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गुरुवार, 23 सितंबर 2021

पहले SIT जाँच, फिर सीबीआई जाँच उसके साथ ही मीडिया ट्रायल से महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या की मिस्ट्री का राज़ और गहराया

आनंद गिरी ने अपनी जान को बताया,खतरा। आनंद गिरी ने CJM कोर्ट में दाखिल अर्जी में सुरक्षा देने की मांग की और कहा कि उनके ऊपर कल कोर्ट में हमला हुआ था, जेल के अंदर और कोर्ट ले जाते और ले आते वक्त फिर से हमले की जताई आशंका 


सुसाइड नोट मिलने के बाद भी बिना सिर पैर के उठाये जा रहे हैं,सवाल...

मीडिया में आधुनिक स्टायलिश पत्रकारों के सवाल जिससे उन्हें मुफ्त में टीआरपी मिल रही है। मीडिया के भी अजब-गजब सवाल सुनने को मिल रहे हैं ! आप भी सुनिए और समझिये साथ ही मनन करिए कि क्या से क्या हो सकता है ? महंत नरेन्द्र गिरी जिस कमरे में रस्सी के सहारे फांसी लगाकर अपने जीवन की इहलीला समाप्त की उस कमरे में पुलिस आने के पहले मठ से जुड़े शिष्यों ने दरवाजा को धकेला और जब दरवाजा नहीं खुला तो तीन टुकड़े मिले एक रस्सी गले में, दूसरी मेज पर, तीसरी पंखे से लटकती हुई मिली थी। सवाल तो ये उठाया जा रहा है कि पलंग पर रखी मेज यथावत थी, उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा था, न ही पलंग की चादर पर कोई सिकुड़न आई थी रस्सी काटने के बाद किसने चलया पंखा ? छत की दीवार पर न तो कोई निशान थे। साथ ही रस्सी पंखे के ऊपर से कटी थी। ऐसे अनगिनत मनगठंत सवाल दागे जा रहे हैं जो बिना सिर पैर के हैं।   

महंत नरेंद्र गिरि के कथित आत्महत्या के तुरन्त बाद का वीडियो सामने आया है। पुलिस के पहुंचने से पहले ही गेट खोलकर उनके शरीर को नीचे लिटा दिया गया था। इसमें जिस रस्सी से उनके फांसी लगाने की बात कही जा रही है, उसके 3 टुकड़े हो गए थे और पंखा भी चल रहा था। अब सवाल उठता है कि इतनी बड़ी घटना के बाद किसको इतनी गर्मी लग रही थी कि पंखा चला दिया और रस्सी के किसने 3 टुकड़े कर डाले ? यह सब इस वीडियो में देखा जा सकता है। इस तरह का मीडिया ट्रायल शुरू हो चुका है। लगता है कि मीडिया ट्रायल से ही सारे मामले निपट जायेंगे। ये हुआ तो क्यों हुआ ? वो हुआ तो कैसे हुआ ? किसने रस्सी के तीन टुकड़े किये ? किसने पंखे चलाये ? उस समय गर्मी किसे लग रही थी ? फांसी ही क्यों लगाया ? जहर क्यों नहीं खा लिया ? जहर और फांसी के अलावा नरेन्द्र गिरी को आग लगा लेना था, आग क्यों नहीं लगाया ?


मीडिया ट्रायल शुरू कराकर ध्यान भटकाने का कार्य हो चुका है,प्रारम्भ...

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या की घटना के बाद जो वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, उसे देखकर जिसे बोलना भी नहीं आता, उसकी जुबान चलने लगी है। वह भी अनगिनत सवाल खड़े करने की कोशिश में लगा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरी को हनीट्रैप किया गया था। शिष्य आनंद गिरि ने एक महिला के साथ नरेंद्र गिरी का आपत्तिजनक वीडियो बनवाया था। एक राजनैतिक व्यक्ति ने उस वीडियो क्लिप को महंत नरेंद्र गिरि को जब दिखाया तो वह दंग रह गए। प्रयागराज का वो राजनीतिक व्यक्ति वकील भी बताया जाता है। सबसे बड़े रहस्य की तरफ किसी ने अभी तक ध्यान ही नहीं दिया। अपने आत्महत्या करने से पहले लेटरपैड पर जब हस्तलिखित कई पेज का सुसाइड नोट जो वसीयत सरीखे महंत नरेंद्र गिरी ने लिख कर अपने दर्द को बयाँ किया था तो ये उल जुलूल के सवाल से सिर्फ ध्यान तो भटक सकता है, परन्तु जाँच की दिशा नहीं बदलने वाली


महंत नरेन्द्र गिरी की मौत के बाद ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है, कार्य...

जब किसी भी ब्यक्ति को इस बात की जानकारी होती है कि कोई ब्यक्ति किसी कमरे में फांसी लगाकर कर आत्महत्या कर ली है तो उसे कुछ सूझता नहीं। वह पुलिस को फोन करके इंतजार करने की स्थिति में नहीं रहता, बल्कि अपने स्तर से उस कमरे के दरवाजे को खोलने की ब्यवस्था करता है।हाँ, तरीका भिन्न हो सकता है। चूँकि उस ब्यक्ति के मन में यह संभावना रहती है कि फांसी लगाने वाले ब्यक्ति में कहीं जान बाकी हो तो उसे जल्द स्वास्थ्य सेवा देकर बचाया जा सके इसलिए कमरा खोलकर रस्सी खोलने का प्रयास करता है। यह ख्याल नहीं रखता कि रस्सी कहाँ से काटे ? तीन टुकड़े में काटे कि दो टुकड़े में काटे ? पंखे के ऊपर से काटे या पंखे के नीचे से काटे। जीवन शेष बचे होने की संभावना के मद्देनजर पंखा और एसी आदि को भी चालू करने का कार्य किया जाता है। ऐसी घटनाओं में पुलिस के आने की प्रतीक्षा मौके पर रहने वाला ब्यक्ति नहीं कर सकता। पुलिस के न पहुँचने की दशा में कमरे का दरवाजा तोड़ते समय और दरवाजा खोलने के बाद रस्सी से आत्महत्या करने वाले ब्यक्ति का शव उतारते समय का वीडियो बनाना चाहिए, ताकि सवाल उठाने वाले लोगों की बोलती बंद की जा सके 


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