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शनिवार, 27 नवंबर 2021

सीबीआई को हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एस एन शुक्ला के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मिली अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी ही तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि हाईकोर्ट  इलाहाबाद में सड़ांध आ रही है,साफ सफाई की आवश्यकता है...


हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एस एन शुक्ल... 

केंद्रीय जाँच एजेंसी (सीबीआई) को इलाहाबाद हाईकोर्ट से भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक अवकाश प्राप्त जस्टिस एस एन शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मिल गई है समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारियों ने बताया है कि इस मामले में जस्टिस शुक्ला पर कथित रूप से एक निजी मेडिकल कॉलेज को फायदा पहुँचाने का आरोप है सीबीआई ने इससे पहले 16 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट से प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट कानून के तहत रिटायर्ड जज के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से अनुमति मिलने के बाद सीबीआई जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ चार्जशीट लेकर आ सकती है। 


प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज...

हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जस्टिस पर पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं तो यह जानना जरुरी हो जाता है कि आखिर वह जस्टिस कौन हैं जिन पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं ? जस्टिस एस एन शुक्ला उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के ही रहने वाले हैं। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। यूपी सरकार में वह अपर महाधिवक्ता भी रहे हैं। वर्ष-2005 में एस एन शुक्ला को अडिश्नल जज बनाया गया और दो साल बाद उन्हें वर्ष- 2007 में स्थाई जज बनाया गया। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एस एन शुक्ल जस्टिस बने जस्टिस एसएन शुक्ल लखनऊ में कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाये थे, जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ और मामला अब सीबीई के पास पहुँच चुका है। जिस मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आदेश सुनाया गया था, वह मेडिकल कॉलेज एक समाजवादी पार्टी के नेता बीपी यादव और पलाश यादव का है। 


वर्ष-2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने मेडिकल संस्थान का निरीक्षण किया। इस दौरान यहां बुनियादी सुविधाएं कम पाई गई। यहां पर मेडिकल की पढ़ाई के मानक पूरे नहीं हो रहे थे। इसके बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने एक आदेश के तहत प्रसाद इंस्टिट्यूट समेत देश के 46 मेडिकल कॉलेजों में मानक पूरे न करने पर नए प्रवेशों पर रोक लगा दी गई थी। नए प्रवेश पर रोक लगाए जाने के बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने मेडिकल कॉलेजों को राहत नहीं दी। प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इस याचिका पर जस्टिस एस एन शुक्ला की बेंच ने सुनवाई की। जस्टिस एस एन शुक्ला ने सुनवाई के बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट को नए प्रवेश लेने की अनुमति दे दी। इस फैसले को लेकर अन्य मेडिकल कॉलेजों के बीच हड़कंप मच गया। जस्टिस शुक्ला पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे और यहीं से उनके खिलाफ लामबंदी शुरू हो गई।


सीबीआई ने इस मामले में उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आई एम कुद्दुसी के खिलाफ 8 जुलाई को आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई की चार्जशीट में छह अन्य आरोपियों बी पी यादव, पलाश यादव, विश्वनाथ अग्रवाल, हवाला संचालक रामदेव सारस्वत, भावना पांडे और सुधीर गिरि के नाम भी शामिल हैं। एजेंसी ने आरोप लगाया कि बीपी यादव ने अपने कॉलेज प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पर वर्ष- 2017-18 और वर्ष- 2018-19 के लिए छात्रों के दाखिले पर सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट का रूख किया था। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने वाली थी, तभी प्रसाद इंस्टिट्यूट के संचालकों ने उच्च स्तर के अधिकारियों से साठगांठ कर मामले को सुलझाने के लिए कथित तौर पर कुद्दुसी और पांडेय से संपर्क किया। बातचीत तय हो जाने के बाद एक रिट याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई, जिसकी सुनवाई जस्टिस एस एन शुक्ल ने की और कॉलेज प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के संचालकों के इच्छानुकूल ऑर्डर सुना दिया  


समाजवादी पार्टी के नेता बीपी यादव के प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने सीधे संज्ञान लेते हुए तीन सदस्यीय जस्टिस की एक कमिटी बनाई। उस कमेटी से जाँच कराई तो आरोप में बल मिला और काफी हद तक आरोप के साक्ष्य भी प्राप्त हुए बताया जा रहा है कि कमिटी ने जांच रिपोर्ट में जस्टिस एस एन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत होने की बात कही गई है। तत्कालीन सीजेअई रंजन गोगई ने भी प्रकरण को गंभीरता से लिया था और उन्होंने ने ही मामले की जाँच सीबीआई से कराने का निर्णय सुनाया था जनवरी, 2018 में ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को दी गई थी। जस्टिस दीपक मिश्रा ने एस एन शुक्ला को इस्तीफा देने या वीआरएस लेने की बात कही, लेकिन एसएन शुक्ला छुट्टी पर चले गए। तब चीफ जस्टिस की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ संसद में महाभियोग लाने का प्रस्ताव दिया था। अब देखना है कि हाईकोर्ट इलाहाबाद की अनुमति के बाद सीबीआई जस्टिस एस एन शुक्ल के प्रकरण में आरोप पत्र दाखिल करती है अथवा अन्य मामले की तरह यह मामला भी आगे चलकर ठंडे बस्ते में पहुँच जाता है  


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