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गुरुवार, 5 अगस्त 2021

योगी आदित्यनाथ की सरकार में मरणासन्न अवस्था में पड़ी गाय की आंख को नोचकर खा रहे कौवे और ब्यवस्था के नाम पर हो रही धोखाधड़ी

जनपद प्रतापगढ़ में नहीं थम रहा गौशालाओं में गायों की दुर्दशा, भूखे प्यासे गायें पहले होती हैं,बीमार और बाद में तोड़ देती हैं, दम...!!!


भ्रष्ट अधिकारियों और गौशाला संचालक काट रहे हैं,मलाई और गौशालाओं के लिए योगी सरकार के बजट पर डाल रहे हैं,दिन दहाड़े डकैती...!!!


हिन्दू धर्म में जिसे गाय माता का दर्जा प्राप्त है,योगी राज में उनकी यह दशा...

प्रतापगढ़ जनपद हर मामले में सुर्खियों में रहता है। चाहे राजनीति हो या अन्य क्षेत्र, परन्तु प्रतापगढ़ जनपद चर्चा में न आये ये तो हो ही नहीं सकता ! योगीराज में प्रतापगढ़ में गौशालाओं में गायों की दशा को लेकर कई बार मामला उछला और मामला जब तूल पकड़ा तो अधिकारियों द्वारा शिकायतकर्ताओं और मीडियाकर्मियों तक को दबाने का प्रयास किया गया ताकि मामला को आसानी से दबाया जा सके। इसके पीछे अधिकारियों और गौशालाओं के संचालकों का महज एक उदेश्य होता है कि गौशालाओं के नाम पर आने वाले बजट को किसी तरह से हजम कर लेना ! चाहे जितनी शिकायत हो जाये और मीडिया के लोग चाहे जितनी वीभत्स स्थिति की फोटोज और वीडियों सरकार और जनमानस को जगाने के लिए सार्वजनिक कर दें,परन्तु प्रतापगढ़ के भ्रष्ट अधिकारियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ सकता। इससे तो यह स्पष्ट हो जाता है कि नीचे से लेकर ऊपर तक सब मलाई काट रहे हैं और दूसरे के पूरक होते हैं। सरकार चाहे जिसकी हो, किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता।   


कालाकांकर विकास क्षेत्र के अंधरीपुर ग्राम पंचायत के अदलाबाद स्थित चर्चित गौशाला है, जहां पर आए दिन मवेशी मरते रहते हैं और उन्हें चुपचाप जंगल में फेंक दिया जाता है। इस हालत को देखकर ग्रामीण कई बार इसकी शिकायत आला अधिकारियों को भी की है परन्तु योगी सरकार में गौशाला के कार्य देखने वाले कर्मचारी हैं जो कि  सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहां की स्थिति यह है कि आए दिन मवेशी बीमार होते हैं और तड़प-तड़प के मर जाते हैं प्रतापगढ़ में इस गौशाला की शिकायत होती है तो महज औपचारिकता के लिए जिम्मेदार अधिकारी वहां पहुंचकर सिर्फ जाँच के नाम पर कोरम पूरा करते हैं। योगी सरकार से आम जनमानस यह उम्मीद करता था कि एक गौसेवक सूबे का मुख्यमंत्री बना है। उसके राज में कम से कम गौमाता के दिन अवश्य सुधर जायेंगे। योगी सरकार ने गौशालाएं भी बनवाई और उसके लिए करोड़ों रूपये का बजट भी आवंटित किया, परन्तु मानवीय मूल्यों को ताक पर रखकर गौशालाओं के बजट को खाकर सिस्टम में बैठे लोग सिस्टम को ही मुँह चिढ़ा रहे हैं।   


अभी हाल ही में कुछ ऐसा देखने को भी मिला जैसे कि मंगलवार को लोगों की शिकायत पर प्रतापगढ़ जिले के मुख्य पशु चिकित्सक वी पी सिंह गौशाला पहुंचे, जहां पर ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि यहां पर रात में गेट खोलकर चौकीदार द्वारा मवेशियों को बाहर हांक दिया जाता है और बीमार होकर मर जाने वाले मवेशियों को जंगल में फेंक दिया जाता है उनके सामने दिखाने के लिए कालाकांकर ब्लॉक मुख्यालय पर तैनात पशु डॉक्टर ओम प्रकाश यादव वहां पर पड़ी मरणासन अवस्था में मवेशी को उपचार किया और वहीं दूसरे दिन बुधवार को मवेशियों को देखने के लिए गौशाला में कोई नहीं दिखा और मरणासन्न अवस्था में पड़ी गाय के आंख को कौवे नोच नोचकर खा रहे हैं जिसकी पीड़ा से गाय तड़प रही है और दर्द से कराह रही है। उसकी सुधि लेने वाला योगी सरकार में कोई नहीं है 


योगी सरकार में जब छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों को जो समस्या दिखाई देती है, उसे देखने के बाद भी उसकी तरफ से अपना मुंह मोड़ लेते हैं और उसके प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझते ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारीयों से कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए उनसे उम्मीद करना बेकार है। आखिर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से भाग क्यों रहे है ? गौशाला के लिए आवंटित बजट को खाने में तो ये अधिकारी पीछे नहीं रहते, परन्तु जब बात जिम्मेदारी की आती है तो ये भाग खड़े होते हैं ये बहाने बनाते हैं और जाँच के नाम पर खानापूर्ति करते हैं आखिर इन गैर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ शासन इन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करता है ? जबकि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री होने पहले गौसेवक भी हैं और गोरखनाथ पीठ के महंथ भी रह चुके हैं फिर भी उनके राज में गौ और गौशालाओं की दशा बद से बद्तर होती जा रही है कोई स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि योगी राज में गौमाता की ये दशा होगी 


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