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मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

पुलिस सबसे ईमानदार, पैसा लेती है तो काम भी करती है, बोलकर फंसे उन्नाव के दारोगा

सार्वजनिक रूप से रिश्वतखोरी की तरफदारी करने वाले दरोगा को आनन-फानन में किया गया,सस्पेंड...

रिश्वत लेने की बात की तरफदारी करते दरोगा जी...

उन्नाव। पुलिस की इमानदारी में कसीदे पढ़ने वाले उन्नाव के एक दरोगा बुरे फंस गए। उनका वीडियो वायरल होते ही उनकी सार्वजानिक तौर पर फजीहत शुरू हो गई। मामला संज्ञान में आने पर पुलिस के उच्चाधिकारियों ने तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित कर दिया है। हैरान करने वाली बात यह है कि वह वीडियो में देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को पुलिस की ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे हैं। उनसे कह रहे हैं कि पुलिस सबसे ईमानदार होती है। यदि पुलिस पैसा लेती है तो काम भी करती है। पुलिस विभाग में आलाधिकारी चाहे जितनी नसीहत और सीख दें, लेकिन मातहत फजीहत कराने से पीछे नहीं हटते हैं। फिर चाहे पूरे विभाग की ही छवि क्यों न धूमिल हो जाए। ऐसा ही एक मामला उन्नाव में उस सामने आया है, जब एक दरोगा ने बच्चों की पाठशाला में पुलिस की ईमानदारी के कसीदे पढ़ते हुए फंस गए। उनका वीडियो भी इंटरनेट मीडिया के वाट्सएप, फेसबुक समेत सभी प्लेटफार्म पर तेजी से वायरल हो रहा है।  


सार्वजनिक रूप से सच बोलकर फंसे उन्नाव के दरोगा...

मामला कुछ यूं है कि बीघापुर थानाक्षेत्र के लक्ष्मी नारायण स्कूल में 26 नवंबर को पुलिस की पाठशाला का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में तत्कालीन एसओ जेबी पांडेय को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। स्कूली बच्चों व आमजन को संबोधित करते हुए वह विभाग और पुलिस की कार्यशैली की जानकारी दे रहे थे।वायरल वीडियो में दरोगा उमेश त्रिपाठी बच्चों को संबोधित करते नजर आ रहे हैं। वह कह रहे हैं कि पुलिस से ईमानदार कोई विभाग नहीं है। पुलिस अगर आपसे पैसे लेती है तो वह काम भी करती है। जबकि अन्य विभागों में ऐसा नहीं है अन्य विभागों में वहां के लोग पैसा लेने के बाद भी काम के लिए दौड़ाते रहते हैं। इसका वीडियो सोमवार को वायरल हो गया, जिसने भी वीडियो देखा तो एक बारगी हंस पड़ा। वहीं वायरल वीडियो को लेकर दरोगा उमेश त्रिपाठी ने कहा है कि उन्हाेंने सरकार से मिलने वाली सैलरी जो जनता के पैसे होते हैं, उसकी बात की थी। वीडियो को काट-छांटकर और तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। एसपी दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है प्रथम दृष्टया दारोगा को निलंबित कर दिया गया है। उसके कहने का जो भी उद्देश्य रहा हो, लेकिन कहने का तरीका सही नहीं लग रहा है।


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