प्राइमरी स्कूलों की बिगड़ती दशा के लिए आखिर कौन है, जिम्मेदार...???
कार्यालय बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रतापगढ़ बन चुका है,भ्रष्टाचार का अड्डा...
प्रतापगढ़ में प्राइमरी शिक्षा का बेहद बुरा हाल हो चुका है। जनपद में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी अमित सिंह के सस्पेंड होने के बाद एबीएसए को प्रभार सौंप कर कार्य चलाया जा रहा है। स्वस्थ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा का बेहद अहम रोल होता है। फिर भी स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी कामचोरी करते रहते हैं और अपने कर्तब्य के प्रति उदासीन रहते हैं। प्राइमरी के शिक्षक की उदासीनता की दशा इतनी बद्तर हो चुकी है कि इनमें सुधार होने की संभावना ही समाप्त हो चुकी है। प्राइमरी के शिक्षकों की लापरवाही की बात करें तो उनकी इच्छा ही नहीं होती कि वह बच्चों को पढ़ाये। एक स्कूल में जितने टीचर नियुक्त होते हैं वह एक-एक दिन का समय तय कर लेते हैं कि किस दिन किसको आना है ? इस तरह सरकार से मोटी तनख्वाह लेने के बाद भी अपने कर्तब्यों का पालन न करना भी अपराध है। यह भी एक तरह की चोरी है, जिसे कामचोरी के नाम से जाना जाता है।
बेसिक शिक्षा विभाग का मामला जब भी मीडिया में आता है तब बेसिक शिक्षा अधिकारी समेत खंड शिक्षा अधिकारी उन अध्यापकों से सांठ गांठ कर लेते हैं। शिकायत के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। भारी भरकम तनख्वाह लेने वाले प्राइमरी के शिक्षक सिग्नेचर करके विद्यालय से गायब हो जाते हैं। पहली बात तो प्राइमरी स्कूलों में जितना सरकार धन फूंक तमाशा देख रही है, उसके सापेक्ष बच्चे स्कूल में पढ़ने आते ही नहीं।फिर जो बच्चे पढ़ने आते हैं, उनके अभिभावकों को यह ज्ञान ही नहीं कि उनके बच्चों को स्कूल में शिक्षा नहीं दी जाती। यदि प्राइमरी में समाज के प्रबुद्ध वर्ग के बच्चे पढ़ने जाने लगे तो उस स्कूल की दशा स्वयं ठीक हो जाए। फिर तो सबकुछ बेहतर से बेहतर होने लगे। प्राइमरी के स्कूलों के आगे कान्वेंट स्कूलों का बाजा ढीला हो जाएगा।
यदि मीडिया प्राइमरी स्कूलों की बद्तर स्थिति अपने कैमरे के जरिये दिखाती है तो जिलाधिकारी समेत बेसिक शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी उसे नजरंदाज करके प्राइमरी स्कूल के शिक्षक के पक्ष में रिपोर्ट लगाकर उसका बचाव करते हैं और बदले में उस शिक्षक से अपनी जेब गर्म करते हैं। प्राइमरी के हेड मास्टर तो मीड-डे-मील और उसके भ्रष्टाचार से स्वयं को मुक्त नहीं कर पाते। प्राइमरी की बिगड़ती दशा को सुधारने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। सिर्फ बच्चों के लिए आने वाली सुख सुविधा पर शिक्षकों द्वारा डकैती डाली जा रही जो अति दुखद है। स्कूल में बच्चों के आये हुए स्कूल बैग, जूते, मोजे और उनके यूनिफार्म को कागज पर वितरण दिखाकर उसका धन गड़प कर लेना ही आज की सबसे बड़ी उपलब्धि है। खेल के सामान में प्राइमरी स्कूलों में तैनात शिक्षकों द्वारा कमीशनखोरी की इंतहा कर दी गई।
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