कानपुर के बिकरू की घटना के बाद भी प्रतापगढ़ पुलिस आधी-अधूरी तैयारी के साथ दबिश देने पहुँच गयी, नतीजा यह रहा कि पुलिस टीम पर ही बेखौफ बदमाशों ने झोंक दिया, फायरिंग
जब पुलिस और अपराधियों में असल मुठभेड़ होती है तो पुलिस के जवान चित हो जाते हैं और वेखौफ अपराधी बच निकलते हैं, परन्तु पुलिस जब अपराधियों को पकड़ कर मारती है तो अपराधी ही चोटहिल होता है न कि पुलिस के जवान
लालगंज पुलिस टीम पर अपराधियों ने किया हमला... |
लालगंज। लालगंज कोतवाली के बाबू तारा गांव में बीती रात दबिश देने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने फायरिंग कर दी, जिसमें दो सिपाही गंभीर रूप से जख्मी हो गए। सिपाही सत्यम और राम सिंह के पैर में गोली लगी है, जिन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। बीती रात का मामला। स्वाट टीम के पहुचने पर हुआ बवाल। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह कानून के रखवालों को अपनी गोली का निशाना बनाने से नहीं हिचक रहे हैं। कुछ खाकीधारी अपराधियों से बेहतर सम्बन्ध बनाये रखते हैं और उन्हें पुलिस की कार्रवाई से बचाने का कार्य भी करते हैं। अक्सर थाना प्रभारी और सीओ के हमराही और वाहन चालक अपराधियों के लिए मुखबिर सिद्ध हुए हैं। अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए बनी स्वाट टीम के सिपाही भी अपराधियों से सम्बन्ध रखकर धन कमाने की जुगत में उनसे याराना कर लेते हैं। जिसका नतीजा किसी दूसरे पुलिस वालों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है।
प्रतापगढ़ जनपद में खाकी पर हमला होना कोई नई बात नहीं है। सीओ, इंस्पेक्टर और थानेदार एवव सिपाही की बेखौफ अपराधियों द्वारा उनकी हत्या तक की गई है, परन्तु प्रतापगढ़ का अक्लवान पुलिस महकमा इससे सबक नहीं लिया और आधी अधूरी तैयारी के साथ अपराधियों के घर दबिश देने पहुँच जाते हैं और मार खाकर चले आते हैं। अपनी वर्दी की अकड़ में अपराधियों के हाथों मार ही नहीं खाते, बल्कि अपनी गाड़ी भी फुकवाने के आदी हो चुके हैं। कहने के लिए तो ये पुलिस के जवान स्वयं को रंगरूट कहते हैं,परन्तु आज कल के रंगरूट सिर्फ शरीफ इंसान के लिए अपनी रंगरूटई दिखाती है। परन्तु जब अपराधियों से इनका मुकबला होता है तो इनकी सारी अकड़ उड़नछू हो जाती है। कानपुर के बिकरू में गैंगेस्टर अपराधी विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस टीम में सीओ, सब-इंस्पेक्टर सहित 8 पुलिस के जवान की निर्मम हत्या बेखौफ अपराधियों द्वारा कर दी गई थी, फिर भी उत्तर प्रदेश की पुलिस उस घटना से सबक नहीं लिया और अक्सर आधी-अधूरी तैयारी के साथ अपराधियों को पकड़ने हेतु उनके घर पर दबिश दे देती है और उल्टे स्वयं मार खाकर चली आती है। कभी-कभी तो जान की बन पड़ती है।
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