सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ कहा है कि राज्य सरकारों द्वारा वापस लिए गये मुकदमों को फिर खोला जाएगा और देखा जाएगा कि किन परिस्थियों में माननीयों के विरुद्ध दर्ज मुकदमें राज्य सरकारों ने वापस लिए...!!!
नई दिल्ली। समय-समय पर देश की सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा समाज को नई दिशा दिखाने का कार्य किया जाता है। भारत की राजनीति में बढ़ रहे अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद अब राज्य की सरकारें सांसद और विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामलों को वापस नहीं ले सकेंगी। सिंतबर, 2020 के बाद जो मामले वापस लिए गये हैं, उन्हें फिर से खोल जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला राजनीति में बढ़ रहे अपराधीकरण की रोक की दिशा में अहम माना जा रहा है। अगर राज्य सरकार कोई मामला वापस लेना चाहती है तो पहले उसे हाईकोर्ट से अनुमति लेना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने आपराधिक मामलों में सजा पाने वाले जनप्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। अश्वनी कुमार उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता है। 11 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। बेंच में मुख्य न्यायाधीश एवी रमना, न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश विनीत सरन शामिल रहे। सुनवाई के दौरान तीन जजों की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया। अपराधी किस्म के लोग राजनीति में अब सीधे प्रवेश करने लगे हैं। पहले ये अपराधी किस्म के लोग विधायक और सांसद के निर्वाचन में उनके लिए कार्य करते थे और चुनाव परिणाम बाद निर्वाचित विधायकों और सांसदों से अपने ऊपर दर्ज मुकदमें राज्य सरकारों से वापस कराने में सफल हो जाते थे।
इधर बीच अब राजनीति में अपराधी किस्म के ब्यक्ति अपनी जीवन शैली बदलने के लिए राजनीति दलों में शामिल होकर चुनाव लड़ जाते हैं और अपने धनबल और बहुबल से चुनाव भी जीत जाते हैं। माननीय बनते ही अपने ऊपर दर्ज सभी मुकदमों के डिस्पोजल पर ये अपराधी किस्म के माननीय एक सूत्रीय तरीके से लग जाते हैं और कुछ ही दिनों में अपने ऊपर दर्ज मुकदमें का वार न्यारा करने में सफलता अर्जित कर लेते हैं। क्षेत्र में अपराधी किस्म के माननीयों के खिलाफ एक शब्द बोलने के लिए कोई तैयार नहीं होता। वजह इन माननीयों का आपराधिक इतिहास का होना है। इनके खिलाफ दो शब्द बोलकर अपना जीवन संकट में क्यों डाले ? क्योंकि इन अपराधियों में कोई नैतिकता नहीं होती और यह अपने विरोध में उतरे उस ब्यक्ति को रसातल में पहुँचा देने का प्रयास करता है। इन्हीं सब विसंगतियों से निपटने के लिए देश की सर्वोच्च अदालत ने राजनीति में अपराधीकरण से बचने के लिए अपना अहम् फैसला सुनाया है।
देश की सर्वोच्च अदालत के तीन जजों की बेंच ने फैसला दिया है कि सांसद और विधायकों पर दर्ज अपराधिक मामलों को राज्य की सरकारें वापस नहीं ले सकेंगी। सितंबर, 2020 के बाद सांसद और विधायकों पर दर्ज जो मामले वापस लिए गए हैं, उन मामलों में उस राज्य की हाईकोर्ट फिर से जांच करे। देश के 61 सांसद और अलग-अलग प्रदेशों में विधायकों पर दर्ज मुकदमें राज्य सरकारों ने वापस लिया है। कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी कई सांसद और विधायकों पर दर्ज मामलों को वहां की राज्य सरकारों ने वापस लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है। 25 अगस्त, 2021 को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट फिर सुनवाई करेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें