अपनी ही सरकार को दिखाया आईना, पूर्व में भी भाजपा सांसद वरुण गांधी मोदी सरकार के कार्यों पर उठा चुके हैं,सवाल
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भाजपा सांसद वरुण गांधी के पत्र से मोदी सरकार की और हुई जमकर किरकिरी... |
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व यानि शुक्रवार को अपनी सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। इस पर विपक्षी दल मोदी सरकार पर लगातार हमलावर हैं। इस मामले पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था। अब पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा है। वरूण ने पत्र में अधिकतम समर्थन मूल्य को लेकर कानून बनाने की मांग की है। इसके अलावा किसानों की दूसरी मांगों पर तुरंत फैसले लेने की मांग भी पत्र में लिखी है। किसान जब आंदोलित हुए तो उसके पहले कृषि मंत्री उन्हें समझाने में असफल रहे और वह अपनी असफलता का ठीकरा किसानों पर फोड़ने का कार्य किया, जिसे किसी भी दशा में उचित नहीं कहा जा सकता। इससे सरकार की छवि खराब हुई और हठवादी सरकार का तमगा अलग से लगा। यही कार्य पहले हुआ होता तो यह आरोप भी न लगता कि पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणाम से डरकर मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर हुई।
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने पत्र में लिखा है कि किसान आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसान भाई और बहन शहीद हो गए। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला पहले लिया गया होता तो कई मासूमों की जान बच जाती। किसानों के परिवारों के प्रति शोक सांत्वना जारी करने के बाद हर शहीद किसान परिवार को एक करोड़ रुपए देने की घोषणा हो और इसके अलावा किसानों पर राजनीति से प्रेरित दर्ज सारे मुकदमें अविलम्ब वापस लिए जाएं। जिससे किसानों को मुकदमों की पीड़ा से बचाया जा सके। चूँकि किसानों को पहले ही बहुत कष्ट मिल चुका है। अब और कष्ट नहीं मिलना चाहिए। कष्ट की जगह उन्हें सहूलियत मिलनी चाहिए। यदि किसानों को अन्नदाता कहा जाता है तो उन्हें अन्नदाता जैसा सम्मान और सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। सांसद वरुण गांधी ने पत्र में आगे लिखा कि देश में 85 प्रतिशत छोटे और मध्यम किसान हैं। इन्हें सशक्त करने के लिए गारंटी के साथ एमएसपी दी जाए। यह आंदोलन किसानों की सारी मांगों के पूरा होने तक जारी रहेगा। किसानों को एमएसपी का भुगतान लागत के हिसाब से तय हो।
किसानों और देश के हित को देखते हुए केंद्र सरकार तुरंत उनकी मांगों को स्वीकार करे। केंद्र सरकार का फैसला किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही उनकी हालत में सुधार के लिए अहम निर्णय साबित होगा।वरुण ने अपने पत्र में लिखा है कि सीनियर पदों पर बैठे कई नेताओं ने किसानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया है। इस वजह से किसानों के प्रति हिंसा का माहौल बना। यही कारण था कि लखीमपुर खीरी में पांच किसानों को गाड़ी से कुचल दिया गया। लखीमपुर घटना हमारे लोकतंत्र पर धब्बा है। लखीमपुर खीरी की घटना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बदनुमा दाग के समान है, जो हमेशा के लिए लग जाता है और किसी भी दशा में वह धुलता नहीं है। बल्कि इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाता है। वरुण ने लखीमपुर की घटना को लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। जिससे घटना की सही जांच हो सके और साथ ही किसानों की मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करने को कहा है। ताकी देश के प्रजातांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को बचाया जा सके। सिर्फ कहने से बात पूरी नहीं हो जाती कि जय जवान, जय किसान।
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