मेडिकल कालेज में सफाई व्यवस्था एवं पार्किंग की अव्यवस्था देखकर नाराज हुए नोडल अधिकारी संजय गोयल
राजकीय मेडिकल कालेज के इमरजेंसी में निरीक्षण करते मंडलायुक्त संजय गोयल...
प्रतापगढ़। मण्डलायुक्त प्रयागराज/जनपद के नोडल अधिकारी संजय गोयल ने आज जिलाधिकारी डा0 नितिन बंसल, मुख्य विकास अधिकारी प्रभाष कुमार के साथ मेडिकल कालेज के अस्पताल व आक्सीजन जेनरेशन प्लान्ट का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान नोडल अधिकारी ने प्राचार्य मेडिकल कालेज देश दीपक आर्य से अभी तक आक्सीजन प्लान्ट चालू न किये जाने का कारण पूछा तो प्राचार्य ने बताया कि ड्रायर खराब होने के कारण चालू नहीं कराया जा सका, इसकी आपूर्ति डीआरडीओ द्वारा की जानी है। प्राप्त होने पर चालू करा दिया जायेगा।
मेडिकल कालेज कैम्पस में निरीक्षण के दौरान अब्यवस्था से नाराज दिखे नोडल अफसर...
हास्पिटल में नोडल अधिकारी ने मेडिसिन वार्ड, पीकू वार्ड, कोविड आइसोलेशन वार्ड एवं सर्जरी वार्ड का निरीक्षण किया। प्राचार्य द्वारा बताया गया कि पीकू वार्ड के लिये 50 बेड तथा आइसोलेशन के 50 बेड आरक्षित किये गये है। सभी बेड आक्सीजन सुविधा युक्त है। नोडल अधिकारी ने प्राचार्य को निर्देश दिया कि वार्ड के सभी उपकरण को चालू कराकर देख लिया जाये कि उनमें कोई कमी नही है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनका उपयोग किया जा सके। पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती बच्चों का उन्होने हाल-चाल लिया और भर्ती मरीजों से दवा की उपलब्धता, डाक्टरों की विजिट आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की। सच्चाई तो यह है कि 90फीसदी सरकारी डॉक्टर कहीं न कहीं प्राइवेट प्रैक्टिस करने में मस्त हैं। सरकारी अस्पताल में तो वह इसलिए थोड़ी देर समय दे देते हैं, ताकि उनके मरीज प्राइवेट में आने लगे। उसके लिए बाकायदा डॉक्टर अपने पास दलालों की फौज पाल रखे हैं।
निरीक्षण के समय किसी पीडियाट्रिक वार्ड में डाक्टर के उपस्थित न रहने पर नोडल अधिकारी ने नाराजगी जतायी और निर्देशित किया कि पीडियाट्रिक वार्ड में संवेदनशीलता को देखते हुये डाक्टरों की ड्यूटी शिफ्टवार लगायी जाये। इसके लिये मेडिकल कालेज के जूनियर रेजीडेन्ट के डाक्टरों का उपयोग किया जाये। भर्ती मरीज अक्षत गुप्ता निवासी मोहनगंज के अभिभावक द्वारा बताया गया कि पैथालाजी में ब्लड की जांच 12 बजे तक ही की जाती है। इमरजेन्सी में ब्लड की जांच बाहर से कराना पड़ता है। जिस पर नोडल अधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुये प्राचार्य को निर्देशित किया कि पैथालाजी 24 घंटे चलाने हेतु आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करायें। उन्होंने पैथालाजी को अन्य स्थान पर शिफ्ट कर 24 घंटे चलाने हेतु कहा। स्वास्थ्य विभाग इतना निकम्मा और गैर जिम्मेदार हो चुका है कि उसे नोडल अफसर के आदेश निर्देश सब बकवास नजर आते हैं। उनकी चमड़ी इतनी मोटी हो चुकी है कि शासन का आदेश भी वह कूड़ा ही समझते हैं।
नोडल अधिकारी ने अस्पताल में सफाई व्यवस्था एवं जल जमाव होने पर सीएमएस को फटकार लगायी और निर्देश दिया कि ओपीडी के बाद परिसर की सफाई करायी जाये तथा प्राचार्य को निर्देशित किया कि सफाई हेतु एक मेडिकल कालेज के जूनियर रेजीडेन्ट को नोडल अधिकारी नामित किया जाये जो नियमित रूप से सफाई व्यवस्था पर नजर रखें। सीएमएस द्वारा बताया गया कि अस्पताल में सभी दवाइंया है। उन्होंने प्राचार्य से अपने अधीनस्थ मैन पॉवर का समुचित उपयोग कर अस्पताल की व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया तथा सचेत किया कि किसी भी दशा में मरीज को बाहर की दवाइंया लेने हेतु न लिखा जाये, अस्पताल से ही दवा दी जाये। यह कहना जितना आसान है, उतना ही ब्यवहारिक रूप से कठिन है। अस्पताल के अंदर से दवा मरीजों को देने के लिए बहुत ही अमूलचूर्ण परिवर्तन करने होंगे। तभी अस्पताल के अंदर से दवाएं मरीजों को दी जा सकती हैं।
अब नोडल अफसर यानि मंडलायुक्त संजय गोयल को कौन समझाए कि अस्पताल में आपूर्ति होने वाली दवाइयों को खाते रहिये,मरीज को कोई लाभ होने वाला नहीं है। मरीजों और उनके तीमारदारों के कहने पर ही दवा बाहर की लिखी जाती है। चूँकि अस्पताल में आपूर्ति होने वाली दवाइयों में इतना कमीशनखोरी होती है कि उसकी गुणवत्ता न के बराबर रहती है। उदाहरण के लिए यदि किसी को बुखार है तो वह अस्पताल की आपूर्ति वाला पैरासिटामोल खाने से बुखार उतरेगा ही नहीं। इसलिए चिकित्सक बाहर की दवा मरीजों और तीमारदारों से पूँछकर लिखता है। नोडल अफसर अस्पताल की दवा का सेवन किसी रोग के लिए करके देखें तो वह अपना फरमान वापस ले लेंगे। पहले अस्पताल में दवा की आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार कराएं और उसके बाद दवा की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं। तब अपना फरमान लागू कराएं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें