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रविवार, 26 दिसंबर 2021

प्रयागराज स्थित कामर्शियल ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड में दलालों की भरमार है,टाटा मोटर्स के वाहनों की खरीद में होती है,जमकर दलाली

टाटा मोटर्स के वाहनों की खरीद में प्रयागराज के शोरूम कामर्शियल ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड में बैंक फाइनेंसर और टाटा मोटर्स के क्षेत्रीय अधिकारी सिंडिकेट बना रखे हैं,प्रत्येक वाहनों के क्रेताओं को अपने चंगुल में फंसाकर उनसे लाखों रूपये का कर लिया जाता है,खेल 

प्रयागराज स्थित कामर्शियल ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड... 

देश में वाहनों की कम्पनियों में टाटा मोटर्स की अपनी एक अलग पहचान है। एक बार बिना किसी से सलाह मशविरा लिए ही लोग आँख मूंदकर टाटा मोटर्स के शोरूम में जाकर अपने लिए वाहन खरीद लेते हैं। वह चाहे प्राइवेट वाहन हो अथवा कामर्शियल वाहन ! परन्तु यह जानकर ताज्जुब हुआ कि इतनी बड़ी कम्पनी के शोरूम में इतनी बड़ी दलाली का कार्य बड़ी बारीकी से किया जाता है। वाहनों की खरीद में वाहन स्वामी उस पर फाइनेंस कराता है और कामर्शियल वाहनों पर तो सौ फीसदी फाइनेंस करके बैंक उस वाहनों की किस्त बाँध देती है। यदि वाहन स्वामी बैंक का फाइनेंस देने में आनाकानी करता है तो बैंक के अधिकारी उस वाहन को खिंचवा लेते हैं और उसकी नीलामी कराकर बचा हुआ धन बैंक के ऋण खाते में जमा कराते हैं


आज हम टाटा मोटर्स के प्रयागराज स्थित शोरूम कामर्शियल ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड में टाटा मोटर्स की टाटा एलपीटी 4925 BSVI सोलाह चक्के के दो वाहनों को दो अलग-अलग ग्राहकों ने एक ही तारीख 12अक्टूबर, 2021 को खरीदा। मजेदार बात यह है कि दोनों वाहन को HDFC बैंक ने सौ फीसदी फाइनेंस किया है दोनों ग्राहक प्रतापगढ़ के हैं। एक का नाम अब्दुल कयूम पुत्र शेरअली निवासी-खमपुर, ताला, प्रतापगढ़ और दूसरा ग्राहक मोहम्मद वसीम पुत्र अब्दुल रब निवासी-पिपरी खालसा, सराय गनई, प्रतापगढ़ है। अब्दुल कयूम के वाहन की मैन्यूफैक्चरिंग माह सितम्बर, 2021 की है और मोहम्मद वसीम के वाहन की मैन्यूफैक्चरिंग माह अगस्त, 2021 की है। अब्दुल कयूम के वाहन को दिल्ली पहुँचाकर 38 लाख, 65 हजार रूपये में गाड़ी दी गई और मोहम्मद वसीम को प्रयागराज में 40 लाख रूपये में दी गई। दोनों गाड़ियों के फाइनेंस हेतु बैंक ने पत्रवाली खर्च एक समान लिया है


दोनों ग्राहकों से जब बात किया गया तो अब्दुल कयूम ने बताया कि उन्हें वाहन 12 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली पहुँचाकर दिया गया और उसके कागजात 20 अक्टूबर, 2021 दिया गया, जिससे इनके वाहन का पंजीयन 25 अक्टूबर, 2021 को प्रयागराज के RTO दफ्तर में कर दिया गया। जबकि मोहम्मद वसीम ने बताया कि उन्हें वाहन 12 अक्टूबर, 2021 को प्रयागराज में दिया गया, परन्तु कागजात 26 अक्टूबर, 2021 को दिया गया। एक ही डेट की खरीदे वाहन को अलग-अलग डेट पर कागजात क्यों दिया गया ? इस सवाल के लिए जब कामर्शियल ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के स्वामी से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि जिस माध्यम से वाहन लिए हो उससे बात करों ! यानि वाहनों की खरीददारी में माध्यम जिसे बोलचाल की भाषा में दलाल कहते हैं, वह कामर्शियल ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड में भारी पकड़ रखता है। तभी तो शोरूम का स्वामी वाहन के खरीददार को कम तवज्जों देता है और दलाल को अधिक तवज्जों देता है। 


टाटा मोटर्स के वाहनों में इस कदर दलालों की दलाली हाबी है कि फाइनेंस करने वाली बैंक HDFC के अधिकारियों से लेकर टाटा मोटर्स के अधिकारियों और शोरूम के प्रबंधक तक सब लोग इस वाहन बिक्री की दलाली के सिंडिकेट में शामिल हैं। तभी तो टाटा मोटर्स की टाटा एलपीटी 4925 BSVI  सोलह चक्के के दो वाहनों पर अलग-अलग रेट तय किये गए। जिस वाहन की मैन्यूफैक्चरिंग माह अगस्त, 2021 की है, वह तो 40 लाख रूपये की है और जिस वाहन की मैन्यूफैक्चरिंग माह सितम्बर, 2021 की है, वह 38 लाख, 65 हजार रूपये की है। यानि मोहम्मद वसीम के वाहन में 1 लाख, 35 हजार रूपये की साफ-साफ दलाली हुई है। जिस वाहन की मैन्यूफैक्चरिंग माह अगस्त, 2021 की है, वह टाटा मोटर्स की फैक्ट्री जमशेदपुर से दिनांक- 16/09/2021 को फार्म-22 के मुताविक रवाना हुई है। जिस वाहन की मैन्यूफैक्चरिंग माह सितम्बर, 2021 की है, वह टाटा मोटर्स की फैक्ट्री जमशेदपुर से दिनांक- 30/09/2021 को फार्म-22 के मुताविक रवाना हुई है। दोनों वाहन प्रयागराज के शोरूम कामर्शियल ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए रवाना हुए हैं। 


सवाल उठता है कि जिस वाहन की मैन्यूफैक्चरिंग माह अगस्त, 2021 की है, वह अधिक दाम की है और जिस वाहन की मैन्यूफैक्चरिंग माह सितम्बर, 2021 की है, वह कम दाम की है। जबकि जिस वाहन से 40 लाख रूपये लिए गए, उसकी डिलेवरी प्रयागराज में की गई और जिस वाहन से 38 लाख, 65 हजार रूपये लिए गए, उसे दिल्ली पहुँचाकर डिलेवरी दी गई अब दूसरे पहलू पर बात करें तो अब्दुल कयूम को HDFC बैंक की मासिक किस्त 77 हजार, 700 रूपये देना होगा, जबकि मोहम्मद वसीम को HDFC बैंक की मासिक किस्त 80 हजार, 700 रूपये देना होगा। यानि पांच वर्ष में यानि 60 किस्तों में दोनों के बीच 1 लाख, 80 हजार रूपये का अंतर आ रहा है। अब्दुल कयूम को 46 लाख, 62 हजार रूपये बैंक को अदा करना होगा तो वहीं मोहम्मद वसीम को 48 लाख, 42 हजार रूपये बैंक को अदा करना होगा। मोहम्मद वसीम ने कहा कि यदि उसके साथ टाटा मोटर्स न्याय न किया तो मजबूर होकर वह न्यायालय में मुकदमा दायर कर अधिक धन लेने वाले कामर्शियल ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड से वसूली करवाने के लिए बाध्य होगा।  


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