इस्तीफा देने वाले सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह का दावा भाजपा के 40 विधायक सपा में जाने को तैयार,फिर इंतजार किस बात का ? जब भाजपा टिकट काट देगी तब भाजपा से सपा में जायेंगे...
विधायक राकेश प्रताप सिंह को एम्बुलेंस से ले जाते स्वास्थ्य विभाग की टीम... |
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले की गौरीगंज विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक राकेश प्रताप सिंह ने कुछ रोज पहले ही विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।इस्तीफे के बाद सरकार पर दबाव बढ़ाने की कोशिश में राकेश प्रताप सिंह ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद लखनऊ में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया। वैसे राकेश प्रताप सिंह कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" के आदमी माने जाते थे और एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह को राजा भईया वर्ष-2017 के विधानसभा चुनाव में गौरीगंज विधानसभा से जीत दिलाने में अथक प्रयास किया था। एक कुशल राजनीतिक की भांति राकेश प्रताप सिंह अपना राजनीतिक फायदा देखते हुए सपा में बने रहने का निर्णय लिया। भावनात्मक निर्णय लेने से राजनीति में नुकशान होने का खतरा रहता है।
राजा भईया के राजनीतिक दल के गठन के बाद से ये कयास लगाया जा रहा था कि गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह सपा से त्यागपत्र देकर राजा भईया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक में शामिल हो जायेंगे। परन्तु ऐसा न हो सका। विधायक राकेश प्रताप सिंह को पता है कि समाजवादी पार्टी में उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित है। चूँकि वहाँ क्षत्रिय नेताओं की कमी हो चुकी है। ऐसे में आने वाले समय में राकेश प्रताप सिंह को सपा मुखिया अखिलेश यादव बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं। एक योजना के तहत अपने राजनैतिक कद को बढ़ाने के लिए ही सपा नेता राकेश प्रताप सिंह 3 नवंबर से आमरण अनशन पर थे। राकेश प्रताप सिंह दो सड़कों का पुनर्निर्माण कराए जाने की मांग को लेकर 31 अक्टूबर से धरना दे रहे थे। 5 नवंबर को लखनऊ में गांधी प्रतिमा के सामने विधायक राकेश प्रताप सिंह धरना दे रहे थे। चुनाव से ठीक पहले विधानसभा के सदस्य पद से त्याग पत्र देकर गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह क्षेत्र की जनता में अपनी छाप छोड़ने का ये अलग तरीके का दांव चला है।
सिविल अस्पताल में भर्ती हुए विधायक राकेश प्रताप सिंह... |
राकेश प्रताप सिंह के स्वास्थ्य की जांच के लिए टीम पहुंची। मेडिकल टीम ने सपा नेता से साफ कहा कि उन्हें अनशन जल्द तोड़ देना चाहिए। मेडिकल टीम की सलाह के बावजूद राकेश प्रताप सिंह आमरण अनशन खत्म करने को तैयार नहीं थे। बाद में पुलिस प्रशासन ने राकेश को एम्बुलेंस के जरिए सिविल अस्पताल भिजवा दिया।राकेश को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राकेश प्रताप सिंह ने इस संबंध में एक के बाद एक ट्वीट किए। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर चेकअप के बाद जबरन सिविल अस्पताल ले जाए जाने का आरोप लगाया और इसे अपने मूल अधिकारों के खिलाफ बताया। यदि पुलिस प्रशासन विधायक राकेश प्रताप सिंह के स्वास्थ्य को गंभीरता से न लेकर उनके जीवन को खतरे में डालते और विधायक राकेश प्रताप सिंह के साथ कोई अनहोनी हो जाती तो दोष योगी सरकार, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमा के ऊपर मढ़ा जाता कि घोर लापरवाही बरतने से विधायक की जान चली गई। आगे चलें तो दांत काटे और पीछे चलें तो लात मारने वाली कहावत को विपक्षी नेतागण चरितार्थ करते हैं।
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