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रविवार, 24 फ़रवरी 2019

प्रतापगढ़ के सपा जिला महासचिव रमेश कुमार यादव का कारनामा,फेंक पते पर अपराध को छिपाकर शस्त्र लाइसेंस की करा ली थी,स्वीकृति

जनपद प्रतापगढ़ को माफियाओं ने शस्त्र लाईसेंस प्राप्त करने का बनाया था,सुरक्षित स्थान। जनप्रतिनिधियों और माफियाओं ने अपने गुर्गों के नाम से बनवा लिए,कई शस्त्र लाईसेंस...!!!

कोतवाली नगर के अलग-अलग मुहल्ले से फेंक पते पर दिये गए हैं,शस्त्र लाईसेंस,जिलाधिकारियों द्वारा प्रतापगढ़ में समय-समय पर रेवड़ी की तरह बाँटे गए,शस्त्र लाईसेंस...!!!

अब शस्त्र लाईसेंस भी बन चुका है,स्टेट्स सिम्बल ! सपा महासचिव रमेश कुमार यादव ने झूठा हलफनामा देकर कोंहडौर थाना में दर्ज मुकदमें और मूल पता छिपाकर फेंक पते पर वर्ष-1995 में लिया,शस्त्र लाईसेंस....!!!

DBBLगन की पासबुक...

प्रतापगढ़। जब व्यक्ति के पास धन आ जाता है तो वो धन बल के साथ-साथ बाहुबली बनना चाहता है। सबसे पहले वो शस्त्र लाईसेंस के लिए जिलाधिकारी के कार्यालय में शस्त्र पत्रावली तैयार कराकर एन-केन-प्रकारेण शस्त्र लाईसेंस प्राप्त कर लेना उस व्यक्ति की पहली प्राथमिकता होती है। एक शस्त्र प्राप्त करने में सामान्य व्यक्ति को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। शस्त्र लाईसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया की बात करें तो तीन प्रतियों में शस्त्र पत्रावली तैयार होती है। आवेदक को अपना मूल पता और अपराध के संबंध में एक हलफनामा देना होता है। 


असलहा बाबू के पास पत्रावली जमा हो जाती है, जिसमें एक सेट पुलिस विभाग तो दूसरा सेट राजस्व विभाग को अग्रसारित कर रिपोर्ट के लिये भेज दिया जाता है। राजस्व विभाग में हल्का लेखपाल और राजस्व अमीन से रिपोर्ट लगते हुए कानून गो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार एवं उप जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट लगकर पत्रावली अपर जिलाधिकारी के पटल से जिलाधिकारी के समक्ष राजस्व विभाग की रिपोर्ट पहुँचती है। ठीक वैसे ही पुलिस महकमें में संबंधित थाना से रिपोर्ट तैयार होकर CO सर्किल से रिपोर्ट लगकर अपर पुलिस अधीक्षक के पटल से पुलिस अधीक्षक के पटल से जिलाधिकारी के समक्ष रिपोर्ट पहुँचती है।

 सपा नेता रमेश यादव का स्वीकृत किया गया था,शस्त्र लाइसेंस... 

आवेदक के अपराध और उसके चरित्र के सत्यापन हेतु DCRB से भी रिपोर्ट लगती है,परन्तु सत्ता की हनक वाले आवेदक इन व्यवस्थाओं से ऊपर उठकर अपनी रिपोर्ट अपने ढंग से लगवाकर शस्त्र प्राप्त कर लेते हैं। ऐसा ही एक प्रकरण कोतवाली नगर के सहोदरपुर पूर्वी के फेंक पते से सपा के जिला महासचिव रमेश कुमार यादव ने झूठा हलफनामा देकर और अपना मूल पता एवं अपराध छिपाकर शस्त्र लाईसेंस प्राप्त कर लिया। जबकि रमेश कुमार यादव मूलतः लाखीपुर बोझवा,पोस्ट बाँसुपुर,  थाना-कोंहडौर,तहसील-पट्टी,जनपद-प्रतापगढ़ का है। 


थाना कोंहडौर में रमेश कुमार यादव पुत्र स्व जगन्नाथ यादव के विरुद्ध अपराध पंजीकृत था,सो उन्होंने सपा सरकार में अपनी राजनीतिक पहुँच के बल पर वर्ष- 1995 में कोतवाली नगर के पूर्वी सहोदरपुर से शस्त्र लाईसेंस प्राप्त करने में सफल रहा। सवाल ये उठता है कि इतनी व्यवस्था में सेंधमारी कर कोई कैसे झूठा शपथपत्र देकर शस्त्र लाईसेंस प्राप्त कर लेता है ? जनपद प्रतापगढ़ में अकेले कोतवाली नगर से किराएदार बनकर माफियाओं के गुर्गों ने अपने आका से शस्त्र लाईसेंस करा लिया था,जिसकी दो दशक पहले जाँच हुई तो तत्कालीन नगर कोतवाल की गर्दन भी फंसी थी जो बाद में आदतन ठंडे बस्ते में चली गई।

14 मार्च, 1995 को फेंक पते पर जारी किया है,शस्त्र लाइसेंस...

सपा महासचिव रमेश कुमार यादव के शस्त्र लाईसेंस की नकल भाजपा नेता लल्लूराम गुप्ता (जो उन्हीं के गाँव का रहने वाला है) ने निकलवाई तो इस रहस्य का खुलासा हुआ। लल्लूराम गुप्ता ने जिलाधिकारी प्रतापगढ़, मंडलायुक्त, गृह सचिव, उ प्र, डीजीपी, एडीजी जोन, पुलिस अधीक्षक सहित मुख्यमंत्री उ प्र एवं सचिव, केंद्रीय गृह मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली तक से शिकायत की है। रही सही कसर उस वक्त पूरी हो गई जब लल्लूराम गुप्ता की शिकायत को भाजपा जिलाध्यक्ष ने संज्ञान लेकर कार्रवाई हेतु अपना कवरिंग लेटर लगाकर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ को प्रेषित किया है। 


अब देखना है कि नवागंतुक जिलाधिकारी प्रतापगढ़ मार्कंडेय शाही झूठा शपथपत्र देकर शस्त्र लाईसेंस प्राप्त करने वाले सपा महासचिव रमेश कुमार यादव के शस्त्र लाईसेंस को निरस्त कर उनके विरुद्ध झूठा शपथपत्र देने के आरोप में मुकदमा लिखवाते हैं अथवा राजनीतिक दबाव में प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। नवागंतुक जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही जी पदभार ग्रहण करते समय मीडिया के समक्ष इस बात की घोषणा की है जिले के शस्त्र की दुकानों का सत्यापन होगा और शस्त्र प्राप्त करने वाले अपराधियों का भी सत्यापन किया जायेगा। अब देखना है कि नवागंतुक जिलाधिकारी अपनी बात को कितना धरातल पर उतार पाते हैं...???


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