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मंगलवार, 17 अगस्त 2021

आज ही के दिन सत्रह अगस्त, 2006 को सई नदी पुल से पहले अनाज माफियाओं ने मारी थी, मुझको गोली

जाको राखे साईंयां, मार सके न कोय... 

सत्ता संघर्ष के पंद्रह साल ने बहुत कुछ सिखाया जो जीवन में आज आ रहा, काम... 


कोतवाली नगर प्रतापगढ़ में अपराध संख्या-413/2006 धारा-307सहित 120-बी के तहत भाजपा विधायक हरि प्रताप सिंह के खिलाफ जानलेवा का नामजद दर्ज हुआ था,मुकदमा...


मेरी विपत्ति में मेरे अपनों ने ही सहयोग किया है, वो भी बिन माँगे। मैं उन्हीं के प्रति अंतर्मन से आभार प्रकट करता हूँ। बस एक ही प्रार्थना ईश्वर से किया कि किसी नेता के सामने अपने कार्य के लिये मदद हेतु हाथ न जोड़ना पड़े। 21वर्ष की पत्रकारिता में हमने मदद माँगी भी नहीं। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि गिद्ध रूपी नेताओं के दरबार में मदद माँगने से पहले मौत हो जाए, वो मेरे लिए बेहतर होगा।  


रमेश तिवारी से रमेश राज़दार का सफरनामा... 

कभी-कभी मुझे न जानने वालों के मन में मेरे प्रति उपजता है,सवाल। सो सोचा कि थोड़ी सी जानकारी उन्हें आज दे दी जाये ! ...और तो और मुझे तो मीडिया में रहते हुए मीडिया का भी सहयोग नहीं मिला था। चूँकि मीडिया में उसी समय दलालों और चाटुकारों की भर्ती शुरू हो गई थी। एक समाचार पत्र के बड़े बैनर का ब्युरोचीफ धन कमाने के चक्कर में अपनी कथित पत्नी तक की सेवा देने से परहेज नहीं करता था। मान-सम्मान और स्वाभिमान से समझौता न करने के लिए जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ा। बहुत कुछ गंवाना पड़ा। परन्तु इस सत्ता संघर्ष ने बहुत कुछ सिखाया। अपना और पराये की पहचान भी कराई सत्ता के दलालों, बेलगाम भ्रष्ट नौकशाही, बेईमान नेताओं और उनके चमचों और स्वार्थियों ने बहुत कोशिश की, परन्तु ईश्वर ने ऐसी शक्ति प्रदान किया कि धीरे-धीरे एक-एक कर सब धराशायी होते गए। जो गोली मरवाने की साजिश रचे वह एक साल बाद अपने पैरों में खुद ही गोली मार ली और कई महीने बिस्तर पर पड़े रहे और उनका पैर आज भी छोटा बड़ा है। जूते से पैर को अर्जेस्ट किया गया, परन्तु आज भी वह भचकते हुए चलने को मजबूर हैं 


मैं अपनी बात याद करता हूँ तो मुझे प्रतापगढ़ के नेताओं के प्रति घृणा आ जाती है। मुझे प्रतापगढ़ के 99 फीसदी नेताओं द्वारा हरि प्रताप सिंह को आगे करके 17 अगस्त, 2006 को बराछा मोड़ के आगे सई नदी के पुल से पहले महुली ARTO ऑफिस से लौटते समय जिला प्रशासन की मिली भगत से जान से मरवाने का प्रयास किया गया। जिला अस्पताल में इलाज भी नहीं कराने दिया गया। अस्पताल में जहर का इंजेक्शन लगाने का दबाव तत्कालीन CMS के ऊपर डाला गया। ये संयोग था कि तत्कलीन CMS प्रतापगढ़ मेरे मित्र रहे। उन्होंने मेरी बड़ी मदद की थी। प्राइवेट वार्ड दिया। सुबह-शाम खुद मॉनिटरिंग करते थे। उन्होंने बताया था कि जिला प्रशासन और प्रतापगढ़ के बेईमान नेता मुझे मरवाना चाहते थे। क्योंकि अनाज की कालाबाजारी में मंत्री से संतरी तक सब मिले हुए थे। अनाज घोटाले की सीबीआई जाँच अलग से चल रही थी। प्रतापगढ़ में पीडीएस की परिवहन ढुलाई भाजपा विधायक हरि प्रताप सिंह एक सिंडिकेट बनवाकर करवाते थे। उसी घोटाले को उजागर होने से बचने के लिए मेरे हत्या की योजना बनी थी    


जनप्रतिनिधियों में पूर्व मंत्री बृजेश शर्मा जी, भाजपा जिलाध्यक्ष स्वामी नाथ शुक्ल जी, तत्कालीन सांसद रहे अक्षय प्रताप सिंह "गोपाल जी" एवं उनके साथ जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन रहे डॉ के एन ओझा जी और सांसद प्रतिनिधि लाल साहेब जी जिला अस्पताल आये थे। बसपा नेताओं में शिव प्रकाश मिश्र "सेनानी जी" डी पी इंसान जी एवं पूनम इंसान जी और स्व प्रकाश मोहन "टिक्कू" ओझा जी एवं बृजेश सौरभ जी व पूर्व सांसद स्व सीएन सिंह जी जिला अस्पताल में मिलने आये थे। मुझे जबरन डिस्चार्ज कर दिया जाता था और तबियत खराब होने पर पुनः भर्ती कर लिया जाता था। अस्पताल में दिखाने जाने पर पहले से गोपनीय ढंग से दर्ज फेंक मुकदमें में गिरफ्तारी करके जेल भेजना और जेल से फिर जिला अस्पताल आने पर विधानसभा प्रश्न कर डॉक्टरों का मेडिकल बोर्ड गठित कर जबरन अनफिट होते हुए भी फिट दिखाकर जेल भेज दिया गया था। जेल में भी मारने की साजिश रची गई। परन्तु सारा कुचक्र फेल हो गया। जानते हो क्यों ? क्योंकि मेरे द्वारा इन नेताओं का जीना हराम कर दिया गया था। इसलिए सब चाहते थे कि मेरा अंत हो जाए


प्रतापगढ़ के 99फीसदी नेता और अधिकारी वर्ग चाहते थे कि मेरी मौत हो जाए। परन्तु ईश्वर के यहाँ कागज पूरा नहीं हुआ था। सो आप सबके आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा से बच गया। आज भी अपने आपको बदल न सका। इसलिये जलने वालों की संख्या नेताओं और अधिकारियों में अधिक है। उसी दिन से हमने तय कर लिया कि अब स्वयं सक्षम बनना है। अपने मेहनत के बल पर समाज में अपना स्थान बनाया। नौकरशाही ब्यवस्था में अपनी पकड़ बनाई। न्यायालय से सारे फेंक मुकदमों का ट्रायल करवा कर सभी में निर्दोष बाइज्जत बरी किया गया। जिसमें पिता तुल्य स्व पंडित हरि नारायण मिश्र जी एवं उनके लड़के सुदीप रंजन मिश्र सिद्धू भईया का निःशुल्क सहयोग सबसे सराहनीय रहा। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के आदेश पर 6वर्ष तक निःशुल्क सुरक्षा गार्ड की सेवा मिली थी। लोगों के गलत आचरण और भ्रष्टाचार सहित सरकार की गलत नीतियों का हमेशा विरोध किया। सार्वजनिक जीवन में जब से कदम रखा तब से जनहित से जुड़ी बातों को सदैव अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सर्वोपरि स्थान दिया। 


सत्ता संघर्ष की कहानी का शेष भाग अगले अंक में...


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