आम जनता में खराब होती खाकी की शोहरत, जिम्मेदार कौन...???
जेठवारा पुलिस का विवादों से रहा है,पुराना नाता...
एक संस्था के मालिक और रेडीमेड कपड़े के व्यावसाई पंकज कुमार यादव पुत्र विजय कुमार यादव निवासी- सराय लोहंग राय, जिसने प्रतापगढ़ शहर में रेडीमेड कपड़ा बनाने का कारखाना लगा रखा है। आए दिन जेठवारा थाने की पुलिस व्यवसाई के घर जाकर गाली देती है और बोलती हैं कि उससे बोलना मुझसे आकर मिल ले ! नहीं तो फिर से जेल भेज दूंगा। फिर उसका दिमाग ठीक हो जायेगा। इसके पहले भी व्यवसाई को फर्जी मुकदमें में पुलिस घर से जबरदस्ती ले जाकर जेल भेज चुकी है, जिसका मुकदमा कोर्ट में विचाराधीन हैं। आज दिनांक 13/10/2021 को व्यवसाई के गांव में लगे माता जी के दुर्गा पंडाल में आरती करने के लिए गया था। लगभग 4:30 बजे दो सिपाही, विधान चन्द्र राय, कृष्ण बिहारी राय हीरो सुपर स्प्लेंडर से घर जाकर गाली देने लगे और बोला कहां गया पंकज ? हमें सूचना मिली है कि वो घर आया है। उसके ऊपर एफआईआर दर्ज है और गिरफ्तारी का वॉरंट जारी हुआ हैं।
व्यवसाई गांव में ही था, घर गया और बात क्या है, जानने की कोशिश की ! लेकिन एक सिपाही जिसने अपना नाम प्लेट और बैच पहले से ही वर्दी से निकाल दिया था, जो कि वीडियो में साफ दिख रहा है, वह साइड में ले जाकर तुरंत वो 5 हजार रुपए की मांग की और बोला कि किसी को कुछ पता नहीं चलेगा और तुम्हें छोड़ दूंगा और पैसा हफ्ते में पहुंचा देना। जब व्यवसाई ने पूछा कि आप कौन हो, नाम और वर्दी में बैच कहां है और मेरा कसूर क्या है ? पैसे न देने का विरोध करने पर सिपाही मां-बहन की गाली देने के साथ-साथ लिए डंडे से मारने लगा।जिससे बचने के लिए व्यवसाई गुहार लगाते हुए गांव की तरफ भागने की कोशिश की। घर और गांव वालों के विरोध करने पर और गिरफ्तारी करने का कारण पूछने और एफआईआर कापी मांगने पर सिपाही खुद तुरंत भाग निकले। जिस खाकी वर्दी को कानून की रखवाली मिली होती है, वह जब पैसे के लिए अपना ईमान बेंचती है तो वह अपना ही ईमान नहीं बेंचती बल्कि कानून की वर्दी भी नीलाम कर देती है।
उक्त घटना क्रम में जब घर के सदस्यों द्वारा सिपाही से नाम पूछने पर अपना फर्जी नाम विकास पाण्डेय बता रहा है। इससे पहले भी व्यवसाई को पुलिस घर से ले जाकर तीन दिन बाद चालान कर दिया था, जिसका सारा सबूत कोर्ट में पेस किया गया है। ये है हमारे यूपी पुलिस की दबंगई। जबरन एक निर्दोष को फंसाने की साजिश की है। जिससे कि ऐसा और किसी दूसरे के साथ अन्याय न हो सके। इन सिपाहियों के काले कारनामों का पता सबको चल सके और साथ ही इनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही हो। धन की चाहत में आज भी पुलिस अपना स्तर कितना गिरा लेगी कह पाना मुश्किल होगा। बीट के सिपाही जब क्षेत्र में जाते हैं तो वह पैसा ढूढ़ते हैं। वह यह नहीं तय कर पाते कि किससे पैसा लेना चाहिए और किससे नहीं लेना चाहिए। सच बात यह है कि खाकी वर्दी को आज भी जो लोग बुरी नजर से देखते हैं, उसके पीछे का असल कारण ऐसे सिपाहियों के काले कारनामें होते हैं। पुलिस के उच्चाधिकारी लाख प्रयास कर लें कि आम जनता के बीच में पुलिस की शोहरत सही हो सके, परन्तु घूंसखोर सिपाहियों के आगे उनकी सारी सोच पर पानी फिर जाता है।
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