उत्तर प्रदेश की विधानसभा में अभी 396 विधायक ही मौजूद हैं,जिनमें से 45 विधायकों के विधानसभा चुनाव लड़ने पर संशय है,एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की जारी रिपोर्ट में हुआ है,यह खुलासा...
उत्तर प्रदेश में 45 विधायकों पर चुनाव न लड़ पाने का मंडरा रहा है,संकट... |
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधायक हैं। देश में पाँच ऐसे राज्य हैं, जहाँ राज्यसभा की तरह विधान परिषद् का भी गठन किया गया है। सूबे में 403 विधायकों की संख्या पूरी नहीं है, बल्कि प्रदेश में 396 विधायक ही मौजूद हैं, जिनमें से 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय है। एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि मौजूदा 45 विधायकों पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं। आरपी अधिनियम (रिप्रेजेन्टेशन ऑफ पीपुल एक्ट/लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) 1951 की धारा- 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में ये आरोप तय हुए हैं। इन मामलों में न्यूनतम छः महीने की सजा होने पर ये विधायक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की जारी रिपोर्ट से विधायकों में मचा तहलका... |
एडीआर ने यह रिपोर्ट पहली बार जारी की है। यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि सजा काटने और रिहाई के छः साल बाद तक विधायक चुनाव नहीं लड़ सकते। हालांकि चुनाव लड़ने की पात्रता या अपात्रता तय करने का अधिकार केन्द्रीय चुनाव आयोग के पास है। एडीआर के मुख्य समन्वयक डा संजय सिंह ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि इनमें भाजपा के 32, सपा के 5, बसपा व अपना दल एस के 3-3 और कांग्रेस व अन्य दल के 1-1 विधायक शामिल है। इन 45 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित रहने की औसत संख्या-13 वर्ष है। 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं। इस सूची में टॉप पर मड़िहान विधानसभा से भाजपा विधायक रमाशंकर सिंह, दूसरे स्थान पर बसपा के मऊ से मुख्तार अंसारी, तीसरे स्थान पर धामपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार राणा हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का नाम भी इस सूची में शामिल है।
धारा- 8 (1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराध...
गंभीर/भयानक/जघन्य प्रकृति अपराध यानी भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) के तहत हत्या, बलात्कार, डकैती, लूट, अपहरण, महिलाओं के ऊपर अत्याचार, रिश्वत, अनुचित प्रभाव, धर्म, नस्ल, भाषा, जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शुत्रता जैसे अपराध शामिल हैं। इसमें भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग, उत्पादन/विनिर्माण/खेती, कब्जा, बिक्री, खरीद, परिवहन, भंडारण या किसी भी नशीली दवा के सेवन से संबंधित अपराध, जमाखोरी और मुनाफाखोरी से संबंधित अपराध, भोजन और दवाओं में मिलावट, दहेज आदि से संबंधित अपराध भी शामिल हैं। दोषी ठहराने के बाद कम से कम दो साल के कारावास की सजा भी इसमें शामिल है।
ये है,अयोग्यता के पैमाने...
एक्ट की धारा- 8(1) में दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित।
धारा 8(2) के तहत कम से कम 6 महीने की सजा के साथ दोषी ठहराए जाने पर आयोग्य घोषित।
धारा 8(3) के तहत 2 साल से कम की सजा के साथ दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित।
एमपी-एमएलए कोर्ट बनने के बाद आई तेजी, 25-26साल पुराने मुकदमों में तय नहीं पाए थे,आरोप...
आरोप तय होने और तयशुदा सजा मिलने के बाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किए जाने का नियम पहले से है लेकिन अभी तक विभिन्न कोर्टों में मामले चलते रहते थे। ज्यादातर जगहों पर अपराध तय होने को टाला जाता था और लम्बे समय तक मुकदमे चलने के बाद भी आरोप तय नहीं हो पाते थे। रमा शंकर सिंह एक ऐसा नाम हैं, जिन पर 27 साल से मुकदमा चल रहा है, लेकिन आज तक आरोप तय नहीं हो पाए। मुख्तार असांरी पर 26 वर्ष से, अशोक राणा पर 25 वर्ष, संजीव राजा पर 24 वर्ष, कारिंदा सिंह पर 23 साल से मुकदमें चल रहे हैं, लेकिन आरोप तय नहीं हो पाए। वहीं सूचनाओं को छिपाया भी जाता था। मसलन किसी कोर्ट में अपराध तय भी हो गया तो उम्मदीवार उसे छुपा लेते थे। लेकिन वर्ष-2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट की स्थापना हुई और यहां तीन सालों की अवधि में ही इन विधायकों पर आरोप तय कर लिए गए।
वे विधायक जिन पर आरोप तय किये गए हैं...
नाम/राजनीतिक दल- विधानसभा क्षेत्र-
1- रमा शंकर सिंह (भाजपा) मड़िहान
2- अशोक कुमार राणा (भाजपा) धामपुर
3- सूर्य प्रताप सिंह (भाजपा) पथरदेवा
4- संजीव राजा (भाजपा) अलीगढ़
5- कारिंदा सिंह (भाजपा) गोवर्धन
6- अभय कुमार (भाजपा) रानीगंज
7- सुरेश्वर सिंह (भाजपा) महसी
8- उमेश मलिक (भाजपा) बुढ़ाना
9- मनीष असीजा (भाजपा) फिरोजाबाद
10- नंद किशोर (भाजपा) लोनी
11- देवेन्द्र सिंह (भाजपा) कासगंज
12- वीरेन्द्र (भाजपा) एटा
13- विक्रम सिंह (भाजपा) खतौली
14- राकेश कुमार (भाजपा) मेंहदावल
15- संजय प्रताप जायसवाल (भाजपा) रुधौली
16- राम चंद्र यादव (भाजपा) रुदौली
17- गोरखनाथ (भाजपा) मिल्कीपुर
18- इंद्र प्रताप (भाजपा) गोसाईगंज
19- अजय प्रताप (भाजपा) कर्नलगंज
20- श्रीराम-मोहम्मदाबाद (भाजपा) गोहना
21- आनंद (भाजपा) बलिया
22- सुशील सिंह (भाजपा) सैयदरजा
23- रवीन्द्र जायसवाल (भाजपा) वाराणसी उत्तरी
24- भूपेश कुमार (भाजपा) राबर्ट्सगंज
25- सुरेन्द्र मैथानी (भाजपा) गोविंद नगर
26- धर्मेन्द्र कुमार सिंह शाक्य (भाजपा) शेखुपुर
27- राजेश मिश्र (भाजपा) बिथरी चैनपुर
28- बाबू राम (भाजपा) पूरनपुर
29- मनोहर लाल (भाजपा) मेहरौनी
30- बृजभूषण (भाजपा) चरखारी
31- राजकरन कबीर (भाजपा) बांदा-नरैनी
32- सत्यवीर त्यागी (भाजपा) मेरठ-किठौर
33- राज कुमार पाल (अपना दल एस) प्रतापगढ़
34- अमर सिंह (अपना दल एस) शोहरतगढ़
35- हरिराम चेरो (अपना दल एस) दुद्धी
36- असलम अली (बसपा) धौलाना
37- मुख्तार अंसारी (बसपा) मऊ
38- मो असलम (बसपा) भिनगा
39- राकेश प्रताप सिंह (सपा) गौरीगंज
40- शलेन्द्र यादव "ललई" शाहगंज
41- प्रभुनाथ यादव (सपा) सकलडीहा
42- मो. रिजवान (सपा) कुंदरकी
43- नईमुल हसन (सपा) नूरपुर-विजनौर
44- अजय कुमार लल्लू (कांग्रेस) तमकुहीगंज राज
45- विजय कुमार मिश्र (अन्य दल) ज्ञानपुर-भदोही
एडीआर व यूपी इलेक्शन वॉच मुख्य समन्वयक संजय सिंह ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इन विधायकों को टिकट न दे। साथ उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त से सिफारिश भी की है कि जघन्य अपराधों में न्यायालय में आरोप पत्र सिद्ध होने के बाद इन्हें चुनाव लड़ने पर स्थायी तौर से रोक दिया जाए। चूँकि न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी सालों साल आपाराधिक मामले को जानबूझकर अपने प्रभाव में ये विधायक और सांसद उसे लम्वित रखते हैं और कानून के साथ आँख मिचौली खेलकर चुनाव लड़कर देश और देश की जनता के साथ एक तरीके से धोखा देने का कार्य करते हैं। इसे रोका जाना आवश्यक है।
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