेता अगल-बगल नहीं बैठ सकते ? क्या चुनावी फायदे के लिए कांग्रेस सामाजिक शिष्टाचार भी भूल ग‌ई ? क्या उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने फायदे और सपा के नुकसान के लिए कांग्रेस ये मुद्दा उछाल रही है ? वैवाहिक कार्यक्रमों या मांगलिक कार्यों को अगर राजनीतिक आंकलन का आधार बनाया गया तब तो इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव को भाजपाई मानना पड़ेगा


भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता अरुण जेटली छात्र नेता के रूप में ही मशहूर हो चुके थे और इमरजेंसी के खिलाफ उनकी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका थी। इंदिरा गांधी की निरंकुश वाली सत्ता का खुलेआम विरोध किया था। वर्ष-1982 में अरुण जेटली की शादी कांग्रेस के पूर्व सांसद और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री गिरधारी लाल डोगरा की पुत्री संगीता से हुई थी। इंदिरा गांधी उस समय भारत की प्रधानमंत्री थीं। राजनीतिक तौर पर जेटली और इंदिरा एक दूसरे के धुर विरोधी थे, लेकिन इसके बाद भी इंदिरा जेटली की शादी में शामिल हुईं थीं।

दिवंगत भाजपाई नेता अरुण जेटली की शादी में वाजपेयी से मिली थी, इंदिरा गांधी...

इस दौरान वहां पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी भी वहां मौजूद थे। इंदिरा अटल बिहारी से भी बड़ी गर्मजोशी के साथ मिलीं थीं, मिले भी क्यों न, खुशी का मौका जो था। अटल बिहारी और इंदिरा ने आमने-सामने बैठ कर काफी देर तक बातें भी की थीं। इंदिरा का एक भाजपा नेता की शादी में शामिल होना, अटल बिहारी से बात करना क्या राजनीति का परिचायक था, इसके आधार पर क्या कांग्रेस के 'स' को संघवाद मान लेना चाहिए, लेकिन गनीमत है कि उस दौर में आज की तरह राजनीति नहीं होती थी।


भारतीय जनता पार्टी के नेता नितिन गडकरी ने वर्ष- 2012 में बेटे सारंग की शादी की रिशेप्शन पार्टी दी थी। ये रिशेप्शन पार्टी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में थी। उस समय भारत के डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। डॉ मनमोहन सिंह अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच इस रिशेप्शन पार्टी में शामिल होने के लिए समय निकाला था। डॉ मनमोहन सिंह, गड़करी के बेटे और बहू को आशीर्वाद देने पहुंचे थे। जब वर-वधू ने पैर छूकर मनमोहन सिंह को प्रणाम किया तो उनके जैसा गंभीर व्यक्ति भी भाव विह्वल हो उठा। डॉ मनमोहन सिंह ने वधू के सिर पर हाथ रख कर अपना आशीर्वाद दिया था। इसके बाद अरुण जेटली, डॉ मनमोहन सिंह के पास पहुंच गये और बात करते हुए आगे बढ़े। 

नितिन गडकरी के बेटे और बहू को आशीर्वाद देते तत्कालीन पीएम डॉ मनमोहन सिंह...

डॉ मनमोहन सिंह ने सुषमा स्वराज को बैठा देखकर वहां रुक गये और उनके बगल में जाकर बैठ गये और उनकी दूसरी तरफ अरुण जेटली बैठ गये। अगल-बगल जेटली और सुषमा स्वराज और बीच में डॉ मनोहन सिंह रहे। इसके बाद सुषमा स्वराज, डॉ मनमोहन सिंह से बात करने लगीं। डॉ मनमोहन सिंह कभी सुषमा स्वराज की तरफ देखकर कुछ कहते तो कभी जेटली की तरफ देखकर कर कुछ कहते। भाजपा के दो दिग्गज नेताओं के बीच कांग्रेस के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का यूं बैठने पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया, ध्यान दें भी कोई ? क्योंकि मौका खुशी का था, जश्न का था, दावत की थी। ऐसे में भला किसे फिक्र थी पॉलिटिक्स की। तब तो किसी ने नहीं कहा कि डॉ मनमोहन सिंह भाजपाई हो गये। 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Top Ad

Your Ad Spot

अधिक जानें