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बुधवार, 11 अगस्त 2021

पूर्व विधायक बृजेश मिश्र "सौरभ" का जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" के संदर्भ में फेसबुक पर कसीदे गढ़ना और दूसरे दिन हटा लेना यह तय करता है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने की महज एक चाल थी

अगले पाँच वर्ष तक का कुछ नेता नहीं करेंगे, इस बार इंतजार ! उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव- 2022की रणभूमि में आजमायेंगे किस्मत, दल न सही तो निर्दल ही सही...!!!


सस्ती लोकप्रियता के लिए आधुनिक और हल्के किस्म के छुट भईया नेता सरीखे वर्तमान में सांसद, विधायक और मंत्री तक करने लगे हैं,सोशल मीडिया पर अनर्गल प्रलाप। पूर्व विधायक और पूर्व सांसद सहित राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्षों एवं पार्टी पदाधिकारियों द्वारा बिना संकोच किया जा रहा है,बिन सिर पैर की बेतुकी बातें...!!!



पूर्व विधायक बृजेश सौरभ...
जनप्रतिनिधियों द्वारा सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और ट्वीटर पर खोल लिए जाते हैं,कई खाते और उसका संचालन भी जनप्रतिनिधियों और उनके नादान एवं अप्रशिक्षित समर्थकों द्वारा संचालित किया जाता है और विवादित पोस्ट पर जनप्रतिनिधियों द्वारा अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है और एक लाइन में बतौर सफाई बता दिया जाता है कि उनकी आईडी किसी हैकर ने हैक कर ली थी। उन्हें तो उक्त पोस्ट की जानकारी ही नहीं है। बहुत विवाद बढ़ता है तो जनप्रतिनिधि स्वयं शिकायत करने की बात कहकर मामले को स्वयं दबा देता है और उस जनप्रतिनिधि को पता रहता है कि उक्त विवाद उसकी नादानी से उपजा है और उसका निदान भी उन्हीं के द्वारा होना है। मौके की नजाकत को देखकर वह जनप्रतिनिधि भी चौका मारता है, ताकि गेंद बाउंड्री पार हो जाये


भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पूर्व विधायक बृजेश सौरभ...


पहले सीना ठोक कर पोस्ट सार्वजनिक करना और बाद में नफा नुकसान देखकर उसका खंडन करना आधुनिक जनप्रतिनिधियों की आदत बन चुकी है। सदर विधायक राज कुमार उर्फ करेजा पाल की फेसबुक आई से स्टेट्स पर ब्लू फिल्म का क्लिप लोड हो गया था। विधायक को जानकारी हुई तो उन्होंने बचाव में यह कहकर अपनी इज्जत बचाया कि उनकी फेसबुक आईडी हैक हो गई थी। जिसने हैक किया वह उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसा घृणित कार्य किया। जबकि सच्चाई यह रही कि विधायक जी की मोबाइल में ब्लू फिल्म का स्टोरेज था और नासमझी में वह स्टेट्स पर लोड हो गई। आधुनिक जनप्रतिनिधियों की यह हकीकत जनता जान चुकी है कि आर्टिफिसियल नेता बिन पेंदी के लोटे जैसे हैं। कभी भी किसी भी तरफ ढनग सकते हैं। सूबे में सदर विधानसभा की सीट जिसमें शहर भी सम्मिलित रहता है, जो सबसे संवेदनशील रहता है। इसलिए सारे नए उम्मीदवार सदर में गदर करने के लिए परेशान रहते हैं।


प्रतापगढ़ के दो दिग्गज नेताओं राजा भईया और बृजेश सौरभ का यह याराना पुराना है...


प्रतापगढ़ सदर विधान सभा की बात करें तो वर्तमान में सदर में अपना दल एस के विधायक राजकुमार "करेजा पाल" हैं और निकट भविष्य में भी भाजपा का गठबन्धन अपना दल एस से होने की संभावना अभी भी प्रबल बनी हुई है। ऐसे में सत्ताधारी दल भाजपा से जो नेता सदर विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बनाया है, उसका मन अशांत और अधीर बना हुआ है। इसलिए अब भाजपा के नेता दूसरे दलों में जाने की शुरुवात कर चुके हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व भाजपा नेता अश्वनी कुमार सोनी अपने समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली। उसी के बाद पूर्व विधायक बृजेश सौरभ भी बगावती बोल बोलने लगे। फेसबुक पर बृजेश सौरभ द्वारा जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" के पक्ष में कसीदे गढ़ने से प्रतापगढ़ की राजनीति में भूचाल आ गया था, परन्तु दूसरे ही दिन बृजेश सौरभ की वह पोस्ट फेसबुक से गायब हो चुकी थी।


एक आयोजन में दो पुराने साथी कुछ यूं अंदाज में बात करते हुए...


भाजपा नेता बृजेश सौरभ के सन्दर्भ में मीडिया में खबर आने लगी कि कभी भी भाजपा नेता बृजेश सौरभ जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का दामन थाम सकते हैं। परन्तु एक सप्ताह हो गए बृजेश सौरभ की गतिविधियां शांत पड़ गई हैं। इस संदर्भ में दो बातें हो सकती हैं। पहली बात कि पूर्व विधायक भाजपा से टिकट पाने के लिए पार्टी पर दबाव बनाने वाली राजनीतिक चाल चले थे। दूसरी बात कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व और संघ के पदाधिकारियों ने बृजेश सौरभ को दबाने का कार्य किया। तभी बृजेश सौरभ शांत बैठ गए और अपने फेसबुक पर की गई पोस्ट को डिलीट कर दिया। स्वयं के संदर्भ में छोटी सी छोटी बात के लिए बृजेश सौरभ अपना पक्ष जरुर रखते हैं। चाहे वह सोशल मीडिया पर ही रखे। परन्तु जनसत्ता दल लोकतांत्रिक में स्वयं के लिए जाने वाली खबर की अटकलों पर उन्हें सांप सूंघ गया। इससे तो यही लगता है कि बृजेश सौरभ को शीर्ष नेतृत्व द्वारा शांत कराया गया।


राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक में नेता कम समर्थकों की अधिक माँग है। अब बृजेश सौरभ छात्र राजनीति से असल राजनीति में आये हैं तो वह तो समर्थकों जैसे हालात में स्वयं को नहीं रख सकते जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" के विषय में पूर्व विधायक बृजेश सौरभ द्वारा कसीदे तो गढ़ दिए गए। परन्तु बृजेश सौरभ को जो भी नजदीक से जानता है वह यह भी जानता है कि बृजेश सौरभ आदतन कभी समर्थक बनकर किसी भी दल में नहीं रह सकते। क्योंकि बृजेश सौरभ स्वयं नेता हैं और वह दासता स्वीकार नहीं कर सकते। संभवतः इसलिए बृजेश सौरभ आंकलन करके भाजपा में चुपचाप बैठे रहने में अपनी भलाई समझे। कुछ नेताओं में महत्वाकांक्षा कूट-कूटकर भरी होती है। पूर्व विधायक बृजेश सौरभ भी उन्हीं नेताओं में से एक हैं। सत्ता की कुर्सी प्राप्ति हेतु बृजेश सौरभ कोई भी दाँव चलने के लिए तैयार हैं,ऐसा उनके समर्थकों का कहना है

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