सांसद और विधायक निधि में अधिकारियों के कंधे पर बन्दूक रखकर भ्रष्टाचार के पुतले पर फायर किया जाता है और कार्यदायी संस्था को मिलाकर होते हैं,बड़े-बड़े खेल...!!!
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पार्क बनाने के नाम पर हड़पी जा रही संस्था... |
कौशाम्बी। प्रयागराज मंडल का एक जनपद कौशाम्बी भी है जो कभी प्रयागराज का हिस्सा हुआ करता था। आज अलग जनपद हो चुका है और अपने विकास की राह तलाश रहा है। कौशाम्बी जनपद में तैनात 90 फीसदी अधिकारी वहाँ न रुककर अपना आशियाना प्रयागराज ही बनाये हैं। कमोवेश यही हाल कौशाम्बी जनपद के जनप्रतिनिधियों का भी है। इसी कौशाम्बी जनपद के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी हैं, परन्तु यहाँ खुलेआम विधायक निधि और सांसद निधि में खेल किया जा रहा है। इस खेल में अधिकारी और नेता दोनों मिले हुए हैं। मोदी सरकार और भाजपा संगठन में कौशाम्बी के सांसद विनोद सोनकर भी अपना कद ऊँचा बनाये हुए हैं, फिर भी कौशाम्बी का भला नहीं हो पा रहा है।
विकास कार्य के लिए आवंटित बजट को अधिकारी और नेता मिलकर हजम कर जा रहे हैं। कोई भी भ्रष्टाचार अकेले अधिकारी की हिम्मत नहीं कि वह कर सके। विधायक निधि अथवा सांसद निधि में अधिकारी तभी खेल कर उस धन को हजम करता है, जब उसमें विधायक और सांसद का हिस्सा ईमानदारी से उन तक पहुँचा रहे। विधायक और सांसद निधि में विधायक और सांसद कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से 50 प्रतिशत कमीशन की बात तय कर ही अपने प्रस्ताव की चिट्ठी लिखते हैं। अब 50 प्रतिशत जब विधायक और सांसद जी ले लिए तो 50 प्रतिशत धनराशि में कौन सा कार्य सम्पन्न होगा ? ये समस्या पूरे देश और प्रदेश में कोढ़ की तरह फैल चुकी है। कहीं-कहीं तो यह कमीशन 60 प्रतिशत तक लिया जाता है।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य...
ऐसे में आवंटित बजट में से 40 से 50 प्रतिशत शेष धनराशि से ऐसे ही कार्य संपन्न होते हैं, जो कोरी आँखों से दिखाई ही नहीं देते। कौशाम्बी जिलाधिकारी के कार्यालय के बाहर डायट मैदान के पास पूर्व जिला अधिकारी मनीष वर्मा द्वारा आम जनता के उठने बैठने के लिए एक पार्क का निर्माण कराया गया था। इसकी चारदीवारी के नाम पर मंझनपुर विधायक लाल बहादुर ने अपने विधायक निधि से 8 लाख रुपए की रकम अवमुक्त करने का प्रस्ताव मुख्य विकास अधिकारी को दिया था। साथ ही साथ पार्क के सौंदर्यीकरण और आम जनता के बैठने के लिए 4 चार लाख रुपए की अतिरिक्त रकम मंझनपुर विधायक लाल बहादुर द्वारा दी गई थी। कुल 12 लाख रुपए खर्च किए जाने के बाद यह पार्क उपयोग में नहीं आ सका है। पार्क निर्माण के नाम पर कार्यदायी संस्था के अभियंताओं ने विधायक निधि की रकम डकार ली है।
पार्क के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया और मानक विहीन कार्य कराया गया है। कार्य की गुणवत्ता की स्थिति का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि बरसात होते ही पार्क की सुरक्षा में चारों ओर लगाए गए लोहे की रेलिंग टूट कर गिर गई है। जिलाधिकारी के नाक के नीचे पार्क के सौंदर्यीकरण के नाम पर खेल हो गया और जिलाधिकारी महोदय कुम्भकर्णी नींद में सोते रहे। इस पार्क के गेट पर लगातार ताला बंद रहता है। पार्क के सौन्दर्यीकरण हो जाने से दूर दराज से आने वाले फरियादियों को पार्क में बैठकर आराम करने की मंशा से तत्कालीन जिलाधिकारी कौशाम्बी ने यह पहल की थी, परन्तु उनकी पहल और मंशा पर पानी फिर रहा है। कौशाम्बी जनपद की जनता इस पार्क का आनंद नहीं उठा सकी। आखिर विधायक निधि से बनाए गए पार्क में ताला बंद करने का क्या औचित्य है ?
कौशाम्बी जनपद में विधायक और सांसद निधि में बहुत हुआ है,गोलमाल...
कौशाम्बी जनपद में विधायक और सांसद निधि में बहुत गोलमाल है। बात अकेले पार्क के सौन्दर्यीकरण तक ही नहीं है। कौशाम्बी जनपद में विधायक निधि से ओसा चौराहा और समदा चौराहे पर सड़क के बीच गोल पार्क बनाया गया था। लेकिन चौराहे पर बनाया गया गोल पार्क बनते ही टूट गया है। गोल पार्क बनाने के नाम पर कार्यदायी संस्था के अधिकारियों द्वारा आवंटित बजट को हजम कर लेने की बात सामने आ रही है। सिर्फ निर्माण के नाम पर गोल पार्क का ढांचा खड़ा कर दिया गया है, जो कुछ महीने में ही टूट चुका है। समदा चौराहे पर दोबारा फिर दूसरी योजना से कार्य कराया गया है। साथ ही साथ पार्क के निर्माण में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अवर अभियंता, सहायक अभियंता द्वारा किए गए हेराफेरी की जांच कराए जाने की मांग नगरवासियों ने शासन-प्रशासन से करते हुए दोषी अभियंताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए दोषी अधिकारियों को दंडित किए जाने की मांग की है।
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