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रविवार, 31 अक्तूबर 2021

प्रतापगढ़ में सदर तहसील के बेल्हाघाट हल्के में वर्ष-2017 से कुण्डली मारकर बैठे जगलर लेखपाल सुशील मिश्र का कुंडा तहसील में हुआ तवादला

शहर मुख्यालय प्रतापगढ़ के सदर तहसील के बेल्हाघाट हल्के में तैनाती के लिए लेखपाल अपनाते हैं- साम, दाम, दंड, भेद 


सदर तहसील में राजस्व गाँव बेल्हाघाट में स्व रियाज अहमद, अरुण सिंह, राम सिंह के बाद सुशील मिश्र बने थे हल्का लेखपाल 


सदर तहसील का जगलर लेखपाल सुशील मिश्र...

प्रतापगढ़ में सदर तहसील शहर मुख्यालय पर स्थित है। शहर में हल्का लेखपाल होने के लिए सारे लेखपाल परेशान रहते हैं कि उनकी तैनाती शहर में कैसे हो ? प्रतापगढ़ को बेल्हा भी कहते हैं और सदर तहसील में एक मौजा राजस्व गाँव बेल्हाघाट है। बेल्हाघाट में हल्का लेखपाल स्व रियाज अहमद कई वर्षों तक अपना जलवा बिखेर रखे थे और लेखपाल होते हुए अरबों रुपये अर्जित किये। रियाज अहमद के बाद अरुण सिंह को बेल्हाघाट पर तैनाती मिली। अरुण सिंह के बाद राम सिंह को बेल्हाघाट में तैनात किया गया। रामसिंह को शहर के दूसरे राजस्व गाँव सहोदरपुर में तैनात करके वहाँ के हल्का लेखपाल सुशील मिश्र को बेल्हाघाट का लेखपाल बनाया गया। संयोग से सुशील मिश्र के पिता और बाबाजी दोनों राजस्व विभाग में लेखपाल रहे। लेखपाल पद पर मृतक के रूप में सुशील मिश्र  को नियुक्ति मिली। जनता को हड़काने के लिए लेखपाल सुशील मिश्र कहते थे कि हमें नहीं जानते, हम खानदानी लेखपाल हैं। हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता हम सारे अधिकारियों को मैनेज करके रखते हैं। सुशील मिश्र की बात को लोग सही भी मान लेते थे, क्योंकि कई लोग सामूहिक रूप से लगकर शिकायत किये और उन्हें हटाने का प्रयास भी किये, परन्तु असफल रहे   

तवादले के बाद लेखपाल सुशील मिश्र की निकल गई हेकड़ी... 

सदर तहसील में एक से बढ़कर एक जगलर लेखपाल हैं जो बिना किसी आधार और साक्ष्य के खतौनी में नया खाता बाँध देते हैं और खतौनी जारी कर देते हैं। कुछ लेखपाल तो इतने ढीठ और निरंकुश हैं कि वह जमीन यानि भूमि की नवैयत ही बदल देते हैं। शहर प्रतापगढ़ में 99 फीसदी तालाबी आराजी की नवैयत बदलकर हल्का लेखपालों ने भूमाफियाओं से मिलीभगत करके उसे बेंच खाया। ऐसे ही जगलर लेखपालों में सुशील मिश्र का नाम आता है। शहरियों को सुशील मिश्र से बहुत शिकायत थी। शिकायत की वजह से जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ नितिन बंसल ने सुशील मिश्र का सदर तहसील से कुंडा तहसील में तवादला कर दिया है। फिलहाल अभी बेल्हाघाट हल्के में किसी लेखपाल की तैनाती नहीं हुई है,परन्तु बेल्हाघाट में तैनाती के लिए सदर तहसील के अन्य जगलर लेखपालों ने अपनी-अपनी गोट फिट करने में दिन रात एक कर दिए हैं। सदर तहसील में लेखपालों का एक गिरोह है,जो एक दूसरे के लिए हमेशा खड़ा रहता है। अब देखना है कि इस बार किस गिरोह का लेखपाल बेल्हाघाट का लेखपाल बनता है ? 

अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार परविंदर सिंह की शिकायत पर हुआ तवादला...

बेल्हाघाट के लेखपाल सुशील मिश्र के तवादले से शहरियों में खुशी की लहर है। कई जगह मिठाईयां बाँटी गई। शहर वासी बेल्हाघाट के हल्का लेखपाल सुशील मिश्र के क्रिया कलापों से तंग हो गए थे लेखपाल सुशील मिश्र पर क्षेत्र में खसरा, खतौनी में हेरफेर करने के आरोप लगते रहे हैं। मुँह माँगी रकम बिना वसूल किये सुशील मिश्र कोई काम नहीं करते थे। पूर्व में लगाई गई अपनी ही रिपोर्ट को झूठी बता देते थे। दूसरे पक्षकार के हक में फिर से धन लेकर रिपोर्ट लगा देने की विशेषज्ञता सुशील मिश्र में समाहित थी। नॉन जेड ए की खतौनी में हल्का लेखपाल सुशील मिश्र खेल करने के उस्ताद बन चुके थे। उनकी तैनाती सदर तहसील प्रतापगढ़ में 12वर्षों से अधिक समय से थी। बेल्हाघाट से पहले सुशील मिश्र सहोदरपुर शहरी क्षेत्र के हल्का लेखपाल थे। शहर बेल्हाघाट की लेखपाली करने के लिए दो प्राइवेट मुंशी रखे थे। सुनकर ताज्जुब की बात लगती है कि एक हल्का लेखपाल सरकारी कार्य निपटाने के लिए दो प्राइवेट मुंशी रखे। शहर के लेखपालों को तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम, सीआरओ सहित जिलाधिकारी को मैनेज करते हुए डाक बंगले के खर्च को अलग से देखना पड़ता है। जिले में आये VVIP को सारी सुख सुविधा का विशेष ख्याल रखना पड़ता है 


लेखपाल सुशील मिश्र बेशकीमती जमीन के विवाद में जमकर वसूली करते थे। पूर्व सदर एसडीएम मोहनलाल गुप्ता और पूर्व एडीएम प्रतापगढ़ शत्रोहन वैश्य के चहेते लेखपालों में सुशील मिश्र की गणना होती थी। तहसील सदर में घुसते ही बाएं हाथ पर एक कमरा कब्जा कर रखा था। उस कमरें में इनवर्टर आदि सुविधाओं की विशेष सुविधा थी। चलने के लिए लग्जरी कार, शहर में अचलपुर विकास कालोनी में बंगला और देवकली में प्राइवेट दफ्तर बनाकर महीने में लाखों रुपये का वारा न्यारा करते थे। जिलाधिकारी, मंडलायुक्त सहित राजस्व परिषद एवं उत्तर प्रदेश शासन से लगातार शिकायत हो रही थी। इस बार प्रतापगढ़ के एक सरदार के जमीन और मकान के विवाद में अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार परविंदर सिंह जब प्रतापगढ़ आये थे तो उसी समय हल्का लेखापाल सुशील मिश्र की शिकायत जिलाधिकारी से की गई। जिस पर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ नितिन बंसल ने एक सप्ताह का समय माँगा था और उस एक हफ्ते के भीतर बेल्हाघाट के हल्का लेखपाल सुशील मिश्र का तवादला सदर तहसील से कुंडा तहसील कर दिया। इस बार सुशील मिश्र चूक गए और उनकी एक भी दलील काम नहीं आयी। 


ब्यापक तौर पर हल्का लेखपाल सुशील मिश्र की शिकायत शासन से लेकर जिला प्रशासन से होती थी, परन्तु अति जागरूक होने की वजह से सुशील मिश्र अपनी पैरोकारी उच्चाधिकारी के यहाँ कर लिया करते थे। एसडीएम सदर और अपर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ सहित मुख्य राजस्व अधिकारी भी सुशील मिश्र का सपोर्ट कर देते थे, जिससे सुशील मिश्र बच जाया करते थे शिकायतों के मद्देनजर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ नितिन बंसल ने सुशील मिश्र का सदर तहसील से कुंडा तहसील में तवादला कर दिया। शहर बेल्हाघाट हल्के में दोनों हाथों से धन बटोरने के लिए सदर तहसील के कई लेखपाल अपनी अपनी गोट फिट करने में जुटे हैं। कुछ जगलर किस्म के लेखपाल अपनी तैनाती के लिए कोई सांसद संगम लाल गुप्ता से सिफारिश करा रहा है तो कोई विधायक राजकुमार "करेजा पाल" से सिफारिश करा रहा है। बेल्हाघाट में लेखपाल होने की तमन्ना रखने वाले कई लेखपाल मंत्री मोती सिंह के भी संपर्क में हैं। देखना है कि लाखों रुपये की अतिरिक्त कमाई वाले सदर तहसील के बेल्हाघाट में आखिर किसकी तैनाती जिलाधिकारी प्रतापगढ़ करते हैं ? फिलहाल सुशील मिश्र के तवादले से शहर के 90फीसदी लोग खुश हैं।


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