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बुधवार, 11 अगस्त 2021

यूपी में शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई, सूबे में जिलावार होगी लाभार्थियों की जांच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शादी अनुदान को लेकर लिए कड़े निर्णय,सूबे में जो घोटाले हो रहे हैं  इसकी निष्पक्ष जाँच सभी जिलों में कराई जाएगी...!!!  


उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में शादी अनुदान योजनाओं में जमकर हुआ घोटाला...

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने योजनाओं में हो रहे घोटालों को लेकर बड़ा फैसला लिया है।  सरकार अब राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना और शादी अनुदान योजना की जांच सभी जिलों में कराएगी।  योगी आदित्यनाथ सरकार ने लखनऊ और कानपुर में बड़ी संख्या में मिली गड़बड़ियों के बाद सभी जिलों के जिलाधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद घोटालेबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। सवाल उठता है कि आखिर घोटालेबाज कौन हैं और कहाँ से आते हैं ? समाज कल्याण विभाग के अफसर ही तो घोटालेबाजों की सूची में मिलेंगे ! सीमा पर पकड़े जाने वाले आतंकियों की तरह से नहीं कहा जा सकता कि ये घोटालेबाज भी पाकिस्तान की सरजमीं से हैं। ऐसे भ्रष्ट अफसरों को आतंकियों की तरह सजा देनी चाहिए। क्योंकि ये भी देश को आर्थिक रूप से बर्बाद कर रहे हैं।  

भ्रष्टाचार के मामले में सीएम योगी का दावा हुआ फेल...

दरअसल,'राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना' के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों में अगर कमाने वाले मुखिया की मौत हो जाती है तो परिजनों को 30 हजार रुपये मिलते थे इस योजना में लखनऊ व कानपुर में अपात्रों को योजना का लाभ दे दिया गया। लखनऊ में तो पति के जीवित रहते कई महिलाओं को इस योजना का लाभ दे दिया गया इतना ही नहीं कानपुर जिले में कुछ लाभार्थी गरीबी रेखा से ऊपर हैं फिर भी उन्हें इस योजना का लाभ दे दिया गया। डिजिटल इंडिया और डोंगल से लैश विभाग जिस अंदाज में भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उससे यह लगने लगा है कि देश और प्रदेश में सरकारी विभागों से भ्रष्टाचार खत्म होने वाला नहीं है। इसी प्रकार गरीब कन्याओं की शादी के लिए 'शादी अनुदान योजना' के तहत 20 हजार रुपये का अनुदान मिलता है। इसमें भी जिन अभिभावकों की बेटियां ही नहीं, उन्हें भी शादी अनुदान योजना का लाभ दिया गया 


सूबे में कानपुर व लखनऊ दोनों ही जिलों में इस तरह के प्रकरण सामने आने के बाद अब समाज कल्याण निदेशालय ने सभी जिलाधिकारियों को जांच कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसे वास्तव में जरूरत है उन्हें सरकार द्वारा जारी किसी भी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता और जिसे जरूरत नहीं हैं, उसे विभाग के भ्रष्ट अफसर उस योजना का लाभ अवश्य दे देते हैं और बदले में उनसे रिश्वत ले लेते हैं। समाज कल्याण विभाग में सबसे मजेदार बात यह है कि डिजिटल इंडिया होने के बावजूद सारी सूचियां ऑनलाइन होने के बाद भी किस दशा में घपला और घोटाला हो जाता है ? ऐसे लोगों को चयनित कर लिया जाता है जो धरातल पर होते ही नहीं ! आखिर इनका भुगतान जब डिजिटल माध्यम से बैंक के जरिये होता है तो यक्ष प्रश्न यही है कि बैंक से भुगतान कैसे करा लिया जाता है ? जब तक बैंक का स्टाफ ऐसे घपले और घोटाले में शामिल नहीं होता तब तक ऐसे घपले और घोटाले को अंजाम तक नहीं पहुँचाया जा सकता  


➤लखनऊ से मोहम्मद महफूज की रिपोर्ट...


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