पेट्रोल व डीजल के स्थान पर सालवेंट केमिकल बेंचने वाले महारथियों की बोलती हुई बंद, जमानत अर्जी खारिज होने के बाद मायूस हुए पेट्रोल पम्प के मालिकान
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कटरा रोड़ स्थित अलका ऑटोमोबाइल जो सील है,फिर भी मशीन खराब लिखा गया है... |
जनपद प्रतापगढ़ में अलका पेट्रोल पम्प के मैनेजर घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ, उनके पुत्र आयुष प्रताप सिंह, मैनेजर प्रदीप मिश्र आदि के सहयोग से पेट्रोलियम पदार्थों में सालवेंट हाइड्रोकार्बन केमिकल मिलाकर पेट्रोल पंप पर ग्राहकों को विक्रय किया जाता रहा। जिसकी जानकारी एसटीएफ को होने पर जनपद में ऐसे पेट्रोल पंप संचालकों को चिन्हित करके उनके पेट्रोल पम्प पर छापा मारकर घटनास्थल से टैंकर समेत अन्य उपकरण बरामद करके मौके से जो मिले उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। इसी क्रम में अलका पेट्रोल पंप जिसका लाइसेंस दिनांक 29-12-2020 को निरस्त हो चुका था। परन्तु अलका ऑटोमोबाइल के संचालक घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ, उनके पुत्र आयुष प्रताप सिंह जो धन पिपासु हो चुके थे। उन्होंने इसकी परवाह किये बगैर अलका ऑटोमोबाइल का संचालन जारी रखा।
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लाइसेंस रद्द होने के बाद भी भोले सिंह और मनोज सिंह संचालित करा रहे थे,पेट्रोल पम्प... |
चूँकि अलका ऑटोमोबाइल के संचालक भी घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ हैं और अलका पेट्रोल पम्प इंडियन आयल कम्पनी से लाइसेंस प्राप्त करके संचालित रही। बड़ी चालाकी के साथ घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ अलका पेट्रोल पम्प के लिए इंडियन आयल कम्पनी से आने वाली आपूर्ति को एस्सार पेट्रोल पम्प तिलका पर उतार दिया करते थे और उसी की आड़ में सालवेंट हाइड्रोकार्बन केमिकल बेंचकर मुनाफा कमाना शुरू किया। कहावत भी है कि एक बार शेर के मुँह खून लग जाए तो उसे दूध पीना पसंद नहीं आता। घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ भी उसी शेर की तरह हैं। एक बार धन कमाने की जो लत लगी तो वह छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। यदि लत छोड़नी होती तो वर्ष-2011 में अलका ऑटोमोबाइल पर मिट्टी का तेल मिलाते हुए घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ पकड़े गए थे। उस समय पुलिस और एसओजी टीम घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ समेत उनसे जुड़े पैरोकारों की मेहमानवाजी भी की थी। घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ समेत पूरे खानदान की बहुत किरकिरी हुई थी। फिर भी उनकी आदत में सुधार न आ सका।
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अलका पेट्रोल पम्प सीज,परन्तु इज्जत बचाने के लिए मशीन खराब होने का बहाना... |
तिलका पेट्रोल पम्प पर छापेमारी के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि तिलका के साथ-साथ अलका पेट्रोल पम्प पर भी पेट्रोल की जगह सालवेंट हाइड्रोकार्बन केमिकल की बिक्री के लिए एक सप्ताह पूर्व टैंकर से सालवेंट हाइड्रोकार्बन केमिकल उतरा था। इस तरह दोनों पेट्रोल पम्प सील कर दी गई, परन्तु पेट्रोल पंप मालिक घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ की थेथरई तो देखिये कि सीज पेट्रोल पम्प पर स्थापित मशीन को प्लास्टिक से ढंककर उसके ऊपर मशीन खराब है लिखवा कर अपनी नीलाम हो रही इज्जत को बचाने का प्रयास किया गया। घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ अपने और अपने खानदान की इज्जत की इतनी ही फिक्र थी तो इतना घटिया कुकृत्य करते ही नहीं। एक बार दूध की जली बिल्ली, छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीती है। परन्तु घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ बिल्ली वाली कहावत को भी भूल गए। भूल इसलिए गए कि प्रत्येक लीटर पेट्रोल पर उन्हें 35 रूपये तक का लाभ जो होता था। उसी लाभ के लिए घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ पगलाये रहते थे। उनके लिए नियम कानून सब ताक पर होता था। पत्नी की मौत का गम भी उन्हें इस पागलपन से छुटकारा न दिला सका।
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तिलका पेट्रोल पम्प सीज,परन्तु इज्जत बचाने के लिए मशीन खराब होने का बहाना... |
तिलका पेट्रोल पम्प पर आधी रात को सालवेंट हाइड्रोकार्बन केमिकल को जब पेट्रोल पंप मालिक घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ तथा उनके उनके पुत्र आयुष सिंह व मैनेजर प्रदीप मिश्रा के सहयोग से पेट्रोल पंप के कर्मचारियों द्वारा टैंकर से पेट्रोल पंप की टैंक में उतार रहे थे तो उन्हें एसटीएफ टीम द्वारा रंगे हाथ मौके से गिरफ्तार किया गया गया था। कुछ लोग अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए थे। जिनकी मौके पर गिरफ्तारी हुई थी, उनकी जमानत अर्जी माननीय विशेष अपर सत्र न्यायाधीश सीताराम जी के न्यायालय में प्रस्तुत हुई थी, विशेष न्यायाधीश ने केस डायरी पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री के आधार पर यह पाया कि तिलका पेट्रोल पंप का लाइसेंस शिव शंकर सिंह व मनोज कुमार सिंह को निर्गत किया गया है। जिनका अनुबंध पत्र घटना से पूर्व दिनांक 29-12-20 को निरस्त हो चुका है। अभियुक्त चंद्र प्रताप सिंह व रवि सिंह द्वारा पेट्रोल पंप के संचालक घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ उनके पुत्र आयुष प्रताप सिंह मैनेजर प्रदीप मिश्र के सहयोग से उक्त पेट्रोल पंप पर सालवेंट हाइड्रोकार्बन केमिकल से भरे टैंकर से पेट्रोल पंप के टैंक में मिश्रित करते हुए एसटीएफ टीम द्वारा मौके पर गिरफ्तार किया गया है।
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तिलका पेट्रोल पम्प पर उतरते हुए रंगेहाथ पकड़ा गया था सालवेंट वाला टैंकर... |
मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों तथा अपराध की प्रकृति एवं गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए दोनों अभियुक्तों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। जमानत का विरोध विशेष लोक अभियोजक ईसी एक्ट महेश कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। प्रतापगढ़ में प्रयागराज-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोतवाली नगर क्षेत्र स्थित तिलका ऑटोमोबाइल और अलका ऑटोमोबाइल पेट्रोल पंप पर शहर के कथित प्रतिष्ठित परिवार शिव शंकर उर्फ भोले सिंह, उनके बड़े भाई घनश्याम सिंह उर्फ बड़कऊ, छोटे भाई मनोज सिंह जो हीरो बाइक की एजेंसी जनता ट्रेडिंग के नाम से संचालित करते हैं। भतीजा आयुष प्रताप सिंह यानि बड़कऊ का पुत्र भी तिलका ऑटोमोबाइल के साल्वेंट केमिकल बेंचने के आरोपियों में से हैं। जो मौके पर मुंशी मैनेजर पकड़े गए। उनकी जमानत अर्जी खारिज होने के बाद सबके इरादों पर पानी फिर गया है। महीनों से घर परिवार छोड़कर सभी लोग भगोड़े की तरह जीवन काट रहे हैं। उन्हें लगता था कि जेल में निरुद्ध आरोपियों की जमानत अर्जी स्वीकार हो जाने के बाद बिना जेल गए बाहर-बाहर रहते हुए अपनी भी जमानत वो लोग करा लेंगे।
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इज्जत बचाने कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के दरबार में पहुँचे बड़कऊ सिंह... |
सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो जिले के एक कद्दावर नेता और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री से कथित प्रतिष्ठित ब्यवसाई की गिरफ्तारी न हो इसके लिए उनसे पैरवी भी करवाई गई। ताकि जेल में निरुद्ध आरोपियों की जमानत हो जाये। फिर ये कथित प्रतिष्ठित ब्यवसाई अपनी जमानत अर्जी पेश करें। ताकि बिना जेल गए इनकी जमानत हो जाए। साथ ही पुलिस के भ्रष्ट अफसरों के मुँह में कुछ चासनी डाल दी जाए ताकि कुछ आरोपियों के नाम निकल सके। सूत्रों के मुताविक इसके लिये कुछ पुलिस अफसरों को सेट भी कर लिया गया है, परन्तु उक्त दर्ज मुकदमें की विवेचना करने वाले विवेचनाधिकारी अभी अपने पोट्ठे पर हाथ फेरने से मना कर दिया। फिलहाल प्रतापगढ़ में जो साख और सम्मान शिव शंकर सिंह उर्फ भोले सिंह ने बनाया था, वह सब नष्ट हो गया। प्रतापगढ़ की जनता इन सबके कुकृत्यों पर गाली बक रही है। क्षमा करने की बात दीगर रही। प्रतापगढ़ की जनता का कहना है ऐसे लोगों के ऊपर तो राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। इनकी दोनों पेट्रोल पम्प हमेशा के लिए कैंसिल कर देनी चाहिये। सही बात तो यही है कि ऐसे समाज के विदूषकों का डटकर विरोध करना चाहिए। ताकि समाजिक रूप से इन्हें इनके कुकृत्यों की सजा मिल सके। साथ ही सामाजिक दंड देने के लिए इनका सामाजिक रूप से तिरस्कार करना चाहिए।
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