मूल ठेकेदार शकील हैदर और प्रतापगढ़ सांसद कुंवर हरिवंश सिंह (कथित पेटी कान्ट्रैक्टर)के डील में पिस रहे हैं,सामानों की आपूर्ति करने वाले सप्लायर...!!!
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वर्ष-2010 में शुरू हो गया था,चिलबिला ओवर ब्रिज...
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कहते हैं जिससे जन्मते नहीं बनता, उससे मरते भी नहीं बनता। वही हाल चिलबिला ओवरब्रिज निर्माण का है। वर्ष 2009 के चुनावी वर्ष में चिलबिला ओवर ब्रिज के निर्माण का शिलान्यास तत्कलीन सपा सांसद अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी द्वारा रेलवे मंडल लखनऊ के डी आर एम चिलबिला रेलवे स्टेशन पर सैलून के साथ आकर रुके और सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में चिलबिला ओवर ब्रिज का शिलान्यास गोपाल जी द्वारा किया गया। कुछ दिनो बाद लोकसभा का चुनाव हुआ तो चुनाव परिणाम में गोपाल जी चुनाव हार गए और प्रतापगढ़ सांसद के रूप में कालाकांकर की राजकुमारी रत्ना सिंह को प्रतापगढ़ की सम्मनित जनता ने अपना भाग्य विधाता बनाया। सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह ने ये कहते हुए फिर से चिलबिला ओवर ब्रिज का शिलान्यास किया कि पूर्व में चिलबिला ओवर ब्रिज निर्माण की कोई पत्रावली पास ही नहीं हुई फिर पूर्व में तत्कलीन सांसद गोपाल जी द्वारा किया गया ओवर ब्रिज का शिलान्यास महज चुनावी स्टंट रहा। सवाल ये कि गोपाल जी का चुनावी स्टंट तो समझा जा सकता है, पर डी आर एम की मौजूदगी वो भी पूरी सैलून के साथ समझ के परे रही।
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चिलबिला ओवरब्रिज पर फर्राटे भरते लोग...
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रेल लाइन के ऊपर पुल का निर्माण वर्ष 2010 में शुरू हो गया। जिनकी जमीन भारत सरकार अधिग्रहीत की उसे उसका मुवावजा भी मिल गया। अब जनपद वासियों के मन में चिलबिला ओवर ब्रिज निर्माण को लेकर आस जग गई कि देर सबेर अब उसे ओवर ब्रिज की सौगात मिल ही जायेगी। व्यवस्था जनित भ्रष्टाचार में जनप्रतिनिधि तो अपना हिस्सा लेकर किनारे हो लेता है,मरते हैं भ्रष्ट अफसर और अधिक से अधिक कमीशन की लालच देकर ठेका लेने वाला भ्रष्टतम ठेकेदार। चिलबिला ओवर ब्रिज निर्माण में भी यही खेल हुआ। ओवर ब्रिज निर्माण का ठेका प्राप्त करने वाला ठेकेदार शकील हैदर चिलबिला ओवर ब्रिज सहित भुपियामऊ से पॉलटेक्निक तक इलाहाबाद-फैजाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ इंटर लाकिंग लगाकर सड़क को चौड़ा करने का कार्य तो हथिया लिया पर कमीशनखोरी में बर्बाद होने के बाद एक भी कार्य वो समय से सम्पन्न न कर सका। होते जाते 5 वर्ष का समय बीत गया और फिर चुनाव की बिगुल बज गई। इस बार चुनाव में भाजपा और अपना दल के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे पड़ोसी जनपद जौनपुर के शिक्षा जगत के व्यवसाई और आर्थिक राजधानी मुम्बई में बिल्डर का कार्य करने वाले कुंवर हरिवंश सिंह को अपना भाग्य विधाता मान कर उन्हें मोदी के नाम पर सांसद चुन लिया।
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बहुप्रतीक्षित चिलबिला ओवर ब्रिज बनकर तैयार तो हुआ पर इसमें अभी भी बहुत खामियां हैं...
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सांसद चुने जाने के बाद कुंवर हरिवंश सिंह चिलबिला ओवर ब्रिज के लिये काफी संजीदा दिखे। वैसे अनुपलब्ध सांसद कुंवर साहेब जब भी प्रतापगढ़ की धरती पर कदम रखे तब तब वो चिलबिला ओवर ब्रिज की बात करना नहीं भूले। कई बार वो चिलबिला ओवर ब्रिज का निरीक्षण करने मौके पर भी वो पहुंचे जहाँ अभियंता और ठेकेदार को सार्वजनिक रूप से डांटा भी। बाद में इस बात की कलई खुल गई कि चिलबिला ओवर ब्रिज का कार्य सांसद कुंवर हरिवंश सिंह अपनी देखरेख में लेकर करा रहे हैं। चूंकि मूल ठेकेदार शकील हैदर डिफाल्टर हो चुका था। उसके बस में कार्य करा पाना सम्भव नहीं था । लिहाजा सांसद कुंवर हरिवंश सिंह अपने रिश्तेदार बाबा और अपने भतीजे राना सिंह को लगाया और खुद पेटी कांट्रैक्टर बन बैठे और मूल ठेकेदार शकील हैदर के कार्य को किसी तरह निपटाया। अब बारी आई भुगतान की तो उसमें नाटक शुरू हुआ। चिलबिला ओवर ब्रिज में जिन व्यवसाईयों से सप्लाई ली गई उन्हें अब भुगतान के लाले पड़ गए। लाखों रुपए की गिट्टी/मोरंग एवं सीमेंट की सप्लाई लेकर सांसद कुंवर हरिवंश सिंह(कथित ठेकेदार) व उनके रिश्तेदार बाबा एवं समरेंदर सिंह अब अपना मोबाईल भी नहीं उठा रहे हैं।
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प्रतापगढ़ सांसद कुंवर हरिवंश सिंह (कथित पेटी कान्ट्रैक्टर)...
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इस ओवरब्रिज में मूल ठेकेदार शकील हैदर और पेटी कांट्रैक्टर प्रतापगढ़ के सांसद कुंवर हरिवंश सिंह के बीच क्या डील हुई ये तो वही दोनों जाने,पर जिन लोगों ने अपने सामान की सप्लाई दी वो बुरे फंस गए हैं। अब उनकी दशा सांप और छछूंदर जैसी हो गई है। ओवर ब्रिज में मिट्टी की सप्लाई करने वाले लोगों का भी लाखों रुपए फंसा पड़ा है। गैस वालों का लाखों रुपए उधार है। सबसे अजीब तब लगा जब एक चाय वाला भी कहने लगा कि हजारो रुपए तो उसके चाय और नाश्ते के बाकी हैं। सांसद हरिवंश सिंह के रिलेटिव बाबा व भतीजा राना सिंह और समरेंदर सिंह इन बकायेदारों का हिसाब नहीं कर रहे हैं। सप्लायरों का फोन भी नहीं उठा रहे हैं। अभी चिलबिला ओवर ब्रिज का लोकार्पण केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और सूबे के मुखिया योगी आदित्य नाथ से समय न मिल पाने से रुका हुआ है। यदि लोकार्पण में नितिन गडकरी और योगी आदित्य नाथ का आगमन होता है और उनके सामने बकायेदारों ने कोई प्रदर्शन किया तो प्रतापगढ़ के सांसद कुंवर हरिवंश सिंह की इज्जत का जनाजा उठना तय है...!!!
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