मुआफिसखाना के भ्रष्टाचार पर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ नितिन बंसल भी मौन साध रखे हैं,खुलेआम रिश्वत की डिमांड होती है,अधिक पैसा देने पर ही होता है,अभिलेखागार का काम...!!!
कलेक्ट्रेट स्थित प्रतापगढ़ का अभिलेखागार जो स्वयं बीमारी दशा में है... |
मौके पर पहुँची पुलिस ने राजस्व अभिलेखों के साथ संदिग्ध ब्यक्ति को कोतवाली नगर उठा लाई और मुकदमा भी पंजीकृत कर लिया है। अभिलेखागार से मूल पत्रावली और मानचित्र चोरी करके एक दुकान पर बैठ कर उसमें ओवरराइटिंग कर रहा था, इतने में किसी की नजर उस ब्यक्ति पर पड़ गई। उसने अन्य लोगों से उस फ्राड कर रहे ब्यक्ति के बारे में बताया तो लोग एकत्र होते गए और उसकी तहकीकात स्वयं से करने लगे। लोगों का माकूल जवाब न देने पर एकत्र लोग आक्रोशित होने लगे क्योंकि सरकारी अभिलेखों में फ्राड करने वाला वह ब्यक्ति बार-बार अपना बयाँ बदल रहा था। एकत्र हुए लोगों का धैर्य जवाब देने लगा तो जमीन जायदाद के कागजातों में हेराफेरी करने वाले की वो लोग पिटाई शुरू कर दिए। सूचना देने के बाद भी काफी देर से पुलिस मौके पर पहुँची थी।
अभिलेखागार में अपने नकल सवाल के लिए परेशान अधिवक्ता एवं वादकारी... |
राजस्व अभिलेख की मूल पत्रावली और मानचित्र के साथ दो शीशी रिमूवर जिसे वह कूड़ेदान में फेंक रहा था, उसके साथ लोगों ने उसे दबोच कर बैठाये रखा और पुलिस के आने पर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। सरकारी अभिलेखों के साथ पकड़ा गया व्यक्ति नगर कोतवाली नगर क्षेत्र चिलबिला के आगे पॉलिटेक्निक कालेज के पास का मामला है। कोतवाली नगर में अपराध संख्या-0699/2021 आईपीसी की धारा- 379 और 411के तहत कोतवाली नगर के सब इंस्पेक्टर शनि कुमार की तहरीर पर दो नामजद ब्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। पहला आरोपी विनोद कुमार यादव पुत्र यदुनाथ उर्फ जद्दूरम यादव निवासी-सोनावा, कोतवाली नगर, प्रतापगढ़ और दूसरा आरोपी इशरार पुत्र अकबालुद्दीन निवासी-पड़री जबर, थाना-कंधई, जिला प्रतापगढ़ है।
प्रतिलिपि विभाग में ब्याप्त भ्रष्टाचार से राजस्व अधिकारी साध रखे हैं,मौन... |
सबसे मजेदार बात यह है कि सदर तहसीलदार अरविन्द कुमार मय अर्दली बृजेश कुमार शर्मा द्वारा गया कि पकड़े गए ब्यक्तियों के पास से मौजूद पुष्टिकृत भू-चित्र प्रतिबंधित अभिलेख है जो कि अंतर्गत धारा-379/411 आईपीसी का दंडनीय अपरध है। सवाल उठता है कि आखिर किस राजस्वकर्मी का यह अभिलेख था, जिसे विनोद कुमार यादव एवं इशरार नजर बचाकर चुरा लिए थे ? यदि चुरा लिए थे उस समय वह राजस्वकर्मी क्या मुकदमा पंजीकृत कराया था अथवा नहीं ? यदि नहीं कराया था तो वह राजस्वकर्मी भी बराबर का दोषी है। कहीं वह राजस्वकर्मी भी इस खेल में शामिल तो नहीं था। दूसरा यक्ष प्रश्न यह है कि सब इंस्पेक्टर शनि कुमार ने नकल चिक में दावा किया है सदर मोड़ पर मौजूद था कि जरिये दूरभाष से सूचना मिली कि ग्राम सोनावा चिलबिला के पास दो ब्यक्तियों को कुछ ग्रामीणों ने घेर रखा है व उनके पास से चोरी के राजस्व अभिलेख प्रतिबंधित मौजूद हैं।
पुलिस के पहुँचने पर घटना सही मिली। फिर मौके पर उपस्थित भीड़ के लोगों को गवाही हेतु कहा गया तो भलाई बुराई का वास्ता देते हुए बिना नाम हट बढ़ गए। दरोगा जी के यह बयान समझ के परे रहा। क्योंकि जिस भीड़ ने राजस्व अभिलेखों के साथ उन दो संदिग्ध लोगों को पकड़ा और उनकी पहले कुटाई किया, फिर पुलिस को सूचना दिया, वह भीड़ आखिर गवाही क्यों नहीं देगी ? पुलिस के किसी बयान को कोर्ट तवज्जों नहीं देती और पुलिस यह जानते हुए भी पब्लिक की गवाही नहीं कराती। अपनी कहानी में पुलिस खुद ही ट्रायल के दौरान उलझ कर रह जाती है और आरोपीगण बाइज्जत बरी हो जाते हैं। इस मामले में कल ट्रायल में यही होगा। दरोगा शनि कुमार की नकल चिक में सारे दावे फुस्स हो जायेंगे। आरोपीगण छूट जायेंगे और पुनः दूसरा कोई अपराध करेंगे। यदि अपराध नहीं होगा तो पुलिस और राजस्व विभाग की दुकानें कैसे चलेगी ? इस तरह सिस्टम में बैठे भ्रष्ट लोग जानबूझकर यह सब कराते रहते हैं।
प्रतापगढ़ जनपद में जिलाधिकारी के आँखों के नीचे कलेक्ट्रेट स्थित मुआफिसखाना में खुलेआम भ्रष्टाचार ब्याप्त है। मुआफिसखाना जिसे हिन्दी में अभिलेखागार कहा जाता है। प्रत्येक जिले में कचेहरी के अंदर राजस्व विभाग के अभिलेख रखने के लिए मुआफिसखाना की स्थापना की जाती है और राजस्व विभाग के सारे रिकार्ड इसी अभिलेखागार में सुरक्षित रखे जाते हैं। पूरे जिले की जमीन सम्बन्धित कागजात जैसे- खसरा, खतौनी और मानचित्र सहित आकार पत्र-23, आकार पत्र-41, आकार पत्र-45, 2A आधार वर्ष एवं निस्तारित मुकदमों की निस्तारित पत्रावलियों को सुरक्षित रखा जाता है। ऐसे ही तहसील मुख्यालयों पर अभिलेखागार स्थापित होते हैं और वहाँ भी तहसील क्षेत्र में आने वाले सभी गाँवों के जमीन के कागजात सुरक्षित रखे जाते हैं।
वर्तमान समय में जनपद प्रतापगढ़ कचेहरी के अन्दर स्थित अभिलेखागार में जिनकी तैनाती है वह भ्रष्टाचार में पूरी तरह संलिप्त हैं। बाहरी ब्यक्तियों के भरोसे अभिलेखागार चलाया जा रहा है। बाहरी ब्यक्तियों का खर्च भ्रष्टाचार की कमाई से ही निकलता है। नकल सवाल लेते समय और नकल बनाने के लिए 200 से 500 रूपये तक वसूली होती है। जो जितना अधिक धन देता है, उसकी नकल उतनी ही जल्दी से बनाई जाती है। अभिलेखों का मोयना करने के लिए भी 20 रूपये से लेकर 200 रूपये तक वसूले जाते हैं। ऐसे नकल सवाल आज भी पड़े मिल जायेंगे जो छः माह पहले से डाले गए हैं। पुराने अभिलेख के चीथड़े उड़ चुके हैं। कुछ अभिलेखों को तो जानबूझकर फाड़ दिया जाता है। कुछ अभिलेख को जानबूझकर गायब करा दिया जाता है। कई मामले की मूल पत्रावलियां ही गायब हो जाती हैं।
अभिलेखागार में तैनात कर्मचारियों की मिलीभगत से ही पत्रावली गायब की जाती हैं। नियमतः अभिलेखागार से कोई अभिलेख बाहर जाएं। बाहर फोटो स्टेट कराने के बहाने अभिलेखागार से कागज जानबूझकर गायब किये जाते हैं। अभिलेखागार से जो रिकार्ड गायब होते हैं उसमें खेल कर दिया जाता है। खसरा, खतौनी सहित मानचित्र में रिमूवर लगाकर दूसरे नम्बर का अंकन तक कर दिया जाता है। कभी-कभी तो अभिलेखों में अधिक गड़बड़ी करने के बाद अभिलेखागार में आग तक लगाने का कार्य किया जाता है। बाद में दिखाने के लिए मजिस्ट्रेट जाँच कराई जाती है और मामला खत्म हो जाता है। कई बार अभिलेखागार से रिकार्ड गायब होने का मुकदमा भी दर्ज हुआ, परन्तु किसी मामले में किसी को कोई सजा नहीं मिली।
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