जल निगम द्वारा स्थापित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के एसटीपी का हुआ भूमि पूजन, जल निगम के अधिकारियों द्वारा जल्द ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू करने का किया गया दावा
सई नदी के किनारे बने एचटीपी प्लांट में पुनः पूजन कर करते जल निगम के अधिकारी... |
प्रतापगढ़ में दो दशक पूर्व सीवरेज की स्थापना की आवाज उठी और वर्ष-2006 में शहर प्रतापगढ़ में करोड़ों की लागत से 12 वर्ष पहले सई नदी के किनारे आबादी से सटकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की गई। उसमें जो मशीने लगाई गई उसमें जंग लगने लगा। वजह सीवरेज का समय के साथ संचालन का न होना रहा। शहर भर में जहाँ भी सीवर लाइन तैयार की गई थी, वह धंस कर नष्ट हो चुकी है। सीवर लाइन में पड़ने वाली पाइप नष्ट हो चुकी है। सीवर लाइन के कार्य को करने वाले ठेकेदार और जल निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रूपये की सीवरेज परियोजना में भ्रष्टाचार करके सारे बजट को दीमक की तरह खा लिए। कई रुके हुए कार्यों को जल्द पूरा करने की पहल कर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने प्लांट को चालू कराने में सहयोग किया। विभिन्न सड़कों के निर्धारित प्वाइंट पर एसटीपी सहित अन्य कार्य का भूमि पूजन मंगलवार को संपन्न हुआ। बचे हुए काम को समय से पूरा कराने के लिए कार्यदायी के कर्मचारियों ने शहर के चौक, केपी कॉलेज रोड, राजापाल चौराहा, सिविल लाइंस आदि स्थानों पर निरीक्षण किया। सभी पाइप लाइनों को जोड़ने के लिए सड़क के नीचे दोबारा खोदाई कराने की बात की है।
नगर पालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ में सई नदी के दक्षिण 22 वार्ड और सई नदी के उत्तर 3 वार्ड हैं। कुल मिलाकर प्रतापगढ़ की नगरपालिका में 25 वार्ड हैं, जिनकी गंदगी सीधे सई नदी में न गिरे, इसके लिए 12 वर्ष पहले तत्कालीन सांसद के प्रयास से सदर बाजार स्थित बेल्हादेवी मंदिर के पास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया। शहर में सीवर लाइन बिछाकर इसे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाना था। दस साल बाद भी सीवर का काम पूरा नहीं हो सका। शहर में सीवर लाइन नहीं बिछाई जा सकी। रुके हुए कार्यों को पूरा कराने के लिए नेताओं के साथ ही जल निगम के अधिकारियों ने कोई पहल नहीं की। बंद पड़े प्लांट को चालू कराने के लिए शहर के अष्टभुजा नगर निवासी अधिवक्ता टीएस सिंह ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में याचिक दायर की। सुनवाई के बाद शहर की सीवर लाइन को जल्द शुरू कराने की पहल हुई। मंगलवार को सई किनारे एसटीपी पर जल निगम के महाप्रबंधक एमसी श्रीवास्तव, एक्सईएन आनंद कुमार दुबे, कौशल किशोर, आरपी मौर्य सहित अधिवक्ता टीएस सिंह ने पूजन कर प्लांट को चालू कराने का निर्णय लिया। फिलहाल यह निर्णय प्रतापगढ़ शहरियों के गले नहीं उतर रहा है।
मजेदार बात यह है कि यदि जल निगम के अधिकारियों के दावे सच साबित हुए तो नगरपालिका के 25 वार्डों में सिर्फ 10 वार्ड ही इस सीवर लाइन से जुड़ सकेंगे। जो वार्ड इस सीवर लाइन से जुड़ेंगे उनके लैट्रिन टैंक के कनेक्शन उस सीवर लाइन से जोड़े जायेंगे और वह सीवर लाइन से होते हुए सई नदी के किनारे स्थापित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट पहुँचेगा और वहाँ उसका ट्रीटमेंट करके पानी सई नदी में गिरा दिया जायेगा और लैट्रिन को खाद बनाकर अलग कर दिया जायेगा। परन्तु जल निगम के अधिकारियों का यह दावा दिवास्वप्न सरीखे दिख रहा है। लोगों को भरोसा नहीं हो पा रहा है कि सीवर लाइन के लिए डाली गई सड़ी और डैमेज पाइप के सहारे उनके लैट्रिन टैंक को बंद करके सीवर लाइन में उसका कनेक्शन जोड़ देने से वह सफलता पूर्वक चल सकेगी। सीवरेज की पाइप लाइन में कनेक्शन जोड़ने से लोग डर रहे हैं कि कहीं उन्हें दोहरी मार न सहनी पड़े। इधर अपना लैट्रिन टैंक भी बंद हो जाये और उधर सीवरेज की पाइप लाइन भी चोक ले लेगी तो आम शहरी तो जीते जी मार जायेंगे। सीवरेज पाइप लाइन और सीवरेज ट्रीटमेंट में लगी लागत की वसूली के लिए कार्यदायी संस्था नया नाटक तो नहीं कर रही है। प्रतापगढ़ के शहरी इस बात से परेशान हैं कि सीवरेज चालू करके उनसे वसूली करने का ये नया फंडा तो नहीं।
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