भाजपा से कांग्रेस में पहुँचे नवजोत सिंह सिद्धू की हालत देखकर वो कहावत याद आ रही है कि जहाँ गई दूला रानी, उहाँ परा पाथर पानी...
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चरणजीत सिंह चन्नी के सिर होगी पंजाब की ताज... |
पंजाब में कैप्टन की कप्तानी जाने के बाद कांग्रेस हाईकमान बिना देर किये पंजाब में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। इसके लिए कांग्रेस आलाकमान सोनिया गाँधी ने अपने खास सिपहसलार उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को अपना दूत बनाकर पंजाब भेजा। कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बड़ी चालाकी से पंजाब में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की काट कौन होगा ? सभी बातों को ध्यान में रखते हुए विधायक दल की बैठक कराई और उस बैठक में चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर सभी विधायकों से सहमति कराने में सफलता अर्जित करने के बाद इस बात की जानकारी कांग्रेस आलाकमान सोनिया गाँधी को दी।
कांग्रेस आला कमान सोनिया गाँधी की हरी झंडी पाते ही कांग्रेस नेता हरीश रावत ने चरणजीत सिंह चन्नी के नाम की घोषणा कर दी कि पंजाब के अगले सीएम चरणजीत सिंह चन्नी होंगे। चरणजीत सिंह चन्नी जी, चमकौर साहिब विधानसभा सीट से विधायक हैं और कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री रहे। इससे पहले वह वर्ष-2015 से वर्ष-2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। चरणजीत सिंह चन्नी रामदसिया सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में 16 मार्च, 2017 को 47 साल की उम्र में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। चमकौर साहिब सीट से चरणजीत सिंह चन्नी तीसरी बार विधायक हैं।
आलाकमान की सटीक निशानेबाजी में घायल हुआ सरदार...
सुक्खी रंधावा अपने आप को पंजाब का मुख्यमंत्री मान चुके थे। उनके घर जश्न और नाच गाने का दौर भी शुरू हो गया था। हो भी क्यों न नवजोत सिद्धू पूरी ताकत से रंधावा की पैरोकारी विधायकों से लेकर आलाकमान तक जो कर रहे थे। लेकिन आलाकमान भी सिद्धू को धीरे-धीरे ठिकाने लगाने के एजेंडे पर चल रहा है। चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री घोषित करके एक तीर से आला कमान ने कई निशानें साध लिए है। उधर कैप्टन को भी कांग्रेस हाईकमान को कूल करना है। इस पूरे मामले में उत्तराखंड खंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस आला कमान के प्रतिनिधि के तौर पर पंजाब के पर्यवेक्षक बनकर पहुँचे थे और उन्होंने एक तीर से कई निशाना मारकर सबको एक साथ चित कर दिया है।
इधर सिद्धू भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद हवा में उड़ रहे हैं...
कांग्रेस ने पंजाब में एंटी इंकम्बेंसी की हवा निकालते हुए आगामी चुनाव को जाति की सियासत की पटरी पर भी दौड़ाने का एक प्रयास किया है। चन्नी इसे कितना खींच पाते हैं, कितना नहीं, ये तो वक्त बतायेगा। लेकिन रंधावा और सिद्धू की जोड़ी को कल कैप्टन का इस्तीफा दिलाने में मिली कामयाबी पर आज हाथ आई कुर्सी से अचानक गिरने का दर्द ज्यादा भारी है। खैर उनके देशी विदेशी दोस्त उन्हें साहस तो दे ही रहे होंगे। इस सदमें से उबरने के लिए। फिलहाल राजनीति के जानकार लोग यही कह रहे हैं कि जहाँ गई दूला रानी, उहाँ परा पाथर पानी...!!!
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