आधुनिक विधायकों और सांसदों ने अपने पद और प्रतिष्ठा को ताक पर रखकर प्रोटोकाल का निकाला जनाजा,सार्वजानिक तौर पर शादी-विवाह जैसे आयोजनों में ठुमके लगाना बना चर्चा का विषय
कोरोना संक्रमण के दो वर्ष बाद शादी समारोह में भीड़भाड़ होना शुरू हुआ, ऊपर से चुनावी वर्ष होने के कारण हर आयोजनों में नेताओं की भरमार रहती है। प्रतापगढ़ में विधायक और सांसद के ठुमके लगाने की बात कोई नई नहीं है। पूर्व सांसद कुँवर हरिवंश सिंह तो नाचते नहीं थे, बल्कि हर आयोजनों में गाना गाने लगते थे। आयोजक उन्हें माइक देने से डरते थे कि कौन सा गाना सांसद जी गाने लगे,यह तय नहीं ! अभी दशहरे के मौके पर रामलीला मैदान में सांसद संगम लाल गुप्त और सदर विधायक राजकुमार करेजा पाल भी थिरकते नजर आए थे। वह आयोजन धार्मिक था, इसलिए लोगों ने बहुत अधिक चर्चा उस पर नहीं की, परन्तु आज जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वह प्रतापगढ़ सदर विधायक राजकुमार करेजा पाल का है।
डीजे पर जब फिल्म डॉन का गीत बजा कि ...खइके पान बनारस वाला तो विधायक करेजा पाल अपने को रोक न सके और साथियों संग झूमकर नाचने लगे। विधायक जी अपने पद की गरिमा भूल गए और ऐसे ठुमके लगाये कि आधुनिक लड़के बगल झाँकने लगे। वैसे हमारे देश में विधायकों और सांसदों के प्रोटोकाल बने हुए हैं। परन्तु वह प्रोटोकाल समय-समय पर बदलते रहते हैं। जैसा कि एक आयोजन में जब विधायक करेजा पाल मस्ती में झूमने लगे तो देखने वालों की भीड़ लग गई। जब गीत में वह लाइन आई कि ...एक कन्या कुँवारी हमरी सूरत पे मर गई, हाय-हाय-हाय एक मीठी कटारी हमरे दिल में उतर गई, हाय-हाय कैसी गोरी-गोरी, वो तीखी-तीखी छोरी...!
वाह-वाह ! अरे कैसी गोरी-गोरी, वो तीखी-तीखी छोरी, करके जोरा-जोरी, कर गई हमरे दिल की चोरी ! मिली छोरी तो, मिली छोरी तो हुआ निहाल कि छोरा गंगा किनारे वाला, ओ छोरा गंगा किनारे वाला... विधायक करेजा पाल रसिक मिजाज के हैं। उनके रसिया चरित्र की बात उस वक्त उजागर हुई थी, जब वह जिला पंचायत का चुनाव लड़ रहे थे। उस वक्त उनकी पापुलरटी थोड़ी कम थी, इसलिए लोगों ने ध्यान नहीं दिया। परन्तु जब राजकुमार पाल को भाजपा ने अपना दल एस के सिम्बल से टिकट देकर प्रतापगढ़ विधानसभा उप चुनाव-2019 में अपना उम्मीदवार बनाया तो किसी महिला मित्र से मोबाइल फोन से बात कर रहे थे और उसे संबोधन में करेजा कह रहे थे। तभी से लोग इन्हें करेजा पाल कहने लगे।
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