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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

प्रतापगढ़ के विश्वनाथगंज विधानसभा के विधायक डॉक्टर आर के वर्मा ने पहन ली समाजवादी पार्टी की लाल टोपी, वर्ष-2017 में भाजपा व अपना दल एस के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में हुए थे,निर्वाचित

विश्वनाथगंज विधानसभा के विधायक डॉक्टर आर के वर्मा के सपा में शामिल होने से राजनीतिक दलों में उलटफेर की बढ़ी संभावनाएं, अभी तक सपा के संभावित सभी उम्मीदवारों में मचा हड़कंप


 विश्वनाथगंज विधायक डॉ. आरके वर्मा ने पहनी सपा की टोपी, गरमाई का सियासत...


विधायक डॉ.आर के वर्मा ने सोमवार को लखनऊ में सपा की लाल टोपी पहनी तो बेल्हा की सियासत में अचानक गरमाहट आ गई। हर ओर इस बात की चर्चा होने लगी कि आखिर किस शर्त पर सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव विश्वनाथगंज विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक डॉ आर के वर्मा को सपा में शामिल किया ? जबकि डॉ आर के वर्मा वर्तमान में अपना दल एस से विश्वनाथगंज विधानसभा के विधायक हैं। डॉ आर के वर्मा पहली बार मोदी लहर में भाजपा से फ्रेंडली फाइट करके अपना दल एस के टिकट से लोकसभा चुनाव 2014 के साथ हुए उप चुनाव में धुप्पल में विधायक निर्वाचित हुए थे। क्योंकि लोकसभा चुनाव-2014 में भाजपा और अपना दल का गठबंधन था। सो प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से अपना दल और भाजपा के संयुक्त उम्मीदवार कुँवर हरिवंश सिंह के साथ डॉ आर के वर्मा जी की भी किस्मत खुल गई और बन गए ऐक्सिडेंटल विधायक।

सूबे में सामान्य निर्वाचन-2017 में डॉ आर के वर्मा को अपना दल एस और भाजपा ने अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया और जनता न चाहते हुए भी डॉ आर के वर्मा को भला बुरा कहते हुए भाजपा और मोदी जी के नाम पर फिर से विधायक बना दिया। परन्तु इस बार डॉ आर के वर्मा कुछ ही दिनों में अपना दल एस से निष्कासित हो गए। फिर भी अभी तक उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कुर्ते की टोक पकड़ कर भाजपा के सहारे अपना दल एस से निष्कासित होने के बाद भी विश्वनाथगंज से विधायक बने रहे। सत्तापक्ष के विधायक रहते हुए आए दिन शासन-प्रशासन की नीतियों की आलोचना करने वाले भाजपा समर्थित अपना दल (एस) के विश्वनाथगंज से विधायक डॉ. आरके वर्मा ने सोमवार को लखनऊ में सपा की लाल टोपी पहन ली तो बेल्हा की सियासत अचानक गरमा गई। हर ओर इसकी चर्चा होने लगी। खासकर विश्वनाथगंज विधानसभा सीट के समीकरण को लेकर गुणा-गणित होने लगी। राजनीतिक धुरंधरों के साथ आम लोग भी तरह-तरह के कयास लगाने लगे। इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए वर्षों से तैयारी कर रहे पूर्व मंत्री राजाराम पांडेय के बेटे सपा नेता संजय पांडेय की स्थिति पर भी लोग चर्चा करने लगे कि अगर सपा ने डॉ. आर के वर्मा को यहां से चुनाव लड़ाया तो संजय पांडेय कहां जायेंगे ? विधायक डॉ.आर के वर्मा के डिप्टी स्पीकर के चुनाव में सपा प्रत्याशी को वोट देने की भी चर्चा जोरों पर रही।


जातिवादी राजनीति करने वाले विधायक डॉ. आर के वर्मा को लेकर जिले में पिछले कई माह से सपा में जाने की चर्चा जोरों पर रही। सोमवार को लखनऊ में डिप्टी स्पीकर के चुनाव में उनके सपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने का भी जिले में दावा किया जा रहा है। विधानसभा में मौजूद जिले के एक विधायक ने बताया कि डॉ.आर के वर्मा डिप्टी स्पीकर के लिए सपा प्रत्याशी नरेंद्र वर्मा को वोट देने की बात कह रहे थे। यही नहीं, सपा कार्यालय जाकर डॉ.आर के वर्मा ने लाल टोपी भी पहन ली। ये खबर जैसे ही बेल्हा पहुंची तो सियासी गलियारे में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चाएं होने लगी। हालांकि इस बाबत डॉ.आर के वर्मा से कई बार फोन लगाने के बाद भी बात नहीं हो सकी। अपना दल (एस) के जिलाध्यक्ष बृजेश पटेल ने बताया कि डॉ. आर के वर्मा संगठन से कभी कोई नाता ही नहीं रखते। वह पार्टी गाइडलाइन से बाहर हैं। पार्टी के किसी कार्यक्रम में भी शामिल नहीं होते। 31अक्टूबर को विधि विधान से डॉ.आर के वर्मा सपा में शामिल होने की चर्चा है। अभी तो सिर्फ सपा की लाल टोपी धारण की है। देखना होगा कि समाजवादी पार्टी में सक्रिय सदस्य बनने से पहले नैतिकता की बात करने वाले डॉ आर के वर्मा विधानसभा सदस्य पद से त्याग पत्र देते हैं अथवा अनैतिकता की रुमाल से मुँह ढँककर अपना दल एस से निष्कासित विधायक डॉ. आर के वर्मा समाजवादी पार्टी में सक्रिय सदस्य बन जाते हैं।


राजनीतिक उथल पुथल के बीच राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं और पदाधिकारियों वहीं,भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र ने कहा कि डॉ.आर के वर्मा उनकी पार्टी के समर्थन से जीते जरूर थे, लेकिन वह काफी दिनों से वह विपरीत धारा में चल रहे हैं। लगातार शासन-प्रशासन की आलोचना कर रहे हैं। इस बाबत शासन और संगठन को भी अवगत कराया जा चुका है। जबकि सपा जिलाध्यक्ष छविनाथ यादव ने इस बाबत किसी प्रकार की जानकारी से इनकार कर दिया। मगर, डॉ.आर के वर्मा ने सोमवार को सपा कार्यालय जाते समय लाल टोपी पहनकर बेल्हा की राजनीति को गरम कर दिया है। समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए चिंता की बात है कि ऐन चुनाव से पहले सत्ताधारी दल के विधायक को पार्टी में शामिल कराया जा रहा है तो निश्चित तौर पर बिना किसी ठोस आश्वासन के नहीं किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी से टिकट की उम्मीद लेकर बैठे कई लोगों को जोरक झटका धीरे से लगा है। विधायक डॉ आर के वर्मा के सपा में शामिल होने से जहाँ भाजपा और अपना दल एस में खुशी है, वहीं सपा में जबरदस्त मायूसी है। जिला पंचायत चुनाव से ही डॉ आर के वर्मा राजा भईया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक में जाने पर विचार कर रहे थे, परन्तु वहाँ बात न बनी। फिर समाजवादी पार्टी की तरफ रुख किया। सपा सुप्रीमों से मुलाकात की, परन्तु टिकट की कोई श्योरिटी न होने पर इतना विलम्ब हुआ। अब किस उम्मीद और कमेनमेन्ट पर डॉ आर के वर्मा समाजवादी पार्टी की लाल टोपी धारण किये ? यह तो वक्त ही बतायेगा।


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