Breaking News

Post Top Ad

Your Ad Spot

गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने गंगा में गंदगी पर सख्त, कहा- 27 शहरों के दूषित पानी को गंगा में जाने से रोकें उत्तर प्रदेश की सरकार

उत्तर प्रदेश में गंगा के तट पर स्थित वाराणसी से संसद के लिए मई, 2014 में निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था,"मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है।"

गंगा में गंदगी पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने की तल्ख़ टिप्पणी...

प्रयागराज। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मंगलवार को गंगा नदी की दुर्दशा को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए वर्तमान  प्रदेश सरकार को कुछ निर्देश दिए है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 27 शहरों का गंदा पानी गंगा में जा रहा है। इसे रोकने के लिए कारगर प्लान बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने गंगा नदी में व्याप्त गंदगी को लेकर दायर की गईं विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रदेश में लगभग एक हजार किलोमीटर लंबी गंगा के किनारे बसे 27 शहरों के दूषित गंदे पानी को गंगा में जाने से रोकने का प्लान बनाया जाना चाहिए। ऐसा करने के बाद भी गंगा में व्याप्त गंदगी यानि प्रदूषण को खत्म किया जा सकता है। गंगा की सफाई के लिए शुद्ध मन से जब तक देश के सभी नागरिकों में सफाई का पैदा भाव नहीं होगा, तब तक गंगा को साफ नहीं किया जा सकता। चूंकि सरकार गंगा सफाई का कार्य करे और आम जनमानस गंगा में गन्दगी करें। इसलिए गंगा को तभी साफ़ सुथरा किया जा सकता है जब देश के सभी नागरिक शुद्ध अन्तःकारन से संकल्प लें।    


हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह कोई एडवर्स लिटिगेशन नहीं है, सभी गंगा को स्वच्छ रखना चाहते हैं। जनता की भी उतनी ही भागीदारी है। कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को अधिकतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर के भीतर निर्माण पर रोक के बावजूद हो रहे अवैध निर्माण जारी रहने को लेकर बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्राधिकरण के हलफनामे को यह कहते हुए वापस कर दिया कि हलफनामे में लगे फोटोग्राफ स्पष्ट पठनीय नहीं है। हाईकोर्ट की सख्ती के बावजूद सिस्टम में बैठे नकारे अफसर झूठा हलफनामा देकर हाईकोर्ट तक को गुमराह करने में नहीं डरते। हाईकोर्ट की नाक,कान और आँख यही सिस्टम वाले अफसर हैं। ये जो चाहते हैं वही हाईकोर्ट को दिखाते हैं। अपना ही रंगीन चश्मा हाईकोर्ट को भी पहनाने में परहेज नहीं करते। कभी-कभी अपने ही झूठ में फंसकर असल बात हाईकोर्ट को अनजाने में बता देते हैं तो उस समय इनकी किरकिरी ऐसे होती है कि इनके चेहरे की हवाईयां उड़ जाती हैं और चेहरा देखने लायक रहता है    

 

नमामि गंगे योजना के तहत भारी भरकम बजट भी गंगा की सफाई में पड़ गया,कम... 


गंगा नदी का न सिर्फ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है। वर्ष-2014 में न्यूयॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, “अगर हम इसे साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी। अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है”। इस सोच को कार्यान्वित करने के लिए सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर वर्ष-2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी और इसे 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय योजना का रूप दिया। योजना भी बनती है और उस योजना पर लम्बा चौड़ा बजट भी सरकार पास कर देती है,परन्तु हकीकत में बजट तो खा लिया जाता है और समस्या जस की तस बनी रहती है। गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगा योजना के अंतर्गत अरबों रूपये पानी की तरह खर्च किये गए,परन्तु गंगा की सफाई में वह सफलता नहीं मिली जिसकी कल्पना मोदी सरकार ने की थी 


यह समझते हुए कि गंगा संरक्षण की चुनौती बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी है और इसमंं कई हितधारकों की भी भूमिका है, विभिन्न मंत्रालयों के बीच एवं केंद्र-राज्य के बीच समन्वय को बेहतर करने एवं कार्य योजना की तैयारी में सभी की भागीदारी बढ़ाने के साथ केंद्र एवं राज्य स्तर पर निगरानी तंत्र को बेहतर करने के प्रयास किये गए हैं। कार्यक्रम के कार्यान्वयन को शुरूआती स्तर की गतिविधियों (तत्काल प्रभाव दिखने के लिए), मध्यम अवधि की गतिविधियों (समय सीमा के 5 साल के भीतर लागू किया जाना है), और लंबी अवधि की गतिविधियों (10 साल के भीतर लागू किया जाना है) में बांटा गया है। इतने के बावजूद मोदी सरकार वर्ष-2014 में नदियों की सफाई के लिए लगा से मंत्रालय बनाया और उस मंत्रालय की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के कन्धों पर दी, परन्तु उमा भारती सिर्फ गंगा की साफ़ न हुई तो मैं उसमें कूद कर जान दे दूंगी के बयान तक ही सिमट कर रह गया। अंत में पीएम मोदी ने उमा भारती से मंत्रालय वापस लेकर उसकी भी जिम्मेदारी भूतल परिवहन एवं जहाजरानी मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी के कन्धों पर दी, परन्तु वह भी गंगा की सफाई योजना में कारगर सिद्ध नहीं हो सके

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Top Ad

Your Ad Spot

अधिक जानें