प्रतापगढ़ से सदर अपना दल एस विधायक राजकुमार पाल और रानीगंज से भाजपा विधायक अभय कुमार "धीरज ओझा" के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में प्रतिभाग करने पर ग्रहण लगने जैसी बात का खुलासा करके प्रतापगढ़ की राजनीति में ADR की रिपोर्ट ने अचानक ला दिया भूचाल...
ADR की रिपोर्ट को सच मान लिया जाए तब तो उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से देखा जाए तो 350 विधायकों पर मुकदमें दर्ज होंगे और लगभग 250 विधायकों पर न्यायालय में आरोप पत्र भी दाखिल हुए होंगे तो सिर्फ 45 विधायकों की रिपोर्ट देकर ठंड में गर्माहट पैदा करने जैसी बात साबित हो रही है...
प्रतापगढ़ से अपना दल एस के विधायक राजकुमार पाल और भाजपा से रानीगंज के विधायक अभय कुमार उर्फ़ धीरज ओझा के लिए एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की जारी रिपोर्ट के अनुसार बुरी खबर है। धीरज ओझा रानीगंज से सामान्य चुनाव- 2017 में भाजपा के टिकट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे थे, जबकि प्रतापगढ़ से सामान्य विधानसभा चुनाव में भाजपा और अपना दल एस के गठबंधन से संगम लाल गुप्त चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे थे। परन्तु लोकसभा सामान्य निर्वाचन में प्रतापगढ़ से भाजपा ने गठबंधन को मुक्त करते हुए भाजपा ने अपने उम्मीदवार के रूप में विधायक संगम लाल गुप्त को अपना उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीतकर कर सांसद बन गए। फिर विधानसभा सदस्य पद से त्याग पत्र दिया था, जिसके बाद वर्ष-2019 में प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुआ और अपना दल एस के साथ भाजपा ने पुनः गठबंधन किया और भाजपा के जिला मंत्री राजकुमार पाल को अपना दल एस के सिम्बल पर चुनाव लड़ाया था। उप चुनाव में राजकुमार पाल विधायक निर्वाचित हुए थे।
पूरे उत्तर प्रदेश से कुल 45 विधायकों पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं। आरपी अधिनियम (रिप्रेजेन्टेशन ऑफ पीपुल एक्ट/लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) 1951 की धारा- 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में ये आरोप तय हुए हैं। इन मामलों में न्यूनतम छः महीने की सजा होने पर ये विधायक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें प्रतापगढ़ की सदर विधानसभा सीट से निर्वाचित विधायक राजकुमार पाल का नाम और भाजपा से रानीगंज विधायक अभय कुमार उर्फ धीरज ओझा का भी नाम शामिल है। भाजपा के 32 विधायकों में प्रतापगढ़ से अभय कुमार उर्फ धीरज ओझा का नाम शामिल है तो अपना दल एस के तीन विधायकों में एक विधायक प्रतापगढ़ सदर सीट के राजकुमार पाल का भी नाम शामिल है। एडीआर की जारी रिपोर्ट में कुल 45 विधायकों के नाम शामिल हैं, जिनमें 32 विधायक भाजपा से हैं और 5 विधायक समाजवादी पार्टी से हैं तो 3-3 विधायक बसपा और अपना दल एस हैं तो एक कांग्रेस और एक अन्य दल से है।
एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश में मौजूदा 396 विधायकों में 45 विधायकों पर विधानसभा चुनाव-2022 में लड़ने पर संदेह जताया है। एडीआर व यूपी इलेक्शन वॉच मुख्य समन्वयक संजय सिंह ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इन विधायकों को टिकट न दे। साथ उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त से सिफारिश भी की है कि जघन्य अपराधों में न्यायालय में आरोप पत्र सिद्ध होने के बाद इन्हें चुनाव लड़ने पर स्थायी तौर से रोक दिया जाए। चूँकि न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी सालों साल आपाराधिक मामले को जानबूझकर अपने प्रभाव में ये विधायक और सांसद उसे लम्वित रखते हैं और कानून के साथ आँख मिचौली खेलकर चुनाव लड़कर देश और देश की जनता के साथ एक तरीके से धोखा देने का कार्य करते हैं। इसे रोका जाना आवश्यक है।
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