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शनिवार, 7 अगस्त 2021

प्रतापगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से हॉस्पिटल के नाम पर मनुष्यों के लिए संचालित हो रहे हैं, स्लाटर हाउस

सीएमओ प्रतापगढ़ और सीएमओ दफ्तर से जुड़े जाँच अधिकारियों की वजह से गर्भवती महिलाएं गंवा रही हैं,अपनी जान...!!!


विगत माह जुलाई में मेडिकल कालेज प्रतापगढ़ की बाउंड्रीवाल वाल से सटे एक मेडिकल स्टोर में संचालित हो रहा था, अस्पताल और आशाओं के भरोसे जिला महिला अस्पताल में संविदा पर तैनात चिकित्सक डॉ कुर्तुल की लापरवाही से चली गई थी,प्रसूता की जान...!!!


तनु अस्पताल की लापरवाही से गर्भवती नीलम सिंह को गंवानी पड़ी जान...

मुख्य चिकित्साधिकारी प्रतापगढ़ के यहाँ कुकुरमुत्ते सरीखे खुले अस्पतालों में यह खेल स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से होता है और जब कभी ऐसी शिकायत होती है तो उसके मद्देनजर उस हॉस्पिटल का लाइसेंस कुछ दिनों के लिए रद्द कर दिया जाता है, कुछ दिन बाद उसे पुनः खोलवा दिया जाता है। बदले में स्वास्थ्य विभाग की जाँच टीम मोटी रकम वसूल करती है, जिसमें सीएमओ तक का हिस्सा बंधा होता है। कुछ हॉस्पिटल तो बिना रजिस्ट्रेशन के भी संचालित हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अफसर महीना बाँध रखे हैं


मातृत्व लाभ सहित डिलवरी केस में सरकार एएनएम सेंटर से लेकर जिला अस्पताल स्तर पर कई योजनाओं को संचालित किया है, परन्तु सरकार द्वारा नियुक्त आशा और एएनएम (असिस्टेंट नर्स मिडवाइफ) की लालच में आज भी गर्भवती महिलाएं अपनी जान गंवा रही हैं कभी-कभी तो जच्चा और बच्चा दोनों का जीवन खत्म हो जाता है। ऐसी दशा में वह परिवार टूट सा जाता है। ताजा मामला थाना-संग्रामगढ़, तहसील-लालगंज, जिला-प्रतापगढ़ का है दरअसल नीलम पत्नी राम सिंह गर्भवती थी और परिजन गर्भवती नीलम को कुंडा स्थित तनू हॉस्पिटल में डिलवरी के लिए ले गये थे, वहाँ पर  नीलम को भर्ती किया गया और नीलम के इलाज में घोर लापरवाही बरती गई, जिससे नीलम की मौत हो गई 


घटना की बाबत जानकारी करने पर पता चला कि घटना एक पखवारा पुराना हैसीएमओ दफ्तर के अपर शोध अधिकारी आर पी चौधरी और तनु हॉस्पिटल के स्वामी डॉ सचिन त्रिपाठी ने बताया कि घटना तनु हॉस्पिटल की नहीं है, बल्कि मानिकपुर सरकारी अस्पताल में नीलम की डिलवरी नार्मल हुई थी, बच्चा जीवित है और नार्मल डिलवरी के बाद अचानक ब्लीडिंग होने लगी तो मरीज को लेकर परिजन और एक आशा तनु हॉस्पिटल कुंडा पहुँचे थे, जहाँ से उन्हें प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया गया था, अब रास्ते में कुछ हुआ तो वह नहीं जानते। सीएमओ दफ्तर के अधिकारी श्री चौधरी ने बताया कि अभी तक उनके दफ्तर में नीलम सिंह के परिजनों ने किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की है। वहीं तनु हॉस्पिटल के स्वामी डॉ सचिन त्रिपाठी ने कहा कि उनकी हॉस्पिटल को बदनाम करने के लिए पुरानी खबर को सोशल मीडिया में जानबूझकर चलाया जा रहा है, जो गलत है...!!!


जिले में प्रसव हेतु कई हॉस्पिटल संचालित हैं। सभी हॉस्पिटल में दलालों का बोलबाला है और उन्हीं दलालों के दम पर प्राइवेट अस्पताल संचालित होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार जिनके कन्धों पर स्वास्थ्य ब्यवस्था बेहतर करने का दायित्व दिया है, वही ब्यक्ति प्रसव ब्यवस्था में अब्यवस्था फैला रखा है। दलाली का कार्य स्वयं आशा बहुए करती हैं और इन्हीं आशा बहुओं के दम पर जिले के सारे प्रसव केंद्र संचालित हो रहे हैंकुंडा स्थित तनू हॉस्पिटल की ब्यवस्था देखकर मानवता भी कराह उठी। हॉस्पिटल के नाम पर मानव रूपी कसाईखाना खोल रखा गया है और वहाँ मारने के लिए मरीजों को गाँव में तैनात आशा जो गाँव की भोली-भाली गर्भवती महिलाओं को अपने मोटे कमीशन के चक्कर में ले जाकर फंसा देती हैं


कभी-कभी तो जिला महिला अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिलाओं को ये चालाक आशा अपने चंगुल में फंसा कर उन्हें जिला महिला अस्पताल के अगल-बगल ले जाकर भर्ती करा देती हैं और बदले में प्राइवेट अस्पताल संचालक से मोटा कमीशन प्राप्त करती हैं। आशाओं की दशा देखकर वह कहावत याद आ जाती है जो ब्राह्मण के ऊपर है, वर मरे या कन्या ! पंडित को दक्षिणा से मतलब ! गर्भवती महिला नीलम पत्नी राम सिंह जो थाना-संग्रामगढ़, तहसील-लालगंज, जिला-प्रतापगढ़ की है, उसके जीवन के साथ तनु हॉस्पिटल के स्टाफ ने खिलवाड़ किया, जिससे उसकी जान चली गई। जबकि तनु हॉस्पिटल के संचालक डॉ सचिन त्रिपाठी ने दावा किया कि नीलम उनके यहाँ आई थी और डिलवरी कराने के बाद आई थी। नार्मल डिलवरी के बाद अचानक उसे ब्लीडिंग होने लगी थी, इसीलिए मानिकपुर के पास की एक आशा उसे लेकर आई थी। मरीज देखने के बाद उसे बिना देर किये प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया गया था


कुंडा के तनु हॉस्पिटल पर मृतक मरीज नीलम के परिजन ने आरोप लगाया है कि नीलम की डिलवरी हेतु नई-नई नर्सो को लगा दिया गया और नर्स अनुभवहीन रही, जिसकी वजह से गर्भवती नीलम का पेट ज्यादा तेज से दबा दिया गया, जिसकी वजह से नीलम सिंह की बच्चेदानी की नस फट गई और ब्लीडिंग इतना हुई कि वह अपनी जान गंवा बैठी जब खून अधिक मात्रा में निकलने लगा तो डॉ साहब ने 50000/ की मांग करने लगे। पैसा न जमा कर पाने की स्थिति में अस्पताल से तुरंत निकाल ले जाने की बात करने लगे। नीलम सिंह को जबरन अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया और बचने के लिए प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया गया। सच्चाई यह है कि ब्लीडिंग अधिक होने की वजह से नीलम तनु हॉस्पिटल में ही दम तोड़ दिया था। ऐसा आरोप मृतक नीलम के परिजन लगा रहे हैं


ऐसा दबाव इसलिए बनाया जाता है, ताकि मरीज के साथ तीमारदार पैसा न देने पर अपने मरीज को अन्यत्र ले जाने का प्रयास करेंगे और रास्ते में जब मरीज की साँसे थम जायेगी तो अस्पताल संचालक उस आरोप से बच निकलेगा, जिसकी घोर लापरवाही से गर्भवती महिलाओं की जान जाती है। नीलम के मामले में भी ऐसे ही किया गयाकुंडा के तनू हॉस्पिटल में यह पहला केस नहीं हुआ है, यहाँ तो महीने में दो चार केस ऐसे होते रहते हैं। प्राइवेट अस्पतालों में ऐसे ही गरीब को परेशान किया जाता है। भर्ती होते समय इतना अच्छा ब्यवहार किया जाता है और भर्ती होने के कुछ देर बाद मरीज के केस को बड़ा बनाया जाता है, ताकि धन उगाही की जा सके  


उत्तर प्रदेश में अब ये आम बात हो गई है पहले तो सरकारी हॉस्पिटल से लेकर प्राइवेट अस्पताल में डिलवरी कराने के लिए कोई चिकित्सक तैयार नहीं होता और जो तैयार होता है वह बाद में यानि मरीज के भर्ती के बाद नाटकीय अंदाज में मरीज के परिजनों पर दबाव बनाकर धनादोहन करते हैं चिकित्सकों और उनके पालतू दलालों द्वारा मरीज और उसके तीमारदार को समझाया जाता है कि मरीज की पानी की थैली फट चुकी है, बच्चा का पल्सरेट डाउन हो रहा है, पानी सूख जाने की वजह से बच्चे के सिर में सूजन हो रही है ऐसी दशा में बच्चे की जान को खतरा बढ़ता जा रहा है घंटा, दो घंटा में ऑपरेशन से डिलवरी नहीं कराई जाती तो जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा बढ़ चुका है  


अगर आपने जरा भी ऑप्रेशन कराने में आनाकानी की तो समझो आपके पेसेंट की जान भी गई जैसे कि नीलम के साथ हुआ बताते चलें कि इंजेक्शन दो प्रकार के होते हैं जो डिलवरी के वक्त अस्पताल के चिकित्सक यूज करते है पहला इंजेक्शन से दर्द को बढ़ाया जाता है और बच्चे आसानी से बाहर आ जाते हैं और दूसरा इंजेक्शन लगाने से दर्द खत्म हो जाता है और बच्चे होने मे कठिनाई होने लगती है ये हॉस्पिटल वाले आजकल दूसरा वाला इंजेक्शन लगा देते है, ताकि मामले को बढ़ाया जाए और गरीबों से ऑप्रेशन के नाम पर पैसा वसूला जाए। आज के दौर में यही इंसानियत है डॉ. को धरती का भगवान कहा गया है आधुनिक चिकित्सक धन के लोभ में ऐसा काम कर रहे हैं, जिससे इनके प्रति आम जनमानस में नफरत फैल जाए ताकि लोग इनसे मारपीट करने पर विवश हो सके   


आधुनिक चिकित्सकों को सिर्फ और सिर्फ पैसा चाहिए पैसे के लिए ये किसी भी स्तर तक जा सकते हैं चूँकि इनका सीधा सा कहना है कि इतनी महंगी पढ़ाई पढ़कर आये हैं सो पैसा तो चाहिए ही, वह किसी भी कीमत पर मिले आधुनिक चिकित्सकों को इंसान की मोहमाया कम रहती है और पैसों की चिंता अधिक होती है यदि चिकित्सकों में इंसान के जान की कीमत होती तो नीलम की मौत न होती। आज नीलम के छोटे-छोटे बच्चों का रो रोकर बुरा हाल न हुआ होता नीलम के छोटे-छोटे बच्चे बिन माँ के न होते और राम सिंह आज अपनी पत्नी न खोया होता नीलम की मौत के बाद अब उन छोटे-छोटे बच्चों का कोई सहारा नहीं है डॉ की लापरवाही की वजह से लगभग एक परिवार की 5 सदस्यों का जीवन अन्धकारमय हो गया   


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