एक विवाहिता जो पति द्वारा परित्याग कर दी गई है,परन्तु अपनी लड़ाई लड़ रही है...
भारतीय संस्कृति में सामाजिक रीति रिवाज के हिसाब से जो सामाजिक ताना बाना बुना गया है, उसके मुताविक एक बालिग लड़की की जब उसके माँ-बाप शादी कर देते हैं तो उसकी विदाई डोली में की जाती थी और कहार लोग बड़े ही मधुर गीत के साथ गाते हुए उस नई नवेली दुल्हन को उसके ससुराल ले जाते थे। उस दिन वह दुल्हन यह मान लेती थी कि अब उसकी मौत के बाद उसकी अर्थी उसकी ससुराल से उठेगी और सारा जीवन वह अपने सास, ससुर और सास की सेवा में लगा देगी। माँ-बाप की जगह उसके सास और ससुर का स्थान होता है और भाई के स्थान पर उसका देवर होता है। बहन के स्थान पर ननद का स्थान दिया गया है। बाबुल का घर छोड़ने के उपरांत उसे नया घर तो मिलता ही है, साथ ही उसके जीवन का उद्देश्य ही बदल जाता है। उस जीवन को आगे बढ़ाने के लिए सबसे बड़ा सहयोगी उसका पति होता है, जिसके कदमों में उस महिला का जीवन ब्यतीत होना सुनिश्चित होता है। परन्तु सबका भाग्य एक जैसे नहीं होता। कुछ घर ऐसे होते हैं जो उस दुल्हन के लिए कारागार से भी दंडनीय होते हैं।
आज हम आप सबके बीच एक ऐसे ही दाम्पत्य जीवन में बंधे दो जोड़ों की कहानी यहाँ शेयर करना चाहता हूँ, जिसे आप सब भी पढ़कर दंग रह जायेंगे। राजापाल चौराहे के पास तीन दशक पहले गुप्ता बाटी चोखा की दुकान लगाकर बाबूलाल अपना परिवार पालना शुरू किये। बाबूलाल गुप्ता मूलतः प्रतापगढ़ के रानीगंज विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं। कोतवाली नगर के विवेक नगर में एक छोटा सा आशियाना बनाकर सपरिवार रहते हैं। उन्हें दो बेटी और दो बेटे हैं। उनका परिवार बहुत ही संस्कारवान है। बड़ी बेटी है और गुप्ता जी अपनी बड़ी बेटी की शादी प्रयागराज के फूलपुर में भुमई हुसामगंज कोड़ापुर में बड़ी धूम धाम से डेढ़ दशक पहले की थी, परन्तु ससुराल पक्ष के लोग एक नम्बर के लोभी और लालची निकले। चरित्र से भी गिरे निकले। कहते हैं कि रिश्ता बराबर का होना चाहिए, तभी उसका निर्वहन बेहतर ढंग से होता है। बाबूलाल गुप्ता जी अपनी बेटी साधना गुप्ता की शादी बड़ा परिवार मानकर किया था। उन्हें नहीं पता था कि बड़ा परिवार देखनेमें तो बड़ा होता है,परन्तु हकीकत में बड़ा नहीं होता।
जिस परिवार में बाबूलाल गुप्ता अपनी बड़ी बेटी की शादी किये वह पाँच भाईयों दो दो बहनों के बीच किये थे। सास और ससुर दैयानाहर निकले। क्योंकि प्यारेलाल गुप्ता जो बाबूलाल गुप्ता के समधी रहे वह अपने तीन बेटे और बहू को अपनी सम्पत्ति में हिस्सा नहीं दिये और उन्हें घर से बेदखल कर दिए थे। वजह प्यारेलाल गुप्ता के घर में पेटीकोट सरकार का शासन था। ऊपर से रजिया सुल्तान से भी अधिक तानाशाही प्यारेलाल गुप्ता के घर में उनकी बेटियों की थी। डेढ़ दशक पूर्व चौथी बहू के रूप में साधना गुप्ता का आगमन प्यारेलाल गुप्ता के आंगन में हुआ था। आईये उसकी ब्यथा उसकी जुबानी सुना जाए। साधना गुप्ता के मुताविक उसके वैवाहिक जीवन में ससुराल पक्ष की उसकी ब्यथा आप भी जाने। साधना गुप्ता के मुताविक उसके खिलाफ एक प्रार्थना पत्र मेरा देवर संजय गुप्ता ने दिया है। जिसे पढ़कर आप भी अंदाजा लगा सकते कि उसकी कितनी घटिया सोच है। प्रार्थना पत्र में उसने मुझे आपराधिक प्रवृत्ति का बताया है। जबकि मेरे पति अजय गुप्ता पुत्र प्यारे लाल गुप्ता की सारी संपत्ति अपने नाम लिखवा लिया है।
जानते हैं, क्यों ? क्योंकि अदालत ने हमें और हमारे दो बच्चों को उसी मकान में रहने के लिए आदेश पारित किया है। फिर भी देवर, देवरानी, ससुर और सास सहित पति अजय गुप्ता उसे उस मकान से भगाने के लिए नित नए ड्रामे कर रहे हैं। मुझे उस मकान से बेदखल करने के लिए अजय ने अपने भाई संजय को अपनी संपत्ति का बैनामा कर दिया। यह एक तरह से अदालत के आदेश की अवमानना है। जिस घर में जवान देवर और देवरानी मौजूद हों और उनके बचाव में ससुर और सास भी हों। उसके बाद भी हम अकेले क्या कर सकते हैं ? देवर संजय गुप्ता, देवरानी रुचि गुप्ता और स्वयं सास एवं ससुर के साथ पति जिसने सात जन्मों तक साथ जीने और मरने की कसमें खाई थी, सभी मिलकर एक षड्यंत्र के तहत हमें जान मारने का प्रयास कर चुके हैं। जिसका थाना कोतवाली फूलपुर में जानलेवा हमले का मुकदमा लिखा गया। पति अजय गुप्ता जेल जा चुका है। मेरी ससुराल वाले पुनः मुझे जलाकर मार डालने की कोशिश में लगे हैं।
मेरे घर में बिजली का कनेक्शन नहीं होने देते, जो कनेक्शन उसके पति के नाम है उससे उसका कनेक्शन काट देते हैं। पति को उससे दूर कर दिए हैं। अजय गुप्ता से जन्में दो बच्चे हैं, जो अभी नाबालिक हैं। अजय गुप्ता, संजय गुप्ता और उनके पिता प्यारे लाल गुप्ता गिरे हुए चरित्र के हैं। घर की महिलाओं से अनैतिक कार्य कराना चाहते हैं। मेरे और जो जेठानी हैं, उनसे भी अनैतिक कार्य कराने के लिए ससुर प्यारे लाल गुप्ता मन बनाया, जिसे हमारी जेठानियों ने ठुकरा दिया। उसकी सजा उन्हें घर से बेखर करके दी गई। उनके पति को हिस्सा नहीं दिया गया। एक षड्यंत्र के तहत प्यारे लाल गुप्ता अपने नाम की जमीन को अजय और संजय के नाम दिखाने के लिए बैनामा किया ताकि कागजात पर वह मालिक ही न रहे। पुनः दूसरी साजिश की गई और इस बार अजय गुप्ता अपने नाम की जमीन को अपने भाई संजय गुप्ता के नाम कर दिया। ताकि हमें हिस्सा न मिले।
शासन और प्रशासन में बिना सिर पैर की बातों का आरोप लगाकर सिस्टम में बैठे हुक्मरानों को अनायास परेशान करने का कार्य किया जा रहा है। जब कोर्ट ने आदेश दे रखा है कि हम और हमारे बच्चे पति के मकान के उस कमरे में ही रहेंगे। साथ ही पति उसे और उसके नाबालिग बच्चों को गुजारा भत्ता भी देगा। फिर उस मकान से निकालने का कार्य जो करेगा, वह माननीय न्यायालय के आदेश की अवमानना करेगा। अदालत के आदेश के बावजूद पति अजय ने अपने उस मकान को अपने छोटे भाई संजय गुप्ता के नाम कर दिया। ताकि हमें और हमारे दोनों बच्चों को घर से धक्के मारकर बाहर कर दिया जाए। जबकि उन्हें इस बात का एहसास नहीं कि वो चाहे जितने बैनामे करा लें, परन्तु उस मकान से उसे बाहर नहीं कर सकते। चूँकि अदालत ने अपने आदेश में एक प्रति थानाध्यक्ष फूलपुर को इस आशय के साथ दिया है कि वह उस आदेश का अनुपालन करायें। बिना लेनदेन किये कागज पर पिता ने पहले अजय और अजय के नाम अपनी जमीन का बैनामा कर दिया और एक साजिश के तहत अजय भी बिना लेनदेन किये अपनी सम्पत्ति अपने छोटे भाई संजय के नाम बैनामा कर दिया है।
एक तरह से ग्रीनलैंड टैक्स की यह चोरी है और लेनदेन का कोई रिकार्ड भी नहीं है। सिर्फ अजय की पत्नी साधना गुप्ता को किसी भी विधान से उस घर से बाहर कर दिया जाए, ताकि अजय की दूसरी शादी फिर से की जा सके। ये सारे ड्रामें इसी लिए किये जा रहे हैं। अजय को लग रहा है कि साधना गुप्ता को घर से बेघर करके अपनी दूसरी शादी करने के बाद वह संजय को किया गया बैनामा वापस ले लेगा, यह उसकी पहली और आखिरी भूल होगी। अब संजय और उसकी पत्नी रुचि ऐसा कदापि नहीं होने देंगे। प्यारेलाल गुप्ता को इस बात का घमंड है कि वह अनाज की कालाबाजारी कर मोटी रकम कमाता है और उसका समधी बाबूलाल गुप्ता बाटी और चोखा का एक ठेला लगाकर गुजर बसर करता है। यही वहम प्यारेलाल गुप्ता को खा गया। बाबूलाल गुप्ता और उसकी बेटी साधना गुप्ता सहित उसके दोनों भाई राहुल गुप्ता और सुशील गुप्ता सहित उसका पूरा परिवार प्यारेलाल गुप्ता के घमंड को चकना चूर कर दिया है। हर कदम पर प्यारेलाल गुप्ता, अजय गुप्ता और संजय गुप्ता को बाबूलाल गुप्ता का परिवार शिकस्त देने में सफल रहा है। फिर भी रस्सी जल गई, पर बल नहीं गया वाली कहावत को चरितार्थ करने में प्यारेलाल और उनके दो बेटे अजय और संजय सिद्ध करने में लगे हैं। इस नेक कार्य में प्यारेलाल गुप्ता का परम सहयोगी ग्राम प्रधान योगेन्द्र कुमार शामिल है। वह थाना और अदालत के दरवाजे तक कदम ताल करता हुआ दिख जाता है।
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें