सबसे निकम्मा और रिश्वतखोर विभाग साबित हुआ राजस्व विभाग, जहाँ खुलेआम लूट खसोट और घूसखोरी का खेला जाता है,खेल
एक सफ्ताह पूर्व 16 सितंबर दिन गुरुवार को घूसखोर लेखपाल छोटेलाल की वरासत करने के लिए पैसे लेने का वीडियो वायरल हुआ था। रानीगंज तहसील के एसडीएम समेत सभी उच्च अधिकारियों ने जांच का हवाला देकर रिश्वतखोर लेखपाल के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। रखहा बाजार निवासी विशाल सिंह पुत्र स्वर्गीय रत्नाकर सिंह से वरासत में नाम दर्ज कराने के नाम पर लगभग डेढ़ माह पहले 2000/= दो हजार रूपये हल्का लेखपाल छोटेलाल ने लिया था। पैसे लेते हुए वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लेखपाल की बोलती बंद हो गई। वीडियो में लेखपाल द्वारा खुलेआम पैसे लेते हुआ दिखाई पड़ रहा है, उसके बाबजूद प्रशासन भ्रष्ट लेखपाल को बचाने में लगा है। लेखपाल को बचाने के पीछे तहसील प्रशासन की आखिर वह कौन सी मजबूरी है जिसकी वजह से अभी तक उस रिश्वतखोर लेखपाल पर कार्रवाई नहीं हुई ?
इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि रिश्वत लेने के मामले में नीचे से लेकर ऊपर तक सब मैनेज रहता है। सबका हिस्सा उस रिश्वत में फिक्स रहता है। तभी तो अपने उस रिश्वतखोर कर्मचारी को बचाने का भरपूर प्रयास किया जाता है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार पर मीडिया चाहे जितना चिल्लाये, परन्तु रिश्वतखोर अफसर सुधरने वाले नहीं हैं। उन पर लाख सवालिया निशान लगे, परन्तु उनकी सेहत पर उसका कोई असर नहीं पड़ने वाला। मोदी और योगी सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को ऐसे कर्मचारी ही पलीता लगाने का कार्य कर रहे हैं। देखने लायक बात यह है कि जिला प्रशासन जिसे एक्शन लेना है, वह कुम्भकर्णी नींद में सो रहा है। उसकी नींद कब खुलेगी यह कह पाना मुश्किल है ? ऐसे भ्रष्ट लेखपाल छोटेलाल के खिलाफ जिला प्रशासन और तहसील प्रशासन कब कार्रवाई करता है, यह तय नहीं है। फिलहाल जनता में इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
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