बच्चा बदलने की घटना के बाद महिला हॉस्पिटल की सीएमएस पर उठ रहे,गंभीर सवाल
प्रतापगढ़ के निजी अस्पतालों में बच्चा बदलने की घटना घटित हो चुकी है,जागरूक लोग रहते हैं,प्रसूताओं और नवजात शिशुओं के मामले में सावधान,फिर भी हो जाती हैं,बच्चे बदलने की घटनाएं
मेडिकल कालेज प्रतापगढ़ में उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया, जब अस्पताल के लेबर रूम में दो बच्चे पैदा हुए और दोनों बच्चों को जच्चा के साथ रहे तीमारदारों को देने में चूक हो गई। यह चूक अथवा भूल जानबूझकर की गयी अथवा अनजाने में हो गई। यह जाँच का विषय है। परन्तु बच्चा बदलने की जानकारी पर प्रसूताओं के साथ रहे तीमारदारों में हंगामा होने लगा। नवजात बच्चा बदलने को लेकर हंगामा होने से अस्पताल में काफी भीड़ एकत्र हो गई और मामला बिगड़ता देख किसी ने पुलिस को भी सूचना दे दी। डिलेवरी के दौरान दो गर्भवती महिलाओं को दर्द होने पर मेडिकल कालेज के महिला विंग में भर्ती कराया गया था। आज दोनों प्रसूताओं की डिलेवरी हुई। एक प्रसूता को लड़की हुई तो दूसरे प्रसूता को लड़का हुआ। दोनों डिलेवरी के समय में बहुत अधिक समय का अंतर नहीं था। लेबर रूम से वार्ड तक बच्चा आपस में बदल गया। बच्चा बदलने कि जानकारी होने पर अस्पताल में घंटे हंगामा होता रहा।
दोनों प्रसूताओं के परिजन नवजात बच्चे को अपना बताते रहे। दोनों पक्षों के बीच हंगामे की सूचना पर सीओ समेत भारी पुलिस बल अस्पताल पहुँची तो अस्पताल में तैनात डॉक्टर और डिलेवरी करवाने में लगी नर्स व दाई की लापरवाही के चलते बेटा और बेटी पैदा होने पर आपस में बदले जाने के बाद हंगामा की स्थिति पैदा हुई थी। आरोप है कि जिसको लड़का पैदा हुआ उसके पास लड़की को रख दिया गया और जिसको लड़की पैदा हुई उसे लड़का दे दिया गया। आधे घंटे बाद अस्पताल के डॉक्टरों को अपनी गलती का अहसास हुआ तो बचाव की मुद्रा में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोग दिखने लगे। पैसा लेकर बच्चा बदलने का आरोप लगने के बाद मेडिकल कालेज के महिला विंग हॉस्पिटल के चिकित्सक सहित सभी स्वास्थ्यकर्मी असहज स्थिति में दिखने लगे। नर्स ने पैसा लेकर बच्चे को बदल दिया। जबकि दोनों महिलाएं बता रही हैं कि लड़का उनका है। बेटा और बेटी का भाव आज प्रतापगढ़ मेडिकल कालेज के महिला विंग में देखने को मिला। सरकार चाहे जितनी कोशिश कर लें, परन्तु लड़का और लड़की में विभेद खत्म होने वाला नहीं है।
मेडिकल कालेज के महिला विंग हॉस्पिटल में बच्चा बदलने की घटना के बाद समूची ब्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि प्रसूताओं के साथ में कोई न कोई महिला अवश्य रहती हैं और वह महिला वार्ड से लेकर लेबररूम तक साथ-साथ बनी रहती है। सिर्फ ऑपरेशन की दशा में प्रसूताओं को ऑपरेशन थियेटर में अकेले ले जाया जाता है और बच्चा पैदा होने पर ओटी में रहने वाले स्वास्थ्यकर्मी ही बाहर आकर सूचना देते हैं कि किस महिला को कौन सा बच्चा पैदा हुआ है ? लड़का हुआ है या लड़की ? यह भी सूचना स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोग ही दिया करते हैं। जिस तरह बिना धुएं के आग नहीं होती। ठीक उसी तरह प्रसूताओं के होने वाले बच्चे की सही और सटीक सूचना स्वास्थ्य विभाग के कर्मी ही दिया करते हैं। इसलिए बच्चा बदलने में जो आरोप लग रहे हैं उसकी निष्पक्षता से जाँच किया जाना अति आवश्यक है। महिला सीएमएस के कार्यालय में काफी दलाल घूमते रहते हैं। सबसे अधिक तो महिला दलाल दिखा करती हैं। कई आशा बहुएं बनकर दलाली करती हैं,जबकि वह आशा बहू नहीं होती। बच्चा चोरी का प्रकरण भी इन्हीं लोगों से जुड़ा हो सकता है।
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