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सोमवार, 27 दिसंबर 2021

कानपुर से कन्नौज तक फैले इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों से नगदी मिलने का सिलसिला अभी भी जारी, 300 करोड़ रुपए तक पहुंची नकदी धनराशि

आयकर विभाग को एक साथ नोटों की चार गड्डियां गिनने वाली मंगानी पड़ी मशीन...


इतनी धन दौलत के मालिक पीयूष जैन को काकादेव पुलिस थाने के फर्श पर सोना पड़ा, इसके बाद भी पुलिस वाले और आयकर विभाग ने अभी तक गुटखा कारोबारियों के नाम तक उजागर नहीं करा सके...


सादगी देखनी हो तो कोई कनपुरिया पीयूष जैन की देखे, घर में 300 करोड़ रुपया नकद, 250 किलो चांदी, 25 किलो सोना रखा हुआ था, लेकिन बंदा न तो फार्च्यूनर से चलता था, न ही स्कार्पियो से... पीयूष जैन के घर में एक 15 साल पुरानी टोयटा क्वालिश गाड़ी थी और पीयूष जैन खुद एक बाइक से नियमित चलता था और यहां लोगों के पास 5 लाख आ जाएं तो क्रेटा फाइनेंस करा लेते हैं...

 

पियूष जैन के यहाँ प्राप्त नगदी में गुटखा कारोबारियों की भूमिका सदिग्ध...

उत्तर प्रदेश के कानपुर से लेकर कन्नौज तक इत्र का कारोबार फैलाकर करोड़ों रूपये अभी तक जब्त कराने वाला बहुचर्चित इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों से अब तक 300 करोड़ रुपए से अधिक की नगदी बरामद की जा चुकी है। इत्र कारोबारी के ठिकानों से नोटों का मिलना लगातार जारी है। इसलिए अब आयकर विभाग और जीएसटी इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने एक साथ नोटों की चार गड्डियां गिनने वाली मशीन मंगाई है। पहले एक समय में एक गड्डी की कितनी हो रही थी। इसमें समय अधिक लग रहा था। अब मशीन में चार गड्डियां एक साथ डाली जाती है। यही वजह है कि अब नगदी का आंकड़ा 300 करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है। जानकारों के अनुसार किलो में सोना और चांदी भी मिली है। चांदी तो बोरियों में भरी मिली है। गंभीर बात यह है कि नगदी और सोना-चांदी मिलने का सिलसिला अभी भी जारी है।  


यह पहला अवसर है कि एक कारोबारी के ठिकानों से 300 करोड़ रुपए की नगद राशि मिली हो ! इतनी भारी मात्रा में नकदी का मिलना आयकर विभाग के अधिकारियों की सत्यनिष्ठा पर भी सवाल खड़ा करता है। जबकि कानपुर में आयकर विभाग की प्रवर्तन टीम मौजूद रहती है  जीएसटी इंटेलिजेंस ने इत्र कारोबारी पीयूष जैन को 26 दिसंबर को ही गिरफ्तार कर लिया था। इतनी धन दौलत के मालिक पीयूष जैन ने 26 दिसंबर की रात कानपुर के काकादेव पुलिस स्टेशन के फर्श पर गुजारी। पुलिस ने जैन को लॉकअप में रखने के बजाए थाने के इंस्पेक्टर के कक्ष में सुलाया। जमीन पर बिछाने के लिए एक दरी और ओढ़ने के लिए एक चद्दर दिया। पुलिस कर्मियों को भी इस बात पर आश्चर्य हो रहा था कि जो पीयूष जैन अपने घर में सोने चांदी के पलंग और नोटों की गड्डियों पर सोता रहा, उसे आज पुलिस थाने के फर्श पर सोना पड़ रहा है। 


सूत्रों के अनुसार पीयूष जैन इत्र बनाने का काम नहीं करता है। वह सिर्फ इत्र निर्माताओं से इत्र खरीदकर उत्तर प्रदेश के गुटखा कारोबारियों को सप्लाई करता है। पीयूष जैन की भूमिका गुटखा कारोबारियों और इत्र निर्माताओं के बीच दलाल की है। लेकिन इत्र निर्माताओं और गुटखा कारोबारियों का भरोसा पीयूष जैन पर है। गुटखा बनाने में इत्र के फ्रेग्रेंस की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। सुगंध से ही यह पता चलता है कि गुटखा रजनीगंधा का है या पान पराग का। पीयूष जैन शिखर गुटखा को भी उसके ग्राहकों के मिजाज के अनुरूप फ्रेग्रेंस की सप्लाई करता है। चूंकि कन्नौज में इत्र का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है और कानपुर में देश के मशहूर गुटखा कंपनियों की फैक्ट्रियां हैंइसलिए पीयूष जैन के कन्नौज और कानपुर दोनों जगह ठिकाने हैं। जीएसटी इंटेलीजेंस के अधिकारी भी मानते हैं कि इतनी नगदी और सोना-चांदी अकेले पीयूष जैन की नहीं हो सकती।


जाँच एजेंसियों को आशंका है कि इसके पीछे गुटखा कारोबारियों की भूमिका है। हो सकता है कि बरामद नगदी के मालिक गुटखा कारोबारी भी हों। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत 20 दिसंबर को जीएसटी इंटेलिजेंस की गुजरात शाखा ने एक मशहूर गुटखे के दो ट्रक अहमदाबाद में जब्त किए थे। तब यह मामला जीएसटी चोरी का था। लेकिन बाद में पीयूष जैन की भूमिका सामने आई तो इंटेलिजेंट ने सबसे पहले जैन के कन्नौज स्थित आवास पर जांच पड़ताल की। यह जांच पड़ताल 23 दिसंबर को शुरू हुई थी और 27 दिसंबर तक जैन के ठिकानों से नगदी मिलने का सिलसिला जारी है। अब इंटेलिजेंट के अधिकारी पीयूष जैन को रिमांड पर लेकर आगे की जांच पड़ताल करेंगे। इत्र कारोबारी पियूष जैन के यहाँ नकदी देखकर नोयडा में इंजीनियर के यहाँ छापेमारी की याद ताजा हो गई। इसी तरह इंजीनियर यादव सिंह के घर के बाहर खड़ी कबाड़ गाड़ियों में भी भारी मात्रा में नकदी मिली थी, फिर भी देश का सिस्टम उससे सबक नहीं लिया। आज इंजीनियर यादव सिंह अदालत से जमानत कराकर मौज से घूम रहा है

 

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